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चापलूसी यदि साहित्य है तो मैं साहित्यकार नहीं हूॅं !                           (आलेख) 

12 जून 2023

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           मेरा जीवन एक खुली किताब है। जिसके प्रत्येक पन्ने पर मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों के कारण उत्पन्न हुई चुनौतियों के संघर्षों की मोहर लगी हुई है। जिनमें अधिकतर मौलिक कर्तव्यों के उत्तरदायित्वों के समाधान हेतु स्पष्ट वर्णन है। उन चुनिंदा चुनौतियों में शिक्षक, डॉक्टर, प्रोफेसर, कल्चरल अकादमियां, शिक्षन संस्थान इत्यादि प्रमुख हैं। जिनके अलावा भारत के कतिपय भ्रष्ट अयोग्य मानवीय न्यायाधीश भी हैं। जिनकी अयोग्यता और क्रूरता के आधार पर भारत के माननीय विद्वान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री डी वाई चंद्रचूड़ जी भी प्रश्नों के समाधान हेतु "कटघरे" में खड़े हैं। जो मेरे साठ वर्षों के निरंतर संघर्ष का प्रतीक ही नहीं बल्कि सौभाग्यवर्द्धक प्रतिफल है। जो अद्भुत, अद्वितीय, अकल्पनीय, अविश्वसनीय अंतरराष्ट्रीय स्तर का कड़वा सच है। 
           जिसके कारण मुझे अपनी प्राणों से प्रिय सुशील धर्मपत्नी श्रीमती सुशीला बाली से अलग होना पड़ा है। जिसने असहनीय प्रसवपीड़ा को सहन करते हुए मुझे दो होनहार विवेकपूर्ण विद्वान बच्चे दिए हुए हैं। जिसके लिए मैं उसका हार्दिक ऋणी हूॅं। उसके बावजूद उन के प्रति अपने मौलिक कर्तव्यों का मैं पालन नहीं कर सका था। जिसके कारण उन्हें पारिवारिक प्रेम से वंचित होना पड़ा। क्योंकि मेरे बेटे तरुण बाली ने अपनी योग्यता के आधार पर सैनिक स्कूल नगरोटा की निर्धारित परीक्षा को उत्तीर्ण किया था। जिसमें सौभाग्यवश भारीभरकम शुल्क देकर उसे दाखिल भी करवा दिया था। जहां उसने वार्षिक परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया था। परन्तु दुर्भाग्यवश सैनिक स्कूल नगरोटा का निर्धारित वार्षिक शुल्क देने में मैं सामर्थ्य नहीं था। जिसके कारण उसे स्कूल से निकालना पड़ा था। चूंकि मेरे एसएसबी विभाग ने कानूनों का उल्लंघन करते हुए मुझे नौकरी से बर्खास्त कर दिया था और समाचारपत्र विक्रेता के रूप में सैनिक स्कूल नगरोटा में पढ़ाना मेरे बस में नहीं था। जिसके आधार पर मुझे अपने बेटे को सैनिक स्कूल नगरोटा से आर्थिक अभाव के कारण निकालना पड़ा था। जिसके कारण मेरा बेटा समसमायिक समय के इंजीनियरिंग क्षेत्र का बेताज बादशाह होते हुए भी मुझसे घृणा करता है। चूंकि मैं राष्ट्रीय मौलिक कर्तव्यों से जूझते हुए पिता के रूप में बेटे के प्रति अपने मौलिक कर्तव्यों की पूर्ति नहीं कर पाया था अर्थात उसकी सैन्य स्कूल नगरोटा की पढ़ाई का शुल्क नहीं दे सका था। जिससे उसकी सैन्य अधिकारी बनने की इच्छा मेरे राष्ट्रीय मौलिक कर्तव्यों की भेंट चढ़ गई थी। जिसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी होते हुए भी "क्षमा के योग्य" नहीं हूॅं। क्योंकि मैं राष्ट्रहित में अपने संवैधानिक मौलिक कर्तव्यों की पूर्ति हेतु अपने बेटे के साथ साथ उसकी माताश्री के सम्पूर्ण जीवन को बर्बाद कर चुका हूॅं। जिसके लिए उनके दृष्टिकोण के अंतर्गत मैं अक्षम्य दोषी हूॅं। चूंकि मैं अपने राष्ट्रप्रेम की पूर्ति हेतु उसकी माताश्री के विवाहिक जीवन को भी सुखमय नहीं बना सका था। जिसका अटल सत्य यह भी है कि यौवन लौटाया नहीं जा सकता। जिसके लिए मैं हृदय तल से क्षमा प्रार्थी होते हुए भी इस जन्म में कदापि क्षमा के योग्य नहीं बन सकता हूॅं। क्योंकि भले ही राष्ट्रीय मौलिक कर्तव्यों की तुला में मेरे राष्ट्रीय मौलिक कर्तव्यों की चुनौतियों से परिपूर्ण तुलनात्मक मेरा पलड़ा भारी है। परन्तु उसी तुला के दूसरे पलड़े के कड़वे सच को भी नकारा नहीं जा सकता। जिसमें मेरी धर्मपत्नी और बच्चों को उनके मानवीय मौलिक अधिकार भी नहीं मिले। मेरी धर्मपत्नी और बच्चे एक-एक रुपए के लिए तरसते रहे। क्योंकि राष्ट्रीय मौलिक कर्तव्यों की पूर्ति हेतु मैं निरंतर संघर्षरत रहा था। जिसके कारण मैं अपने मौलिक अधिकारों से वंचित रहा। जिसके आधार पर मैं अपनी धर्मपत्नी के प्रति अपने मौलिक कर्तव्यों के पालन में पूरी तरह चूक गया था। अर्थात अपनी प्राणप्रिया धर्मपत्नी श्रीमती सुशीला बाली के प्रति न्याय नही कर पाया था। जिसके लिए मैं सार्वजनिक ही नहीं बल्कि माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय में दायर विभिन्न याचिकाओं में स्पष्ट मान रहा हूॅं कि मैं अपनी अर्धांगिनी के विवाहिक मौलिक अधिकारों को पूरा न कर पाने का स्पष्ट दोषी हूॅं। यही नहीं मैं अपने छोटे से परिवार को उनके पारिवारिक मौलिक अधिकार भी नहीं दे सका था। जिसके लिए मेरे साथ साथ माननीय उच्च न्यायालय के संबंधित न्यायाधीश भी सम्पूर्णतः दोषी हैं। जिसके साक्षी मेरे और मेरे पारिवारिक सदस्यों की ऑंखों से निरंतर बहते ऑंसू हैं। जिनका संबंध सीधे परमेश्वर से जुड़ा होता है।  
           परमसत्य यह भी है कि विद्वान अधिवक्ताओं, कवियों, पत्रकारों, कहानीकारों एवं पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकारों ने भी हमारी बर्बादियों का तमाशा अपनी खुली ऑंखों से देखा है। जिसके लिए मेरे साथ साथ वो सब भी हमारी बर्बादियों के दोषी प्रमाणित होंगे। क्योंकि मुझे तो मेरे विभाग सहित तत्कालीन माननीय जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय के अयोग्य न्यायाधीशों ने क्षय रोग के स्थान पर मानसिक रोगी घोषित कर दिया था। जिसका उल्लेख तत्कालीन पद्मश्री सम्मान से सम्मानित पत्रकारों और साहित्यकारों से सहायता करने हेतु मैंने विनम्रतापूर्वक अनेकों बार आग्रह भी किया था। जिनमें से मात्र हिन्द समाचार पत्र समूह के आदरणीय मुख्य सम्पादक पद्मश्री विजय चोपड़ा जी ने मुझे अवेतनिक पत्रकार के रूप में ज्यौड़ियां में नियुक्त किया था और समाचारपत्र एजेंसी देकर मेरी सहायता भी की थी। परन्तु उनके अलावा उपरोक्त साहित्य अकादमी पुरस्कार एवं पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित "साहित्यकारों" ने अपने विवेक, बुद्धि, ज्ञान और विद्वता के प्रकाश को मेरी सहायतार्थ प्रकाशमान नहीं किया था। इसलिए वह भी अपने मौलिक कर्तव्यों की पूर्ति न कर पाने के दोषी हैं। जिन्हें मौलिक कर्तव्यों की पूर्ति न करने की दोषसिद्धि हेतु माननीय न्यायालय के कटघरे में खड़ा करना अतिआवश्यक है। जो मेरा मौलिक अधिकार ही नहीं बल्कि न्यायिक मौलिक कर्तव्य है। जिससे जम्मू कश्मीर भाषा, कला एवं संस्कृति के वर्तमान मुख्य सम्पादक आदरणीय डॉ रत्न बसोत्रा जी भी अछूते नहीं हैं। जो वर्तमान समय में भी सहयोगियों द्वारा समझाने के बावजूद अपनी कुटिल मनमानी पर रोक नहीं लगा रहे हैं और अपने ही कर्मठ सचिव श्री भरथ सिंह मन्हास जी को बदनाम करने पर तुले हुए हैं। जिससे उनका अहंकार सार्वजनिक हो रहा है और इतिहास साक्षी है कि महा विद्वान सोलह कला संपन्न लंकापति राजा रावण भी अहंकार की भेंट चढ़ा था। संभवतः डॉ रत्न बसोत्रा भूल रहे हैं।
           जबकि उनके सहयोगी अर्थात सह सम्पादक श्री यशपाल निर्मल जी मेरी उपरोक्त सभी व्यथाओं के साक्षी हैं। चूंकि उन्हीं गौरवान्वित मौलिक कर्तव्यों की कसौटी पर खरे उतरने हेतु श्री यशपाल निर्मल जी के साथ मैंने समाचार पत्र बेचे थे। जिसकी कमाई से मैंने अपने पेट की अग्नि को शांत किया था। इसके अलावा यशपाल निर्मल की शिक्षा पूर्ति में भी मैं सहायक सिद्ध हुआ था। क्योंकि उनके शिक्षा संबंधित कार्यों में व्यस्त होने पर मैं उनके लिए समाचार एकत्रित करता था। जिसके लिए उन्हें जागरण संवाददाता के नाम पर वेतन मिलता था। जिसके उपरांत श्री यशपाल निर्मल सच के स्थान पर काल्पनिक साहित्य लेखन में व्यस्त हो गए। जिसके फलस्वरूप अनुवादक के रूप में उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला। परन्तु यह भी परम सत्य है कि यद्यपि श्री यशपाल निर्मल मेरे बारे में लिखते तो आज उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार से पुरस्कृत होने की कार्यवाही हो रही होती। क्योंकि जिन ऊंचाइयों को छूना स्वप्न माना जा रहा था। आज मैं उन्हीं बुलंदियों पर पहुंच चुका हूॅं। जो मेरा सौभाग्य बनकर उभर रहा है। जिसे श्री यशपाल निर्मल जी सिरे से नकार चुके थे। 
