यूपी की ध्वस्त कानून व्यवस्था ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय विधिक व्यवस्था ही ध्वस्त हो चुकी है। जिसमें सुधार करने की अत्यंत आवश्यकता है और संभवतः माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ने सुधार करने हेतु पग उठाने आरम्भ कर दिए हैं। चूंकि वह अपने प्रत्येक संबोधन में न्याय का मार्मिक उल्लेख करती हैं। जिसपर उच्चतम न्यायालय के वर्तमान माननीय विद्वान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री डी वाई चंद्रचूड़ जी प्रतिक्रिया कर देश और देशवासियों को बता देते हैं कि वह नागरिकों को निष्पक्ष न्याय देने के लिए अपनी बचनबद्धता की पूर्ति कर रहे हैं।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारतीय लोकतंत्र के चारों सशक्त स्तंभों में भ्रष्टाचार इतना बढ़ चुका है कि कोई भी उसका अल्प समय में उपचार नहीं कर सकता। परन्तु जबसे देश की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी बनी हुई हैं। तबसे न्यायपालिका में सुधार देखा जा रहा है।
इसके अलावा चूंकि अगले वर्ष चुनाव आ रहे हैं और शोशल मीडिया में न्याय, माननीय न्यायालय और न्यायाधीशों पर उच्च स्तरीय टिप्पणियां हो रही हैं। जिससे यूपी सरकार ही नहीं बल्कि देश की समस्त राज्य सरकारों सहित केंद्र सरकार भी गंभीर हो रही है। उल्लेखनीय यह भी है कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली भी भ्रष्टाचार के प्रश्नों से घिरी हुई है। जिन प्रश्नों के उत्तर देना राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के संरक्षक माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री डी वाई चंद्रचूड़ जी के लिए भी लोहे के चने चबाने से कम नहीं है। जिसके कारण माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री डी वाई चंद्रचूड़ जी भी अंतरमन से परेशान हैं।
परेशानी का आधार यह भी है कि माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री डी वाई चंद्रचूड़ जी भलीभांति जानते हैं कि नागरिक जिन प्रश्नों का उत्तर मांग रहे हैं। वह नागरिकों के मौलिक अधिकार है। जिनकी पूर्ति करना न्यायपालिका के न्यायाधीशों सहित मुख्य न्यायाधीश का मौलिक कर्तव्य है जिसके उत्तर उन्हें यदि आज नहीं दिए गए तो इतिहास उन्हें कभी क्षमा नहीं करेगा। चूंकि दर्पण सत्य का प्रतीक माना जाता है और इतिहास दर्पण का दूसरा रूप होता है। ॐ शांति ॐ