सर्वविदित है कि अपने तो अपने होते हैं। फिर अपनों का सिर कलम करना कैसे संभव हो सकता है? जिसकी गोद में सिर रखकर बचपन बिताया हो, उसे नुकीले बाणों पर घायलावस्था में लिटाना कितना कष्टदायक होता है? अपने हाथों अपनों का रक्तपात करना कितना अशोभनीय व्यवहार है। सौतेले ही सही पर माताश्री कंधारी के मन में तो कोई खोट नहीं है। जबकि हमारे बाणों की तेजधार से कोख तो माताश्री कंधारी की ही उजड़ेगी। सत्य यह भी है कि अपने ही वंश का रक्त बहाना हितकारी नहीं होगा। इसी भावावस्था में अर्जुन रणक्षेत्र में रथ से नीचे उतरकर श्रीकृष्ण जी से हाथ जोड़ कर बोले थे कि हे केशव मैं यह अत्याचार कैसे करूं? मैं पाप का भागीदार नहीं बनना चाहता। हे केशव मुझे क्षमा करें।
तब श्रीकृष्ण जी ने दिव्य रूप धारण कर अपने मुख से जो उपदेश अर्जुन को दिया। वह गीता का उपदेश कहलाया था। जिसमें उन्होंने स्पष्ट कहा था कि यदि आप इनका संहार नहीं करोगे तो मैं ही सबका काल बन जाऊंगा। यह तो रणक्षेत्र है जो अपनी ओर खड़े हैं वह मित्र और जो दूसरी ओर खड़े हैं वह शत्रु हैं। अर्थात जो आपकी ओर खड़े हैं वह सत्य और जो दूसरी ओर खड़े हैं वह असत्य पर आधारित हैं। इसलिए सत्य की स्थापना करने हेतु असत्य पर विजय प्राप्त करना अतिआवश्यक है। चूंकि यदि असत्य समाप्त नहीं होगा तो वह सत्य को स्वीकार नहीं करते हुए मार देगा और सत्य का बध होते ही पृथ्वी पर त्राहीमाम त्राहीमाम का शोर सुनाई देगा। जो मुझे स्वीकार नहीं है। चूंकि मैंने सत्य की स्थापना का शंखनाद करने के अवतार लिया है। इसलिए युद्ध करो और मात्र मेरे आदेश का पालन करो। ओ आपका मौलिक कर्तव्य बनता है।
अतः चित्र दर्शाता है कि श्रीकृष्ण जी ने अपनी उंगली पर सुदर्शनचक्र धारण किया हुआ है और उसे लक्ष्य भेदने के लिए छोड़ने को तैयार खड़े हैं। परन्तु उद्देश्यपूर्ति का विश्वास दिलाते हुए अर्जुन हाथ जोड़कर श्रीकृष्ण जी से क्षमा मांगते हुए कह रहे हैं कि वह युद्ध करने के लिए हृदय तल से तैयार हैं। बस आप क्रोध त्याग दें। मैं अपना सौभाग्य मानते आपके मार्गदर्शन में अपने मौलिक कर्तव्य का पालन करते हुए असत्य पर सत्य की स्थापना हेतु आपके प्रत्येक आदेश पर खरा उतरूंगा अर्थात सत्यमेव जयते की स्थापना हेतु पथ पर आई किसी भी बाधा को नष्ट कर दूंगा। ॐ शांति ॐ
माताश्री गांधारी की चिंता
सौतेली माँ की चिंता, वो भी उस सौतेली माँ की जिसके पुत्र समूल नाश करने पर तुले हों
धन्य हैं वो ग्रंथ जिनमें ऐसे ऐसे उच्च मानदंड स्थापित करने के प्रयास किए गए हों
अच्छा प्रयास