           परन्तु मेरा दुर्भाग्य देखिए कि श्री यशपाल निर्मल के सह सम्पादक होते हुए भी कल्चरल अकादमी के मुख्य सम्पादक आदरणीय डॉ रत्न बसोत्रा जी मुझे नकारात्मक लेखक की संज्ञा देते रहे। इसके अलावा विभिन्न पहलुओं के आधार पर आयोजित कार्यक्रमों में मुझे बुक भी नहीं किया जाता था।‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌ खुले शब्दों में बोलूं तो मेरा तिरस्कार भी किया जाता था। कभी कभी तो श्री यशपाल निर्मल जी मेरे आमंत्रित पत्र को अपनी "भूल" की भेंट चढ़ा देते थे। लेकिन कहते हैं कि मारने बालों से बचाने वाला बड़ा होता है। जिस कहावत को चरितार्थ करते हुए हिंदी की सम्पादक आदरणीय श्रीमती रीटा खड़याल जी ने मेरी ग़ज़लों के आधार पर मुझे प्रोत्साहित करना आरम्भ कर दिया था। जबकि डॉ रत्न बसोत्रा निरंतर विरोध करने का असफल प्रयास करते रहे। यहां तक कि कुछ समय पहले उन्होंने जम्मू कश्मीर कल्चरल अकादमी के मंच पर भी अपने चहेते द्वारा मेरा सार्वजनिक अपमान करवाया था। जो श्री यशपाल निर्मल जी के भी ऑंखों के तारे हैं। जिसकी क्षतिपूर्ति हेतु मैं माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती देने वाला था। परन्तु अपने कर्तव्यों के प्रति सदैव निष्ठावान, सशक्त एवं कर्मठ सचिव आदरणीय श्री भरथ सिंह मन्हास जी ने उक्त मामले में निष्पक्ष हस्तक्षेप करते हुए कड़े  कदम उठाए थे। जिनमें निरुत्तर होकर मुख्य सम्पादक डॉ रत्न बसोत्रा जी ने क्षमा मांग ली थी। जिस पर मैंने अपने मान की क्षतिपूर्ति हेतु माननीय न्यायालय का दरवाजा नहीं खटखटाने का उन्हें विश्वास दिया था। 
           जबकि दुर्भाग्यवश संभवतः डॉ रत्न बसोत्रा जी को अपनी क्षमायाचना की पीड़ा से मुक्ति नहीं मिली थी। जिसके दुर्भावनावश, ईर्ष्यायुक्त और द्वेष के कारण उन्होंने जानबूझकर कल्चरल अकादमी द्वारा आयोजित 08-06-2023 से 09-06-2023 तक के दो दिवसीय सम्मेलन में मुझे बुक नहीं किया था। जिसके विरोधाभास में मैंने कल्चरल अकादमी के आदरणीय सचिव श्री भरथ सिंह मन्हास जी को अवगत कराया था और उनसे कार्यक्रम में बुक न करने का ठोस कारण पूछा था। जिसपर आदरणीय सचिव श्री भरथ सिंह मन्हास जी ने तुरन्त विभागीय कार्रवाई करते हुए डॉ रत्न बसोत्रा जी को मुझे बुक करने के साथ साथ सादर आमंत्रित करने का भी आदेश दिया था। हालांकि उक्त सूचना आदरणीय सचिव श्री भरथ सिंह मन्हास जी ने स्वयं देकर मुझे कृतार्थ किया था। जिससे उनका मौलिक कर्तव्यों के प्रति निष्ठापूर्वक निर्वहन प्रमाणित होता है। जिसके लिए मैं सदैव उनका आभारी रहूंगा। जबकि उक्त आदेश के लिए डॉ रत्न बसोत्रा जी ने मुझे सूचित एवं आमंत्रित करने हेतु सह सम्पादक आदरणीय श्रीमती रीटा खड़याल की ड्यूटी लगाई थी। जो एक प्रकार से आदरणीय सचिव श्री भरथ सिंह मन्हास जी के आदेश का उल्लंघन ही नहीं बल्कि अपमान था। क्योंकि उन्होंने डॉ रत्न बसोत्रा की ड्यूटी इसलिए लगाई थी कि उससे हमारे बीच घृणा की दीवार ढह जाए। परन्तु हुआ इसके विपरीत चूंकि इससे डॉ रत्न बसोत्रा जी का अहम सातवें आसमान पर पहुंच गया। जिसे धरा पर लाने के लिए संवैधानिक प्रश्न यह उठा है कि मुख्य सम्पादक डॉ रत्न बसोत्रा जी की दुस्साहसपूर्ण मनमानी की मानसिकता पर अंकुश कौन और कैसे लगाएगा? चूंकि प्रत्येक लेखक अकादमी के सचिव श्री भरथ सिंह मन्हास जी के पास नहीं पहुंच सकता और हर कोई लेखक अपने स्वाभिमान के चलते उक्त कार्यक्रम में मात्र 1350 रुपए में बुक होने के लिए भी अपना सर्वस्व दांव पर नहीं लगा सकता। जिसके आधार पर बहुत से उत्कृष्ट लेखक अनेक आयोजनों में डॉ रत्न बसोत्रा की मनमानी एवं द्वेषपूर्ण व्यवहार की भेंट चढ़ जाते हैं और कार्यक्रम में भाग लेने से वंचित रह जाते हैं। जिसके कारण मैं सार्वजनिक पटल पर लिखने के बाध्य हुआ हूॅं। जिसके लिए भले ही मुझे पुनः बुक न करने से लेकर संवैधानिक चुनौतियों का ही सामना क्यों न करना पड़े? क्योंकि सत्य को सार्वजनिक करना मेरा उद्देश्य बन चुका है जिसके लिए मैं किसी भी दण्ड के लिए हृदय तल से तैयार बैठा हूॅं। चूंकि राष्ट्र सर्वोपरि है।     
           उल्लेखनीय है कि 08-06-2023 से 09-06-2023 के दो दिवसीय सम्मेलन में डॉ रत्न बसोत्रा जी द्वारा जानबूझकर कुछ लेखकों को बुक नहीं किया गया था। जिनमें से कुछ लेखक अपने संवैधानिक मौलिक अधिकारों को मांगने से अधिक छीनने की मानसिकता को प्राथमिकता देते हैं। जिसके फलस्वरूप अपना कौशल दर्शाते हुए वे आदरणीय सचिव श्री भरथ सिंह मन्हास जी के कार्यालय में व्यक्तिगत रूप में उपस्थित हुए और अपनी लिखी पुस्तकों को साक्ष्यों के रूप दर्शाया था। इसके अलावा उन्होंने अपने सरकारी ऊंचे पद के व्याख्यान सहित अपने सशक्त व्यक्तित्व का परिचय भी दिया था। जिसके आधार पर सचिव श्री भरथ सिंह मन्हास जी ने प्रभावित होकर शिकायतकर्ताओं की शिकायत को गंभीरता से लिया और उन्हें विश्वास दिलाया कि आगामी आयोजनों में उन्हें शिकायत का अवसर नहीं मिलेगा। चूंकि आगामी आयोजनों पर वह विशेष रूप से  स्वयं ध्यान देंगे। उन्होंने कल्चरल अकादमी की ओर से यह भी विश्वास दिलाया कि यदि आगे कोई गड़बड़ी होगी तो वह सूचियां अपनी निगरानी में सूचीबद्ध करवाएंगे। जिससे अकादमी में व्याप्त धांधलियों पर अंकुश लगना आरंभ हो जाएगा। जो चापलूसी और भ्रष्टाचार की समाप्ति के सुनहरे भविष्य की ओर संवैधानिक संकेत करता है। 
           उल्लेखनीय है कि अकादमी का अब तक किसी भी लेखन क्षेत्र में प्रतिस्पर्धात्मक कोई ठोस क्राइटेरिया (CRITERIA) अर्थात मापदंड निर्धारित नहीं है। जिसके अंतर्गत वर्षों से कोई पुस्तकों की गुणवत्ता से अधिक अपनी पुस्तकों की संख्या के आधार पर अहंकार कर रहा है। तो कोई साहित्यिक संस्थाओं का अध्यक्ष एवं अपने आप को प्रोफेसर, निदेशक, अधिकारी, डॉक्टर इत्यादि कहते हुए अभिमान कर रहा है। जिसके कारण वे मात्र अपनी रचना पढ़ने और मंचासीन होने के लिए ही कार्यक्रमों में आते हैं। जिसके बाद वह वहां से नौ दो ग्यारह हो जाते हैं। जिसके प्रमाण को खाली कुर्सियां प्रमाणित करती हैं। जबकि लेखक का धर्मक्षेत्र "शब्दों" से मापा जाता है। उसकी लेखनकला और लेखनीय सामाग्री पर आधारित ज्ञान पर निर्भर करता है। 
           उल्लेखनीय है कि "ज्ञान" शिक्षा की उच्च स्तरीय उपाधियों का दास नहीं है। जबकि इस सत्य को भी झुठलाया नहीं जा सकता कि शिक्षा की उपाधियों से "ज्ञान" को मात्र बढ़ावा मिल सकता है। परन्तु ज्ञानी नहीं बनाया जा सकता। जो वर्तमान समय में प्राप्त उच्च स्तरीय उपाधियां शिक्षा पर खर्च किए गए धन की प्रमाणित पावती (रसीद) से अधिक कुछ नहीं हैं। 
           जैसे कि कल्चरल अकादमी जम्मू द्वारा जम्मू संभाग के अग्रणी लेखकों को तिलांजलि देकर कश्मीर संभाग के विशेष विद्वान लेखकों को वायुयान का किराया देते हुए आमंत्रित किया गया था और अकादमी के मुख्य सम्पादक आदरणीय डॉ रत्न बसोत्रा जी द्वारा उन्हें सम्मानित मंच पर आसीन भी किया गया था। जिनके लिए मेरे मन में उनकी अपार शैक्षणिक योग्यता का भ्रम उत्पन्न हुआ था। जिसके आधार पर मैंने अपनी रचना का श्रीगणेश करते समय उपरोक्त महानुभावों से प्रश्न किए और उनसे अध्यक्षीय संबोधन में सार्वजनिक उत्तर पाने की अभिलाषा भी व्यक्त की थी। हालांकि प्रश्न सम्पूर्णतः हिंदी भाषा और जम्मू कश्मीर संघ अर्थात केंद्र शासित प्रदेश के हिंदी भाषी विद्वानों के साथ हो रहे भेदभाव पर आधारित था। जिसे मैंने पहले भी अपने आलेखों के माध्यम से कई बार दोहराया है? जबकि अपनी नौ स्वप्रकाशित पुस्तकों में से एक शुद्ध हिंदी ग़ज़ल की पुस्तक "राष्ट्र के नाम संदेश" आदरणीय डॉ सतीश विमल जी को सादर भेंट करते हुए भी उनसे बार बार प्रश्न पूछा था कि स्वातंत्र्योत्तर आजादी के अमृत महोत्सव तक अर्थात पचहत्तर वर्षों में साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा जम्मू कश्मीर राज्य अर्थात केंद्र शासित प्रदेश के विद्वान लेखकों में से हिंदी भाषा के विकास एवं समृद्धि हेतु साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा "हिंदी परामर्श बोर्ड" के लिए अब तक एक भी सदस्य क्यों चयनित नहीं किया गया? 
           जिसके आधार पर प्रश्नचिह्न स्वाभाविक हैं कि क्या जम्मू और कश्मीर के असंख्य हिंदी प्रोफेसरों सहित अनेक गणमान्य राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हिंदी लेखक अयोग्य थे या हैं? जबकि यहां भ्रष्टाचार पर आधारित विश्व की सबसे लम्बी ग़ज़ल का कीर्तिमान स्थापित करने वाले भी सभागार में विराजमान थे। तथापि हमारे बीच से साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा हिंदी परामर्श बोर्ड का कन्वीनर तो छोड़ो कोई सदस्य भी क्यों नहीं बनाया गया? विशेषकर अब तो निडर हस्ताक्षर माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी और अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी ने जम्मू कश्मीर की विशेष धारा 370 को समाप्त भी कर दिया है। जिसके आधार पर जम्मू कश्मीर को भारत का अभिन्न गौरवान्वित प्रदेश बना दिया है। जिसमें उन्होंने हमे सम्पूर्ण भारतीय अधिकारों से ओतप्रोत कर दिया है। जिसके लिए जम्मू कश्मीर का राष्ट्रभक्त समुदाय सदैव उनका आभारी रहेगा। 
           चूंकि उन्होंने भारत, भारतीय और भारतीयता की बाधक लोहे की जंजीर नामक धारा 370 से जम्मू कश्मीर के नागरिकों को हमेशा के लिए मुक्त कर दिया है। जिन्होंने एक ओर न्याय के प्रति जागरूक महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को देश का राष्ट्रपति बनाया और दूसरी ओर देशवासियों हेतु न्यायव्यवस्था सुधारने के लिए न्यायमूर्ति श्री डी वाई चंद्रचूड़ जी को भारत का मुख्य न्यायाधीश बना दिया है। जिन्होंने न्यायिक सुधार हेतु अपने पिताश्री अर्थात माननीय उच्चतम न्यायालय के माननीय पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ जी के आदेश को पलटने का साहस दिखाया है। ऐसे में माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कार्यकाल में संस्कृति मंत्रालय के माननीय विद्वान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी जी के नेतृत्व में जम्मू और कश्मीर के हिंदी लेखकों के साथ साहित्य अकादमी दिल्ली भेदभाव कैसे कर सकती है?  
           इसके बावजूद मंचासीन आदरणीय डॉ सतीश विमल जी और डॉ अग्निशेखर जी ने अपनी अयोग्यता का सार्वभौमिक प्रदर्शन करते हुए मेरे यक्ष प्रश्न के समाधान हेतु "उत्तर" तो क्या अपने अध्यक्षीय संबोधन में मेरा नाम भी लेना उचित नहीं समझा। जिसका के. एल. सैहगल सभागार में उपस्थित विद्वानों द्वारा प्रतिक्रिया मांगने पर भी कोई उत्तर नहीं दिया था। जो उन दोनों की अयोग्यता का प्रमाण ही नहीं बल्कि मंचासीन वरीयता पद क्रम (प्रोटोकॉल्स) का भी उल्लंघन था। चूंकि पूछे गए प्रश्नों पर "उत्तर लेना" हमारा मौलिक अधिकार और "उत्तर देना" उनका मौलिक कर्तव्य था।            
           जिस पर आदरणीय डॉ सतीश विमल जी एवं डॉ अग्निशेखर जी के ज्ञान के चक्षुओं को खोलने हेतु सार्वजनिक बताना नैतिकता के आधार पर अत्यन्त आवश्यक ही नहीं बल्कि महत्वपूर्ण मानता हूॅं कि आप पिछले कई दशकों से विस्थापन के साहित्य द्वारा अपना रोना रो रहे हो। जबकि हमने भी अपने विस्थापन वाले घर को मनमस्तिष्क से नहीं निकाला है। क्योंकि हमने भी जन्म लेने के तीन वर्षों में ही 1965 और उसके उपरांत 1971 को पाकिस्तान द्वारा छेड़े युद्धों का दंश झेला है और सरकार द्वारा दी गई रेतीली जमीन पर हर वर्ष मात्र खर्च कर रहे हैं। जबकि हम भी भारतीय हैं और अपने संवैधानिक अधिकारों के प्रति जागरूक भी हैं। उसके बावजूद हमने अपनी पैतृक संपत्ति/जमीन (मनावर) खोकर "समाचार-पत्र" बेचकर अपने पापी पेट को भरा है। इससे भी भयंकर पीड़ा केंद्रीय गृह मंत्रालय के एसएसबी विभाग ने हमें दी थी जब डॉक्टरों द्वारा घोषित तपेदिक रोग में उन्होंने मेरे वेतन भत्तों को रोकने का मुझे निरापराध दण्ड दिया था। जिस दण्ड को उस समय भी भोगा था और उसके अवशेषों को मेरे साथ साथ मेरा पूरा परिवार आज भी भोग रहा है। जो राष्ट्रहित में राष्ट्र को समर्पित हैं।  
           अब रही बात लेखन की तो मैंने भी बाल्यकाल से लिखना आरम्भ किया हुआ है और 1980 में जनरल आडिटर श्री मुहम्मद यूसुफ टेंग की छत्रछाया में सम्पादक श्री ओम गोस्वामी जी के नेतृत्व में डोगरी शीराज़ा में "नमियां कलमा" नामक युवा अंक के पृष्ठ 75 पर "ब्हादर माह्नु बाडर दे" नामक डोगरी भाषा में अपनी कविता प्रकाशित कर लेखक होने का शंखनाद कर चुका हूॅं। ऐसे बहुत से शीराज़ा इसके साक्षी हैं। जिन शीराज़ाओं में फरवरी-मार्च 1989 के ग़ज़ल अंक में पृष्ठ 85-86 पर प्रकाशित मेरी दो ग़ज़लें मुझे ग़ज़लकार घोषित कर रही हैं। जिनके बावजूद आपके पास बैठे मुख्य सम्पादक आदरणीय डॉ रत्न बसोत्रा जी के बहकावे में आकर आपने मुझे बच्चा समझते हुए मेरे साहित्यिक प्रश्न का उत्तर देना भी उचित नहीं समझा। यहां तक कि आपको मेरे सफ़ेद बाल भी दिखाई नहीं दिए। डॉ सतीश विमल और डॉ अग्निशेखर जी ध्यान रहे उपरोक्त उपहास को "बुद्धिमानी" नहीं "मूर्खता" की विडंबना कहा जाता है। जिसके आधार पर आपको साधुवाद नहीं दिया जा सकता। चूंकि आपने अपनी साहित्यिक अयोग्यता को छुपाने का अथक प्रयास किया है। जिसके अंतर्गत मुझे अपमानित करने की समस्त सीमाएं आप लांघ चुके हैं। जिससे इस भेद का भी पर्दाफाश हो चुका है कि आप अपनी योग्यता के आधार पर मंचासीन नहीं हुए थे। बल्कि डॉ रत्न बसोत्रा जी की कृपादृष्टि मात्र से मंच पर सुशोभित हुए थे। अन्यथा जम्मू संभाग के कई प्रतिष्ठित लेखिकाएं/लेखक सभागार में विराजमान थे। आदरणीय डॉ सतीश विमल जी और डॉ अग्निशेखर जी मेरे यक्ष प्रश्न पर आपकी चुप्पी बहुत कुछ स्पष्ट कर गई है। स्पष्ट यह भी हो गया है कि बहुत सी साहित्यिक संस्थाओं के सुयोग्य साहित्यकारों को आमंत्रित क्यों नहीं किया जाता और वह कल्चरल अकादमी के कार्यक्रमों में भाग लेने सभागार में क्यों नहीं आते? यह भी पता चल गया कि अध्यक्षीय भाषण के उपरांत वरीयता पद क्रम का उल्लंघन करते हुए पुंछ के साहित्यकार डॉ लियाकत शाह क्यों मंच पर बोलने चले गए थे। हालांकि उनको रोकने के लिए मेरे पूज्य वरिष्ठ लेखक प्रोफेसर अशोक गुप्ता जी भी उन्हें रोकने का हार्दिक प्रयास करते रहे थे। यह सब आपको विनम्रतापूर्वक मनन एवं मूल्यांकन हेतु हृदय तल आवेदन कर रहा हूॅं। ताकि शून्य की परिधि में आप मंथन कर सकें कि आपने साहित्य को क्या साहित्यिक पीड़ा दी है?  
           अतः उपरोक्त महानुभावों द्वारा दी गई मानसिक पीड़ाओं से क्षुब्ध होकर अपने उक्त मौलिक अधिकारों को प्राप्त करने हेतु संभवतः शीघ्र ही संकेतिक धरना प्रदर्शन किया जाएगा और उसके उपरांत माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय या केंद्रीय प्रशासनिक प्राधिकरण में याचिका दायर कर चुनौती दी जाएगी। चूंकि मैं चापलूस साहित्यकार नहीं हूॅं और न ही तथाकथित अखिल भारतीय चापलूस लेखकों की सूची में सूचीबद्ध हूॅं। जो मुख्य सम्पादक श्री रत्न बसोत्रा जी जैसे वैतनिक मूल दायित्व के निर्वहन हेतु उन्हें साधुवाद देते हुए अपने सिर पर बिठा लेते हैं। जिसके लिए सरकार उन्हें प्रति माह भारीभरकम वेतन देती है। जिसे देश के समस्त नागरिकों से कर (टेक्स) के रूप में बसूला जाता है। जिसके लिए आदरणीय सचिव श्री भरथ सिंह मन्हास जी को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए और विभागीय जांच कर कार्रवाई करनी चाहिए। उन्हें मूल्यांकन करना चाहिए कि जम्मू संभाग के सक्षम रचनाकारों का तिरस्कार क्यों किया जा रहा है? जबकि प्रश्न यह भी है कि स्थानीय लेखकों को मात्र ₹ 1350 के अल्प शुल्क में भी बुक क्यों नहीं किया जाता? क्या वास्तव में समय की इतनी कमीं है कि आमंत्रित कवियों को निःशुल्क भी कविता न पढ़ने दी  जाए? क्या यह आमंत्रित कवियों का उपहास नहीं है? ऐसी परिस्थितियों में भारतीय सभ्यता और संस्कृति के साथ साथ माता सरस्वती का भी उपहास क्यों उड़ाया जा रहा है? हालांकि प्रश्न सम्पूर्णतः गंभीर है कि जम्मू संभाग के कितने लेखकों को अब तक कश्मीर संभाग में वायुयान का किराया देकर कश्मीर भेजा गया है? स्वातंत्र्योत्तर से लेकर आज़ादी के अमृत महोत्सव तक अर्थात पचहत्तर वर्षों में कितने आर्थिक अशक्त लेखकों को पुस्तक प्रकाशित करने हेतु सब्सिडी दी गई है? क्यों मुख्य सम्पादक आदरणीय डॉ रत्न बसोत्रा जी पत्रवाचन के लिए अकादमी हेतु लेखकों से निशुल्क पुस्तकों की मांग कर रहे हैं? यक्ष प्रश्न स्वाभाविक है कि एक ओर जम्मू और कश्मीर कल्चरल अकादमी सभी लेखकों को सब्सिडी नहीं देती तो दूसरी ओर अकादमी बिना सब्सिडी प्राप्त करने वाले लेखकों से निशुल्क पुस्तक कैसे मांग सकती है? अर्थात लेखकों द्वारा अपने पैसों से प्रकाशित पुस्तकों में से मात्र एक पुस्तक खरीदने में अकादमी क्यों सक्षम नहीं है? क्या जम्मू कश्मीर कल्चरल अकादमी भिक्षुक का रूप धारण कर भिक्षावृत्ति पर निर्भर हो चुकी है? 
           अंततः मेरा अकादमी के आदरणीय सचिव श्री भरथ सिंह मन्हास जी, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के माननीय उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा जी, संस्कृति मंत्रालय के माननीय मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी जी, माननीय गृह मंत्री श्री अमित शाह जी, अंतरराष्ट्रीय सशक्त हस्ताक्षर माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, भारत के माननीय विद्वान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री डी वाई चंद्रचूड़ जी और देश की न्यायप्रिया माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी कृपया मेरे यक्ष प्रश्नों के उत्तर देते हुए मेरी जिज्ञासा शांत करें और सादर बताएं कि स्वातंत्र्योत्तर आजादी के अमृत महोत्सव तक अर्थात पचहत्तर वर्षों में साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा हिंदी परामर्श बोर्ड में जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश से हिंदी भाषा के विकास एवं समृद्धि हेतु एक एक बार भी कन्वीनर या सदस्य क्यों मनोनीत नहीं किया गया? सम्माननीयों जय हिन्द 



 
 प्रार्थी 
इंदु भूषण बाली
व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता (पिटीशनर इन पर्सन)
वरिष्ठ लेखक व पत्रकार, राष्ट्रीय चिंतक, स्वयंसेवक, भ्रष्टाचार के विरुद्ध विश्व की लम्बी ग़ज़ल, राष्ट्रभक्ति एवं मौलिक कर्तव्यों के नारों में विश्व कीर्तिमान स्थापितकर्ता 
एवं
भारत के राष्ट्रपति पद का पूर्व प्रत्याशी,
वार्ड अंक 01, डाकघर व तहसील ज्यौड़ियां, जिला जम्मू, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, पिनकोड 181202।

अन्य डायरी की किताबें

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आहत भावनाओं से राहत !           (आलेख) 

20 मई 2023
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संविधान के अंतर्गत संवैधानिक गतिविधियों के अनुसार सरकारी नियमों का पालन करते हुए लाभान्वित होने की प्रसन्नता से भले ही मैंने दूसरों को घोड़े बेचकर सोने का पराम

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इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों का प्रयोग !                      (आलेख)

20 मई 2023
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माननीय उच्चतम न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ जी एक लम्बे समय से मुझे समझाया जा रहा है और उक्त समझाने के पीछे की विशेष कुटिल इच्छा यह है कि

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ग़ज़ल

21 मई 2023
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ग़ज़लसीने में धधकते शोले जगमगाते रहो। जागते रहो और अन्य भी जगाते रहो।।यूं ही दूसरों के गालों को सहलाओ न।दरिया आग की ऑंच का बहाते रहो।। शव सभी बिखरे हुए, पर जिंदा हैं हम।क्रोध छोड़ो न दीप रक्

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आज के दिन के हर पल को आनन्दमय बनाओ !                        (आलेख)

21 मई 2023
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गीता सार कहता है कि अतीत को अधिक नहीं कुरेदना चाहिए। चूंकि वह कष्ट देता है और गीता सार यह भी मार्गदर्शन करता है कि भविष्य के प्रति भी अधिक संवेदनशील नहीं होना

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ध्यान ! (आलेख)

22 मई 2023
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ध्यान रहे कि ध्यान अपने चारों ओर वृताकार आग लगाकर समाधी लगाने को ही नहीं कहते बल्कि अपने कर्मों के प्रति सशक्त एवं संवेदनशील जागरूकता को भी ध्यान कहते हैं। ध्य

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न्यायिक नपुंसकता और मौलिक कर्तव्यों की चक्की में सिसकते मौलिक अधिकार !              (आलेख) 

22 मई 2023
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न्यायिक नपुंसकता और मौलिक कर्तव्यों की चक्की में सिसकते मौलिक अधिकार ! (आलेख) सत्य केवल उनके लिए ही कड़वा ह

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अपनों का रक्तपात कैसे करूं?                (आलेख)

23 मई 2023
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सर्वविदित है कि अपने तो अपने होते हैं। फिर अपनों का सिर कलम करना कैसे संभव हो सकता है? जिसकी गोद में सिर रखकर बचपन बिताया हो, उसे नुकीले बाणों पर घायलावस्था मे

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कारागार से मुक्ति !      (आलेख)

24 मई 2023
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कर्म मानव जीवन के आधार बिंदु हैं। वह किस रूप में प्रकट हो जाएं कोई नहीं जानता। अर्थात कर्म वह बीज हैं जिनके उत्पन्न होने पर पेड़ बनता है और उक्त पेड़ पर

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ग़ज़ल

25 मई 2023
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मानवता तरसती रही माननीय प्यार में।बर्बाद होता रहा बस भरोसे सरकार में।। छोड़ो बातें सामाजिक कार्यकर्ताओं की। धोखेबाजी में सक्षम देखो खड़े कतार में।। कल भी आए थे चार सज्जन समझाने। गल

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ग़ज़ल

26 मई 2023
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प्राकृतिक व्यक्तित्व में निखार आता है। मेरे क्रोध पर भी आपको प्यार आता है।। यह अनुकंपा एवं ईश्वरीय आशीर्वाद है।अन्यथा प्यार भी कहां सरकार आता है।। यह सृष्टि अत्यंत आलौकिक है लेकिन।&nbsp

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भारतीय अर्थव्यवस्था 2023-24

26 मई 2023
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भ्रष्टाचार और न्यायिक आतंकवाद के कर कमलों द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था बिगड़ ही नहीं रही बल्कि चक्कनाचूर हो रही है। जिसके आधार पर हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पिछड़ गए हैं। हमारे रूपए का मूल्य डालर के प्रति

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भारतीय अर्थव्यवस्था 2023-24 !                 (आलेख) 

26 मई 2023
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भ्रष्टाचार और न्यायिक आतंकवाद के कर कमलों द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था बिगड़ ही नहीं रही बल्कि चक्कनाचूर हो रही है। जिसके आधार पर हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर

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जिन्हें ईश्वर सद्बुद्धि दें !         (आलेख)

28 मई 2023
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सुबह सबेरे बिस्तर से उठा और नियमानुसार सैर करने के लिए पग उठाने से पहले अपनी इच्छानुसार यूट्यूब पर गीत सुनने के लिए मोबाइल आरम्भ किया। फिल्म 'संबंध' के गीतकार

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नई संसद ! (आलेख) 

29 मई 2023
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नई संसद आजादी के अमृत महोत्सव कार्यकाल की नई सुबह की भांति प्रकाशमान होने वाली नई किरण प्रमाणित होनी चाहिए। जिसके लिए माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी

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ग़ज़ल

29 मई 2023
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सबकुछ भूलकर अपने घर आ जाओ।ईश्वरीय अनुकंपा समझ तुम छा जाओ।।समय है प्रेम की परीक्षा न लो प्रियतमा। आओ अपनी इच्छा के गीत गा जाओ।।मत करो भरोसा तथाकथित अपनों पे। सुनलो मेरी और अपनी गुनगुना जाओ।।&

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अनुच्छेद 32 और मेरी असंवैधानिक दिव्यांगता पेंशन?                             (आलेख) 

30 मई 2023
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माननीय उच्चतम न्यायालय के माननीय विद्वान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री डी वाई चंद्रचूड़ जी भारतीय संविधान का अनुच्छेद 32 भारत के प्रत्येक नागरिक को वचन देता

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ग़ज़ल

31 मई 2023
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जो कुत्ते भौंकते हुए काटने को आते थे एक पग उठाने पर।समय परिवर्तित होते ही दुम हिलाते थे एक पग उठाने पर।।हालांकि शब्दावली पहले की भांति अद्वितीय है अभी भी।परन्तु भाग्य बदलते ही दूध पिलाते थे एक पग उठान

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ग़ज़ल

1 जून 2023
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साठ की आयु में यौवन का अविष्कार हो गया। बैठे ही बैठे देख लो मैं धनी शाहूकार हो गया।। मेरी मृत्यु के फैला रहे थे जो लोग चर्चे अनेक। उनके सामने ही सैनिकों सी ललकार हो गया।। पीड़ाएं भ

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ग़ज़ल

1 जून 2023
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साठ की आयु में यौवन का अविष्कार हो गया। बैठे ही बैठे देख लो मैं धनी शाहूकार हो गया।। मेरी मृत्यु के फैला रहे थे जो लोग चर्चे अनेक। उनके सामने ही सैनिकों सी ललकार हो गया।। पीड़ाएं भ

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ग़ज़ल

1 जून 2023
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ऑंखों का धोखा था कि पानी है। सॉंस जीवन की कड़वी कहानी है।। मैं टूटा नहीं तोड़ने का प्रयास था। लक्ष्मी चंचल है आनी व जानी है।। मेरे अपने हैं अपने ही रहेंगे भाई। घरों में लड़ाई

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ओडिशा ट्रेन दुर्घटना         (आलेख) 

3 जून 2023
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ओडिशा के बालासोर में कल शाम तीन ट्रेनों अर्थात रेलगाड़ियों अर्थात लौह पथ गामिनियों में भीषण टक्कर के कारण हुई दुर्घटना में सैंकड़ों अनमोल जीवन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़

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आओ और मुझे समझाओ जो समझाना चाहते थे !                            (आलेख) 

4 जून 2023
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अद्भुत अद्वितीय अकल्पनीय अविश्वसनीय कष्टों से मुक्ति पाने में सफलता की ओर बढ़ने पर मन मस्तिष्क में एक विचित्र प्रश्न उभर रहा है कि विद्वान लोग मुझे समझाना क्या

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बालासोर हादसे की जांच !            (आलेख) 

4 जून 2023
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दुर्घटना के उपरांत न्यायिक जांच समसामयिक प्रथा बन चुकी है। वह जांच न्यायिक अधिकारियों के द्वारा करवाई जाए या न्यायिक विशेषज्ञ आयोग द्वारा करवाई जाए। परन्

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विश्व पर्यावरण दिवस !        (आलेख) 

5 जून 2023
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विश्व के जितने भी दिवस हैं जैसे विश्व क्षय रोग दिवस, विश्व पशु कल्याण दिवस, विश्व शिक्षक दिवस, विश्व वन्यजीव दिवस, विश्व महिला दिवस, विश्व उपभोक्ता दिवस, विश्व

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ग़ज़ल

6 जून 2023
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यह मेरा सौभाग्य है कि चुनौतियों से लड़ा हूॅं मैं। इसलिए अपनी आयु से कहीं अधिक बड़ा हूॅं मैं।। लोग अपने जीवन में मरते हैं बस एक बार ही। परन्तु अपने प्रत्येक शोध में कई बार मरा हूॅं मैं।।

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भारतीय पहलवान आंदोलन !             (आलेख) 

6 जून 2023
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आंदोलन चाहे पहलवानों के हों या सामाजिक, सांस्कृति, आर्थिक और राजनीतिक संगठनों के हों। परन्तु आंदोलन तो आंदोलन ही होते हैं। जिन आंदोलनों में पीड़ितों की सर्वोच्

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साहित्यिक बलात्कारियों एवं हत्यारों को फांसी कब?                            (आलेख) 

7 जून 2023
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बलात्कार एवं हत्या जैसे अपराधियों का अपराध के पीछे का आपराधिक दृष्टिकोण क्या होता है? इसके संबंधित अपने अल्प ज्ञान के कारण मैं कुछ नहीं जानता हूॅं। परन्तु इतना अवश्य

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यूपी की ध्वस्त कानून व्यवस्था !             (आलेख) 

8 जून 2023
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यूपी की ध्वस्त कानून व्यवस्था ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय विधिक व्यवस्था ही ध्वस्त हो चुकी है। जिसमें सुधार करने की अत्यंत आवश्यकता है और संभवतः माननीय महामहिम रा

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चापलूसी यदि साहित्य है तो मैं साहित्यकार नहीं हूॅं !                           (आलेख) 

12 जून 2023
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मेरा जीवन एक खुली किताब है। जिसके प्रत्येक पन्ने पर मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों के कारण उत्पन्न हुई चुनौतियों के संघर्षों की मोहर लगी हुई है। जिनमें अधिक

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जंगल में मोर नाचा किसने देखा ?               (आलेख) 

14 जून 2023
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जंगल में मोर नाचा किसने देखा ? (आलेख) जम्मू और कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी जम्मू में डोगरी और हिं

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ग़ज़ल

15 जून 2023
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मेरी ऑंखों के समंदर से मोतिया निकलता है। तेरी क्रूरता अटल मुख से वाह वा निकलता है।। सितारे कैसे तोड़ लाऊं मैं तेरे लिए आकाश से।घुटन पीड़ा आंतों के क्षय से दरिया निकलता है।। बुलंदियों पर

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महा विनाशकारी चक्रवात !           (आलेख)

15 जून 2023
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चक्रवात अत्यधिक विनाशकारी होते हैं। जिसमें हवाएं तांडव नृत्य करती हैं। जिससे समुद्र का पानी दिवार की भांति आगे बढ़ता है और कम ऊंचाई पर स्थित तटीय क्षेत्रों मे

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मेरा खोया सम्मान और बीता यौवन वृद्धावस्था में लौट आया है !                              (आलेख) 

16 जून 2023
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कहते हैं कि एक बार सम्मान तथा यौवन चला जाए तो वह लौटकर नहीं आता है। उक्त कथन पूरी तरह असत्य प्रमाणित हो रहा है। चूंकि मेरे विरोधी साजिशकर्ताओं ने मुझे जीवनभर क्रूरतम

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भय के डर से निर्भय होकर संघर्ष करो !                     (आलेख) 

17 जून 2023
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नाशवान संसार में नाश होने के भय के डर से निर्भय होकर सत्य पर आधारित अपने मौलिक कर्तव्यों पर सदैव संघर्षरत रहना चाहिए। उक्त लड़ाई में लड़ते-लड़ते वाद/विवाद की क

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समान नागरिक संहिता ! आलेख

17 जून 2023
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भारत में रहने वाले प्रत्येक नागरिक हेतु कानून समान होना चाहिए। भले ही वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो? भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है। जिसका अर्थ यह

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मित्रतापूर्ण प्रतिद्वंद! आलेख

18 जून 2023
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अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि दो प्रख्यात लेखकों में "मित्रतापूर्ण प्रतिद्वंद" के नाम से लेखन प्रतियोगिता आरम्भ हो चुकी है। जिसमें एक ओर भारत सरकार के गृह मंत्रालय क

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भयशीलता की पराकाष्ठा! (आलेख)

19 जून 2023
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पंजाबी गीत "भट्ठी वालिए दुक्खां दा परागा भुन्न दे" सुनाई दे रहा था। जिसमें वास्तव में वास्तविक पीड़ाएं थीं। जो गायक निजी और सांसारिक पीड़ाओं को उस भट्ठी वाली क

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शत्रु को पहचानें ! (आलेख)

20 जून 2023
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जीवन एक खुली चुनौती है और चुनौतियों से भरा सम्पूर्ण जीवन है। जिसमें हम सब एक ओर मौजमस्ती करते हुए अपनी यात्रा में अग्रसर हो रहे हैं और दूसरी ओर नर्क भोगते हुए जीवनया

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ग़ज़ल

21 जून 2023
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मेरा किया धरा सब बेकार हो गया। बोलती बंद चुप पूरा संसार हो गया।। कहा था उसने न्यायालय में मिलेंगे।परंतु लुप्त कहां लो सरकार हो गया।। कल्चरल अकादमी सब लेखकों की सेवकों का कैसे वह दर

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ग़ज़ल

21 जून 2023
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मैं तेरी दुनिया छोड़ चला।तेरे बंधन सारे तोड़ चला।। यौवन तेरा मेरा था परन्तु।अंधेरों से नाता जोड़ चला।। मैं लम्बी रेस का घोड़ा था।जितना हो सका दौड़ चला।। सूरदास भी न हूॅं प्रियतम। ज

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पशुधन विधेयक 2023 ! आलेख

22 जून 2023
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उपरोक्त विधेयक पुरजोर विरोध के बाद केंद्र सरकार ने वापस ले लिया है। चूंकि पशुपालकों के अनुसार उक्त विधेयक के पश्चात पशुधन और पशुधन उत्पाद से आयात और निर्यात पर अत्यध

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ग़ज़ल

23 जून 2023
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मेरी सीमांत योग्यता को जिसने भी ललकारा है। ईश्वर साक्षी है वे हर क्षण और स्थान पर हारा है।। भारत देश है मेरा और सौभाग्यवश मैं भारतीय। भारतीयता को जो भी मानें मुझे अत्यंत प्यारा है।।&nbs

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ग़ज़ल

25 जून 2023
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मैं पत्थर हूॅं पुजारी तुम्हारा।प्रेम में डूबा सारे का सारा।। ठोकर जो मारी तुम सबने। गोल होता गया मैं बेचारा।। प्रयास सबने किए गिरा न। फिसला पर जीता न हारा।। आप सौभाग्य हो मेरा

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ग़ज़ल

25 जून 2023
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चलो वस्त्र पहनकर सम्पूर्णतः नंगे हो जाएं। उठकर वासनाओं से आत्माओं में खो जाएं।। पवित्रता के समंदर में कूदना आसान कहां। ठंडी आग की भट्ठी के अंगारों पर सो जाएं।। सबकुछ भूलकर बच्चों क

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पारदर्शी भारत अभियान और मेरा संघर्ष! आलेख

26 जून 2023
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सर्वविदित है कि जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी द्वारा प्रकाशित डोगरी/हिंदी भाषा की पत्रिका शीराज़ा के मुख्य सम्पादक आदरणीय डॉ रत्न बसोत्रा जी "पारदर

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कुत्ते का कुत्ता बैरी ! आलेख

27 जून 2023
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"ओखली में सिर दिया, तो मूसलों से क्या डर" लोकोक्ति भी मुझे निरंतर प्रोत्साहित कर रही है। जो मेरा साक्षात मार्गदर्शन भी कर रही है कि जब मैंने देश सेवा करने के लिए ठान

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ग़ज़ल

27 जून 2023
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जब अपनी कहानी पर रोना आया। तब कांटों की सेज पर सोना आया।। सिलवटें बिस्तर की कभी गई नहीं। तथापि याद पाना औ खोना आया।। मिट्टी हुए छाती फाड़कर भूमि की। तभी तो धरती में बीज

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राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस! आलेख

1 जुलाई 2023
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आज राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस है। जो प्रख्यात भारतीय चिकित्सक, शिक्षाविद, स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ डॉ बिधान चंद्र रॉय की जयंती के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्

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राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस ! आलेख

1 जुलाई 2023
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आज राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस है। जो प्रख्यात भारतीय चिकित्सक, शिक्षाविद, स्वतंत्रता सेनानी और राजनीतिज्ञ डॉ बिधान चंद्र रॉय की जयंती के उपलक्ष्य में प्रत्येक वर्

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निडरता से सामना प्रत्येक समस्या का समाधान ! आलेख

2 जुलाई 2023
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जब तक याचिकाकर्ता अपराधी को दण्डित करने के लिए कठोरता से आग्रह नहीं करते, तब तक माननीय न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश भी अपराधी को कठोर दण्ड से दण्डित नही

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ग़ज़ल

2 जुलाई 2023
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जन्म से मरण तक संघर्ष करो।करो न करो कुछ पर हर्ष करो।। भले जीवन का आधार ना हो। पर जीने हेतु प्रेम हर वर्ष करो।‌।यह संसार बहुत बड़ा है परन्तु। स्वयं को प्रमाणित आदर्श करो।। मत भूलो स

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मंचासीन होने हेतु तलवे चाटना क्या न्यायोचित है? आलेख

3 जुलाई 2023
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जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी जम्मू इन दिनों चर्चाओं के गलियारों में है। जिसमें हिंदी क्षेत्र के वरिष्ठ रचनाकारों में युद्ध स्तर पर मंथन हो रहा है

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क्या आप स्वयं संतुष्ट एवं शांत हैं ? (आलेख)

4 जुलाई 2023
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जो बना, वह मिटा है। जो जन्मा, वो मरा है। यह प्राकृतिक नियम के प्राकृतिक सौंदर्य का प्राकृतिक सौंदर्यीकरण है। जिसे प्राकृतिक परिवर्तन कहना भी अतिश्योक्ति नहीं ह

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ग़ज़ल

5 जुलाई 2023
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चलो एक बार कर के देखें।सलाखों में से डर के देखें।। अपनी दुनिया रूखी सही।धनिया पाउडर भर के देखें।। कब तक कुएं के मेंढक रहें। क्यों ना समंदर तर के देखें।। चोरी की चिंताओं को छोड़।&nb

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ग़ज़ल

6 जुलाई 2023
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न पूछो पीड़ा कितनी मेरी अंतड़ियों में। दिखाई देती हैं डॉक्टरों की परचियों में।।मिलन की चाहत छोड़कर देख ली मैंने। ममतामई सौभाग्य कहां है बर्बादियों में।। हमारा सम्पूर्ण जीवन एक उदाहरण है

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राष्ट्रभक्ति की आग की आंच के सेंक से मेरे बच्चे भी अछूते नहीं रहे ! आलेख

7 जुलाई 2023
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मृत्युदंड के अपराधी को मृत्यु से कुछ समय पूर्व काल कोठरी में बंद कर दिया जाता है। सुना है कि वहां ढंग से लेटा, खाया और आराम भी नहीं किया जा सकता।

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ग़ज़ल

8 जुलाई 2023
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मुझे ईश्वर मिल गए सोचता हूॅं। पुष्प सारे खिल गए सोचता हूॅं।। जो समझाते रहे यूं जीवनभर। मन उनके हिल गए सोचता हूॅं।।मैं तो पहले सा ही हूॅं माननीयों। हार तुम्हारे दिल गए सोचता हूॅं।।&

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बुढ़ापे में यौवन ! आलेख

9 जुलाई 2023
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इसमें कोई दोराय नहीं है कि जब राष्ट्रहित में न्यायिक युद्ध में सम्पूर्ण सफलता प्राप्ति हेतु मैं समाचारपत्र विक्रेता के रूप में गलियों से गुजरता था। तो उन विपरी

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पुरस्कार ले लो पुरस्कार ! (आलेख)

10 जुलाई 2023
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प्रातः काल की सैर में असंख्य शीतल मोतियों को पैरों तले कुचलकर मन मस्तिष्क प्रसन्न हुआ है। जिस अनमोल कृत्य से अनुभव हो रहा था कि मैं भ्रष्टाचार और भ्रष्ट व्यवस्

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ग़ज़ल

11 जुलाई 2023
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मैं भारतीय जम्मू और कश्मीर हूॅं। भूषण की शशि, रांझे की हीर हूॅं।। मेरा सौभाग्य मैं पुनर्जीवित हुआ। पौरुष बल से अभिनंदन शरीर हूॅं।। जो भी है तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत है।मैं अद्वितीय

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ग़ज़ल

12 जुलाई 2023
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शांति और धैर्य रखें बर्बादी के समय।शीघ्रता कभी ना करें शादी के समय।। एक ही नियम हो पूरे भारत में सनम। केंद्र गंभीर न बढ़ती आबादी के समय।। देश को हानि पहुंचाने वाले बाज़ आएं। छोड़ा

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ग़ज़ल

14 जुलाई 2023
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बची है जो जिंदगी चलो मज़ा करें।शनि देखेंगे उन्हें जो हमसे दगा करें।। सच्चाई का मोल आखिरी क्षणों में। बस इतना बता दो कैसे सजा करें।। पूरी दुनिया जाए भाड़ में क्यों कहें। पवित्र कहां

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ग़ज़ल

17 जुलाई 2023
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मेरी ढाल और तलवार ग़ज़ल है। मेरे आलेख की तेजधार ग़ज़ल है।। मेरा जीवन निष्पक्ष जांच की मूर्त। जिसमें तेरा निर्मल प्यार ग़ज़ल है।। तू देवी स्वरूप धर्मपत्नी है मेरी। सुशीला सम्पू

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हिंदी ग़ज़ल पर बहुत अनाप शनाप लिखा जा रहा है। पढ़कर दुख होता है:- निदा नवाज़। (आलेख)

17 जुलाई 2023
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उपरोक्त शब्द समकालीन उच्च शिक्षा प्राप्त एवं जम्मू कश्मीर के विद्वान हिंदी कलमकार श्री निदा नवाज़ जी ने अपनी फेसबुक पर लिखे हैं। उक्त शब्दावली की उत्पत्ति उन्ह

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कामदेव का वध ! (आलेख)

18 जुलाई 2023
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यौवन में सदैव सुखमय जीवन व्यतीत करने हेतु काम के देव "कामदेव" का वध आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य है। चूंकि जब तक कामदेव चंचल, सजग, सक्रिय एवं प्रभावी रहेंगे त

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मैं स्वर्गीय पंडित विद्या रत्न 'आसी' नहीं हूॅं। (आलेख)

21 जुलाई 2023
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मैं अद्वितीय हूॅं। मेरी व्यथा अंतरराष्ट्रीय स्तर की है। जबकि सौभाग्यवश मैं अद्भुत योद्धा, निडर लेखक एवं पत्रकार, आलोचनात्मक समीक्षक, राष्ट्रीय विधिक ज्ञाता, रा

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ग़ज़ल

21 जुलाई 2023
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भूल पिछली बातों को वर्तमान देख।क्यों हुई ऐसी दशा अपनी जान देख।। कहते जिसे तुम सब मिलकर पागल। अपनी दुर्दशा और उसकी शान देख।। भरोसा था उसे अपने ईश्वर पे देखो। मरने से पहले उसे मिला व

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ग़ज़ल

22 जुलाई 2023
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चक्रव्यूह आज भी रचाए जा रहे हैं। अभिमन्यु भी पुनः फंसाए जा रहे हैं।। सत्य मेव जयते हमारी सभ्यता पर।महाभारत से कर्म कराए जा रहे हैं।। समय का चक्कर कभी रुकता नहीं। बल पूर्वक अशक्त दब

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आप तो विद्वान हैं : न्यायिक रजिस्ट्रार ! (आलेख)

23 जुलाई 2023
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अंततः 19-07-2023 का दिन उगने वाला था। जिसकी प्रतीक्षा मैं दिनांक 02-06-2023 से व्यग्रतापूर्वक कर रहा था। जिसके लिए माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्याया

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सुशीला चलो जीवन जी लें! (आलेख)

25 जुलाई 2023
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आज मंगलवार है और मंगलकामनाओं सहित मंगलकारी जीवनयापन हेतु मंगल आलेख के माध्यम से मंगल आमंत्रित कर रहा हूॅं कि "सुशीला बाली" चलो जीवन जी लें। वह अनमोल जीवन जिसकी

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ग़ज़ल

27 जुलाई 2023
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आज़ पुनः बरसात हुई।आनंदपूर्ण मेरी रात हुई।।जो भी समझाने आए। मेरे भाइयों की मात हुई।। वो बोली मैं तो परी हूॅं। सोचते सोचते प्रभात हुई।। राष्ट्र जाति न धर्म कोई। संवैधानिक ही बा

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ग़ज़ल

27 जुलाई 2023
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कुछ भी सुलझाने के लिए सरकार है कि नहीं। मंदिर मस्जिद के फसाद का आधार है कि नहीं।। हर कोई मुझे दुत्कारा कर चला जाता है यूं ही। किसी को भी मुझसे आंशिक प्यार है कि नहीं।। स्वार्थ के घ

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"उजड़ना" उज्ज्वल भविष्य का आधार ! (आलेख)

28 जुलाई 2023
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मां के गर्भ से स्वतंत्रता पाकर मैं अत्यंत रोया था। जिसके उपरांत मेरा दावा है कि अपने जीवन चक्र में रोते हुए जीवनयापन करने का अनुभव मेरे से अधिक किसी को नहीं हो

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ग़ज़ल

30 जुलाई 2023
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मुंसिफ बताओ मेरा अपराध क्या है। जिस पर दिया दण्ड वह वाद क्या है।। किस आधार पर दी मानसिक पेंशन। खुल कर खुले में बताएं याद क्या है।। क्यों भूल रहे भारत और भारतीयता। मानवता न हो

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संभवतः वह मेरी पीड़ाओं की गहराई माप रहे थे ! (आलेख)

1 अगस्त 2023
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बीते कल अर्थात 31 जुलाई 2023 को मैं माननीय रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल श्री एस आर गांधी जी की न्यायालय में अपनी याचिकाओं पर सुनवाई हेतु उपस्थित हुआ था। जहां पर पहुंच

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मैं कुर्सी के प्रति मौलिक कर्तव्यनिष्ठ हूॅं: अकादमी सचिव (आलेख)

3 अगस्त 2023
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मै यूं तो प्रत्येक तिथि और दिन शुभ होता है। परन्तु दिनांक इकतीस जुलाई दो हजार तेईस दिन सोमवार मेरे लिए अत्यधिक शुभ प्रमाणित हुआ था। चूंकि उस दिन मुझे सर्वप्रथम

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टूटे व्यक्तित्व ! (आलेख)

4 अगस्त 2023
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चारों दिशाओं की ओर देखने से पता चल रहा है कि प्रत्येक व्यक्ति कहीं न कहीं या किसी न किसी रूप से टूटा हुआ अवश्य है। भले ही वह अपने रोग को कितना भी छुपा ले पर छु

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"परस्त्री का हरण" (आलेख)

7 अगस्त 2023
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मानव का मन और मस्तिष्क एकांत होकर ही एकाग्रचित्त होता है। जिसमें "सागर" गागर में सिमट जाता है और आसमान धरती पर आ जाता है। वही एकाग्रता काम, क्रोध, लोह, मोह और

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अटल मृत्यु कभी भी दरवाजा खटखटा सकती है ! (आलेख)

7 अगस्त 2023
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मृत्यु अटल है। परन्तु मुझे समझाया जा रहा है कि मैं जीना सीखूं। समझाने वालों ने समझाते-समझाते मेरे आत्मविश्वास पर कुठाराघात किया और मेरी बीवी बच्चों को मुझसे अल

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उज्ज्वल भविष्य की ओर सुनहरे संकेत ! (आलेख)

11 अगस्त 2023
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मेरे जीवन चक्र में सरकार द्वारा हर पल फांसी पर लटकाने का भय और निरंतर चिंता व्याप्त थी। जिसकी निरंतर सोच एवं हाई आल्टिच्यूट में नियुक्ति करने के कारण मैं अंतड़

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साहित्यिक धरोहर "निर्दोष चौक" के प्रति हमारे मौलिक कर्तव्य! (आलेख)

14 अगस्त 2023
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स सौभाग्यवश स्वतंत्रता की श्रंखला में हम भारतवासी भारत की स्वतंत्रता का 77वां स्वतंत्रता दिवस अत्यंत हर्षोल्लास से 15 अगस्त 2023 को मनाने जा रहे हैं। जिसके लिए

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साप्ताहिक कहानी महोत्सव का प्रथम दिवस ! (आलेख)

20 अगस्त 2023
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जम्मू और कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी जम्मू को साधुवाद देते हुए मैं हार्दिक गौरवान्वित अनुभव कर रहा हूॅं। जिसके आयोजकों ने सात दिवसीय बहुभाषी कनिष्ठ कहा

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समस्या और शिकायत! (आलेख)

21 अगस्त 2023
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समस्या और शिकायत ! (आलेख) जम्मू और कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी जम्मू द्वारा आयोजित सात दिवसीय बहुभा

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जम्मू और कश्मीर की हिंदी भाषा दिव्यांग क्यों? (आलेख)

22 अगस्त 2023
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जम्मू और कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी जम्मू द्वारा आयोजित सात दिवसीय बहुभाषी कनिष्ठ कहानी महोत्सव के आयोजन का आज चौथा दिन था। जो पंजाबी भाषा को सम

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साप्ताहिक कहानी महोत्सव सौहार्दपूर्ण परिवर्तन का प्रतीक! (आलेख)

24 अगस्त 2023
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साप्ताहिक कहानी महोत्सव सौहार्दपूर्ण परिवर्तन का प्रतीक ! (आलेख)

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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदी भाषा कैसे फूले-फले! (आलेख)

25 अगस्त 2023
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हिंदी भाषा को अंतराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए मां भारती प्रायः अग्रसर रही है। जिसमें किसी को भी किसी भी दृष्टिकोण से आपत्ति नहीं है। चूंकि हिंदी भाषा का आर

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हमसे बड़ा सौभाग्यशाली कौन? (आलेख)

26 अगस्त 2023
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इसमें कोई संदेह नहीं है कि मुझे मानवता ने मारा, भाई बंधुओं ने घसीटा, मित्र वर्ग ने शत्रुता की और माननीय उच्च न्यायालय के तथाकथित माननीय विद्वान न्यायाधीश ने नि

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राष्ट्रभक्ति का उन्माद! (आलेख)

31 अगस्त 2023
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राष्ट्रभक्ति का उन्माद शतरंज की रानी की भांति सक्रिय होता है। वह कब किस ओर मुड जाए राष्ट्रभक्त को भी पता नहीं चलता। क्योंकि उन्माद के समस्त पर्यायवाची शब्द विच

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अंतरराष्ट्रीय शांति दिवस! (आलेख)

21 सितम्बर 2023
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खाली दिमाग शैतान का घर होता है। यह कहावत संयुक्त राष्ट्र संघ और उसके कर्ताधर्ताओं पर पूर्ण रूप से चरितार्थ होती है। क्योंकि वह प्रत्येक दिन को किसी न किसी विशे

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अतुकान्त कविता

22 सितम्बर 2023
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धैर्य की आवश्यकता ! (अतुकान्त कविता) ************ मेरा लक्ष्य बड़ा था संभवतः उसकी पूर्ति हेतु मन मस्तिष्कसहित समय भी अधिक लगना था। चूंकि विषैले विष का

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चुनौतियों का सामना करना हमारा मौलिक कर्तव्य है। (आलेख)

25 सितम्बर 2023
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यद्यपि हमारी सोच सकारात्मक है। वह मानवीय मूल्यों पर आधारित है। उसका दृष्टिकोण जनहितकारी है। जिसका दूरगामी परिणाम सामाजिक तंत्र को परिवर्तित करने वाला है

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ग़ज़ल

28 सितम्बर 2023
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जीता या हारा परन्तु संघर्ष चलता रहा। क्षण क्षण सौभाग्य का हर्ष बढ़ता रहा।। चंद्रमा पर विराजमान हैं अब भारतीय। आदित्य यान भी चंचल सरकता रहा।। मेरी औकात थी सो प्रयासरत रहा मैं।

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ग़ज़ल

28 सितम्बर 2023
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जीता या हारा परन्तु संघर्ष चलता रहा। क्षण क्षण सौभाग्य का हर्ष बढ़ता रहा।। चंद्रमा पर विराजमान हैं अब भारतीय। आदित्य यान भी चंचल सरकता रहा।। मेरी औकात थी सो प्रयासरत रहा मैं।

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काल्पनिक साहित्य कायर कबूतर की भांति? (आलेख)

29 सितम्बर 2023
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काल्पनिक साहित्य उस कायर कबूतर की भांति है जो बिल्ली को देखते ही अपनी ऑंखें बन्द कर लेता है और बिल्ली उसे आसानी से खा जाती है। इसी सिक्के के दूसरे पहलू का कड़व

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अतुकान्त कविता

2 अक्टूबर 2023
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मैं वास्तव मेंपागल ही तो थाजो समझता था निःसंदेह एवं निःसंकोच क्षेत्रीय भाषाई लेखकों केसाहित्य अकादमी पुरस्कार यापद्म भूषण पुरस्कार या पद्म विभूषण पुरस्कार या&n

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सजल

10 अक्टूबर 2023
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सजल हो या ग़ज़ल क्या पड़ता है अंतर।मनन करो बदल जाए सम्पूर्ण भ्रष्ट तंत्र।। दमन पर अभिनंदन समारोह नहीं होते। परम पूज्य संतों के नहीं हैं बेअसर मंत्र।। भरम है सबको कि वे मारेंगे दूस

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इक्कीसवीं सदी के डोगरी साहित्य में राष्ट्रीय भावना! (आलेख)

13 अक्टूबर 2023
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सार्वभौमिक सत्य यह है कि जम्मू और कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी जम्मू द्वारा आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में मुझे व्यक्तिगत रूप से तो नहीं परन्तु सर्वसाधार

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चूंकि लेखक हत्यारे नहीं राष्ट्रनिर्माता होते हैं! (आलेख)

14 अक्टूबर 2023
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जीवित रहते हुए कष्टदाई पीड़ाओं की यात्राओं से मुक्ति पाना सम्भवतः सम्भव नहीं होता है। परन्तु हृदयविदारक पूर्वकालीन कष्टदाई पीड़ाओं की यात्राओं के घावों पर वर्त

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अपने मौलिक अधिकारों पर डाका कैसे सहन करूं? (आलेख)

16 अक्टूबर 2023
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सौभाग्यवश जे.एंड.के अकैडमी ऑफ आर्ट, कल्चरल एंड लैंग्वेजज़, जम्मू द्वारा आयोजित दो दिवसीय डोगरी सम्मेलन में मुझे बिना बुलाए जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ था। वह डो

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स्वार्थ के कुत्तेपन के कीटाणुओं से सदैव बचें ! (आलेख)

19 अक्टूबर 2023
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निस्वार्थ जीवन निस्संदेह उत्तम होता है। भले ही वह जीवन सम्पूर्ण जीवन कष्टमय रहता है। परन्तु वह जीवन चारों दिशाओं में आलौकिक छटा बिखेरता है। उस जीवन के व्यक्तित

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दुष्ट जुगाड़ियों के जुगाड़ों की पोल खुलेगी! (आलेख)

21 अक्टूबर 2023
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दिनांक 21-10-2023 की महत्वपूर्ण सुबह के पॉंच बज गए हैं। नित्य कर्मों से निवृत्त होकर मैं लेखन कार्य में व्यस्त हूॅं। चूंकि सत्यमेव जयते के रणक्षेत्र में मेरा न

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वसुधैव कुटुंबकम की परम्परा! आलेख

22 अक्टूबर 2023
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मोहयाल बिरादरी के विद्वान सदस्यों सहित समस्त सर्वसाधारण सदस्यों के चेहरे उस समय खिल उठे, जब उन्हें जम्मू और कश्मीर मोहयाल सभा के माननीय विद्वान सचिव सहित पूजनी

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कृपया स्थानीय वास्तविक लेखकों को बढ़ावा दें! (आलेख)

23 अक्टूबर 2023
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लेखकों का स्वाभिमान उस समय तार-तार होकर प्रश्नचिन्हों के कटघरे में खड़ा हो जाता है। जब वे किसी साहित्य अकादमी की सरकारी पत्रिका के सह सम्पादकों/सम्पादकों/सांस्

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सजल

23 अक्टूबर 2023
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भूलो भूत को वर्तमान गले लगाओ। फूलो फलो व अपने स्वप्न सजाओ।। कैसे बताऊं कि आवश्यक था सब। मृत्यु से पूर्व भविष्य सुखद बनाओ।। खेलना कूदना अधिकार है तुम्हारा। फुदक के जाओ, शीघ्र ल

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पुरुषार्थ के गुर्दे कहॉं लुप्त हो गए हैं? (आलेख)

24 अक्टूबर 2023
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सगे बड़े भाई अथवा भाभियॉं हों, पिताश्री हो, गुरु अथवा शिष्य हों, साधारण साहित्यकार अथवा साहित्य अकादमी या पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार हों, प्रोफेस

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बदलते परिवेश में पत्रकारिता की चुनौती : कारण और निवारण ! (आलेख)

27 अक्टूबर 2023
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बदलते परिवेश में पत्रकारिता की चुनौती : कारण और निवारण ! &nbs

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बदलते परिवेश में हिन्दी भाषा का स्वरूप? (आलेख)

30 अक्टूबर 2023
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परिवर्तन प्रकृति का नियम है। जिसके फलस्वरूप सम्पूर्ण सृष्टि में सब कुछ परिवर्तनशील है। जिसमें मानव से लेकर मानवीय मूल्यों पर आधारित मानव की मानवता के दृष्टिकोण

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चेहरे की झुर्रियॉं (आलेख)

31 अक्टूबर 2023
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तुम्हारे चेहरे की झुर्रियॉं चलचित्र की भॉंति मेरे मन मस्तिष्क पटल पर हमारे सम्पूर्ण जीवन की कष्टमय कहानियों का गुणगान कर रही हैं। प्रिय सोचकर बताना क्या उन कष्

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भ्रष्टाचार पर कब भारी पड़ेगा सदाचार? (आलेख)

1 नवम्बर 2023
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केंद्रीय सतर्कता आयोग (CENTRAL VIGILANCE COMMISSION) भी देश में है और उसके वर्तमान अध्यक्ष श्री पी.के. श्रीवास्तव जी उसका सशक्त नेतृत्व कर रहे हैं, के बारे में

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भ्रष्टाचार त्यागें और सुकुन संग सद्गति प्राप्त करें! (आलेख)

3 नवम्बर 2023
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करो भ्रष्टाचार और खाओ पैसा, जिसका कड़वा सच यह है कि पैसा आज तक कोई मॉं का लाल खा नहीं सका, उल्टा पैसे ने सबको खाया है। भले वह कुबेर का धन ही क्यों न हो? उल्लेख

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सदैव रातों को रोने हेतु नितॉंत अकेले....! (आलेख)

7 नवम्बर 2023
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विवाह एक दिव्य अनुभूति है, जो स्त्री और पुरुष की यौन इच्छापूर्ति का सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक अनुज्ञापत्र अर्थात लाइसेंस (LICENCE) है। जो प्रमाणित करता ह

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आड़े तिरछे चित्र चित्रण में क्या हम.....? (आलेख)

9 नवम्बर 2023
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सर्वविदित है कि जम्मू कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी जम्मू दो दिवसीय हिंदी साहित्य सम्मेलन का आयोजन नौ नवंबर दो हजार तेईस से लेकर दस नवंबर दो हजार तेईस त

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अकादमी से प्रश्न पूछना मेरा मौलिक अधिकार! (आलेख)

10 नवम्बर 2023
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ईश्वरीय कृपा से भारत के विभिन्न विभागों के भारतीय भ्रष्टाचार को दर्शाने एवं उसे जड़ से समाप्त करने हेतु बाल्यावस्था से खाई अपनी भीष्म सौगंध के प्रति अपने बासठव

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क्या साहित्यिक चक्रव्यूह में अर्धसत्य को दर्शाना भ्रष्टाचार नहीं है? (आलेख)

13 नवम्बर 2023
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जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के सदाचारी सचिव आदरणीय श्री भारत सिंह मन्हास जी का मैं हृदय तल से सम्मान करता हूॅं। परन्तु इसका यह अर्थ

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निष्पक्ष न्यायिक जॉंच की परम आवश्यकता है ! (आलेख)

15 नवम्बर 2023
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जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी की हिन्दी द्विमासिक पत्रिका "शीराज़ा" विश्व की ऐसी पहली पत्रिका बनने जा रही है जो जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के

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विश्वविद्यालय जम्मू के गिरते स्तर का उत्तरदेय कौन? (आलेख)

17 नवम्बर 2023
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अष्टावक्र की दिव्यांगता पर हंसना महंगा पड़ सकता है। इतना तो समस्त ज्ञानी जानते हैं। परन्तु दुर्भाग्यवश उक्त ज्ञान को प्राप्त नहीं करते और अंधकार को दूर करने के

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मानव और मरघट के आवागमन से छुटकारा! (आलेख)

23 नवम्बर 2023
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मानव और मरघट एक दूसरे के पूरक होते हैं जिसकी कड़वी सच्चाई यह है कि मानव शरीर को एक न एक दिन मरना अवश्य होता है और मृत्यु उपरांत मानवीय विधान यह है कि निष्प्राण

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शनिदेव जी की अपार कृपा शनैः-शनैः ही होती है ! (आलेख)

23 नवम्बर 2023
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मेरा भाग्य सूर्य के प्रकाश की भॉंति प्रकाशमान है, जिसमें मेरा अनमोल जीवन सार्थक हो गया है। मैंने बाल्यावस्था में संजोए अपने सुनहरे स्वप्न साकार कर लिए हैं। मेर

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सजल

23 नवम्बर 2023
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सुकून राष्ट्र के प्रति राष्ट्रीयता जगाने से मिले। संतोष हमें मौलिक कर्तव्य निभाने से मिले।। तुम्हारे लिए मन मस्तिष्क में प्यार झलकता। परंतु सच यही है कि राहत दूर जाने से मिले।। फड़

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अंततः माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी क्यों? (आलेख)

24 नवम्बर 2023
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जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के गिरते साहित्यिक स्तर पर अंकुश कब लगेगा? कब तक वह साहित्यिक चाटुकार लेखकों के कंधे पर सवार होकर अपनी डींगें हॉंकती

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ऐसे लेखक सामाजिक एवं सांस्कृतिक कलंक ! (आलेख)

25 नवम्बर 2023
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मॉं के गर्भ से ही मैं क्रोधी स्वभाव का नहीं हूॅं और न ही मॉं ने मुझे ऐसा लिखना सिखाया है। क्योंकि जब तक मेरी मॉं जीवित रहीं, वह मुझे धैर्य का पाठ यह कहते हुए प

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मातृ शक्ति सदैव पूजनीय! (आलेख)

25 नवम्बर 2023
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जो पत्नियॉं अपने पति परमेश्वर की सकारात्मक पहल का नकारात्मक उत्तर देती हैं, अपने घरों का त्याग कर अलग रहने लगती हैं, सांस्कृतिक एवं सांसारिक यौवन पथ को अनियंत्

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राष्ट्रीय संविधान दिवस मनाने का क्या औचित्य है? (आलेख)

27 नवम्बर 2023
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राष्ट्रीय संविधान दिवस मनाने का क्या औचित्य है? (आलेख) &

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प्रतिष्ठित कीर्तिमान साहित्य पत्रिका को साधुवाद! (आलेख)

27 नवम्बर 2023
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मध्यप्रदेश राज्य प्रशासन द्वारा दिनॉंक 20 नवंबर 2023 को पंजियन क्रमांक उद्यम-एमपी-14- 0009407 के अंतर्गत मान्यता प्राप्त "कीर्तिमान साहित्य पत्रिका" नामक प्रति

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ग़ज़ल

28 नवम्बर 2023
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ग़ज़ल/सजल !+++++++++हानि पहुॅंचाने वाला सदैव पराया नहीं होता। जो हानि पहुॅंचाए वो मॉं का जाया नहीं होता।। घर का भेदी लॅंका ढाए, सभी परिचित हैं कि।दानी व कपटी प्रायः भ्रम या माया

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मृत्यु प्राकृतिक परिवर्तन पर अंतिम यात्रा अकेले क्यों? (आलेख)

28 नवम्बर 2023
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आज सुबह सुबह सुनने को मिला था कि जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी जम्मू के कोई भले अधिकारी मृत्यु को प्राप्त हो गये हैं। ईश्वर उनकी आत्मा को शॉंति प्र

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ग़ज़ल

30 नवम्बर 2023
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साहित्य उनके बाप की सम्पत्ति नहीं है। और न ही किसी का दिया कोई दान है।। मेरी इच्छा है कि मैं शुद्ध हिंदी में लिखूॅं। आलेख या ग़ज़ल साहित्यिक वरदान है।। शोधकर्ताओं को भी होना पड़ेगा

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ज्ञानपीठ तो क्या "पद्मश्री पुरस्कार" भी प्राप्त नहीं हुआ?

4 दिसम्बर 2023
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जी हॉं, आपने उचित समझा है। मैं उन्हीं की बात कर रहा हूॅं जिन्होंने जीवनभर जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी की सेवा कर अपना स्वार्थसिद्ध किया, वह बताते

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ज्ञानपीठ तो क्या "पद्मश्री पुरस्कार" भी प्राप्त नहीं हुआ? (आलेख)

4 दिसम्बर 2023
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ज्ञानपीठ तो क्या "पद्म पुरस्कार" भी प्राप्त नहीं हुआ? (आलेख) &n

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पट्टाधारी कुत्ते बहरूपियों से सदैव बचना अनिवार्य है! (आलेख)

5 दिसम्बर 2023
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कहते हैं कि दूसरों के जीवन, घर अथवा देश में झॉंकना बुरी बात है। परन्तु वर्तमान युग तो पारदर्शी है। हमारा सम्पूर्ण भारत "पारदर्शी" है और "पारदर्शी भारत" के नाम

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प्रज्ञान होने के बावजूद मेरा अपमान किया जा रहा है! (आलेख)

5 दिसम्बर 2023
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संवैधानिक न्यायिक तुला में मेरी आत्मा को परमात्मा के संग तुलते हुए इकासठ वर्ष हो चुके हैं और इन इकासठ वर्षों में मैंने जो किया, सहा और पाया उसकी रूपरेखा अर्थात

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ग़ज़ल

7 दिसम्बर 2023
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मेरा रुका प्रत्येक काम श्रीराम कर देंगे।हार कर बजरंगी जीत मेरे नाम कर देंगे।।पीछा छुड़ा कर भागे गा कब तक यश। ठोककर सीना बर्बाद, बदनाम कर देंगे।। सेवा करने वालों को ही मिलता है मेवा। सार

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मैं सुख संपदा सम्पन्न हूॅं। (आलेख)

8 दिसम्बर 2023
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गत दिवस अर्थात दिनॉंक 07 दिसंबर 2023 को मैंने घर से दिल्ली की ओर कूच कर दिया था और जम्मू से लुधियाना जंक्शन तक लोहपथामिनी के साधारण टिकट से अपने मित्रों के पास

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पराशर धाम की सुखद यात्रा ! (आलेख)

14 दिसम्बर 2023
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इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड के विशेष निमंत्रण पर हरियाणा राज्य के फरीदाबाद शहर में आए हुए कई दिवस व्यतीत हो चुके हैं और वर्ल्ड रिकॉर्ड यूनिवर्सिटी से भी आज मेरी छुट्

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तो हम कलयुग में किस कलयुगी खेत की मूली हैं? (आलेख)

23 दिसम्बर 2023
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सम्पूर्ण संसार को कुटुम्ब मानते हुए हमें एकॉंत में अंतर्ध्यान होकर विचार करना चाहिए कि यह सुंदर समाज, सामाजिक बंधन, भाई बंधुत्व, स्त्री-पुरुष, पुत्र पौत्र यहॉं

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उत्पत्ति, अंत और अंतिम यात्रा! (आलेख)

24 दिसम्बर 2023
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विज्ञान कहता है कि मानव सृष्टि का आधार नर और नारी है। इसलिए शास्त्रों में भी नर को नारायण और नारी को नारायणी कहा गया है। कहने का अभिप्राय यह है कि हम सब अपनी-अ

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वीरगति और पागलपन ! (आलेख)

25 दिसम्बर 2023
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वीरगति "पागलपन' का पर्यायवाची है अर्थात दोनों का अर्थ समान ही है। क्योंकि पागलपन के बिना वीरगति प्राप्त करना कठिन ही नहीं बल्कि असम्भव होता है। जिसका उदहारण यु

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क्षमा प्रार्थी होना या क्षमा करना "बड़प्पन" होता है ! (आलेख)

26 दिसम्बर 2023
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मृत्यु का कब, कहॉं और कैसे सामना अर्थात आगमन हो जाए, कोई भी नहीं जानता और न ही आज तक कोई भविष्य की गर्भ को झॉंक सका है? परन्तु मृत्यु अटल सत्य है। जिसे ज्ञान,

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कष्टदाई घटकों का आत्मिक एवं अध्यात्मिक आभारी हूॅं ! (आलेख)

27 दिसम्बर 2023
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जीवन एक भयंकर चुनौती है और लेखन कार्य उक्त भीष्म चुनौती का समाधान है। ध्यान रहे कि लेखन सामग्री समस्त जटिल समस्याओं में टमाटर का कार्य करती है और उक्त विकट व्य

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न्यायपालिका और न्याय अर्थात धीमा विष! (आलेख)

28 दिसम्बर 2023
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बाल्यकाल में दादी मॉं झूठे शॅंख की कहानी सुनाया करती थीं जो एक अशर्फी मॉंगने पर दो अशर्फियॉं देने का आश्वासन देता था और इस खेल को कभी समाप्त नहीं करता था। परन्

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मुझे और मेरे देश को विश्व स्तर पर कलॅंकित क्यों किया जा रहा है? (आलेख)

29 दिसम्बर 2023
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भ्रष्टाचारयुक्त से लेकर भ्रष्टाचारमुक्त भारत का दावा करने वाली केंद्रीय मोदी सरकार के अधीनस्थ गृहमंत्रालय के माननीय मंत्री श्री अमित शाह जी के सशक्त नेतृत्व मे

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जजों की न्यायिक मनमानी, नपुंसकता, आतंकीय दादागिरी कब तक ? (आलेख)

31 दिसम्बर 2023
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तरूण भारतीय न्यायपालिका में माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के वर्तमान माननीय विद्वान न्यायाधीशों अर्थात जजों की न्यायिक मनमानी, नपुंसकता, आतंकी

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मेरा युद्ध बुरों की बुराईयों के विरुद्ध है! (आलेख)

1 जनवरी 2024
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राष्ट्रहित में बुरों की बुराईयों को समाप्त करने हेतु मुझे निरंतर लड़ना है जो बाल्यावस्था से निर्धारित दृढ़ संकल्पित मुख्य उद्देश्य परिवर्तित होकर वर्तमान में अ

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सब कुछ पाने हेतु सब कुछ त्यागना अनिवार्य होता है! (आलेख)

3 जनवरी 2024
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वासना से उपासना की ओर ले जाने का दावा करने वाले समकालीन ढोंगियों के ढोंग प्रायः एक न एक दिन सार्वभौमिक प्रकट हो ही जाते हैं और उल्लेखनीय यह भी है कि ऐसे ढोंगिय

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ग़ज़ल

4 जनवरी 2024
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ओ प्रिया ठिठुरती ठंड में तेरा बुलाना याद है।और मेरा सौभाग्यवश आना न आना याद है।। वो भला कैसे छोड़ सकता हूॅं मौज मस्ती मैं। पर जीवन भर कोल्हू का बैल बनाना याद है।। भूलो कल की कड़वी बातें

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राष्ट्रीय साहित्य में माननीय न्यायाधीशों पर टिप्पणियॉं ! (आलेख)

5 जनवरी 2024
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जम्मू और कश्मीर के कतिपय मॅंचीय लेखकों का मानना है कि माननीय न्यायालय और माननीय न्यायालय के माननीय विद्वान न्यायाधीशों की धूर्त मनमानियों पर न्यायिक तार्किक टि

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न्यायाधीश निर्लज्जता की मर्यादित सीमाऍं लॉंघ चुके हैं! (आलेख)

6 जनवरी 2024
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न्यायाधीश निर्धारित निर्लज्जता की मर्यादित स माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी भारतीय न्यायपालिका के माननीय न्यायालय माननीय थे, माननीय हैं और

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देशप्रेम पूर्ण मेरे अद्वितीय प्रयोग सिद्ध कर रहे हैं कि! (आलेख)

8 जनवरी 2024
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बासठ वर्ष तक की अपनी आलौकिक स्वर्णिम आयु में, अपने जीवन रूपी प्रयोगशाला में, अपनी असाधारण, अविश्वसनीय, अकल्पनीय, अद्वितीय एवं अद्भुत शक्तियों का प्रयोग करते हु

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प्रकृति की प्रत्येक सुबह सुनहरे पल लेकर आती है। (आलेख)

10 जनवरी 2024
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यद्यपि हम स्वस्थ मन और मस्तिष्क से विचार करें तो प्रकृति की प्रत्येक सुबह ब्रह्मांड के समस्त जीवों के लिए अनमोल सुनहरे पल लेकर आती है और उन आलौकिक पलों से प्रत

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ग़ज़ल

11 जनवरी 2024
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कर्म का मोल न कोई चुकाना चाहे। धर्म पर रक्त हर कोई बहाना चाहे।। मेरी तो पहचान ही राष्ट्रीय तिरंगा है। शर्म तो उसे है जो भी मिटाना चाहे।। कुछ रुक जाओ सॉंस उखड़ गई है। परंतु शूर

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प्रसन्नता एक आलौकिक औषधि है! (आलेख)

11 जनवरी 2024
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जी हॉं, प्रसन्नता एक आलौकिक औषधि है जिसका निःशुल्क सेवन सदैव लाभप्रद होता है। क्योंकि इसके सेवन से प्रायः मानव का शारीरिक, मानसिक, आत्मिक और यहॉं तक कि अध्यात्

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नियति के आलौकिक खेल अद्भुत व अद्वितीय होते हैं! (आलेख)

12 जनवरी 2024
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नियति के आलौकिक खेल अद्भुत व अद्वितीय होते हैं ! (आलेख) &n

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अंतिम और पूर्णतः अंतिम अवसर के बाद कितने सुअवसर ? (आलेख)

13 जनवरी 2024
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माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी मेरा न्यायिक मामला अर्थात विषय का न्यायिक स्वरूप यह है कि पूर्व न्यायाधीशों की भॉंति वर्तमान न्यायाधीश भी म

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कालचक्र ही दर्शाता है व्यक्ति का अस्तित्व और व्यक्तित्व ! (आलेख)

14 जनवरी 2024
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समय चलायमान है और प्रकृति परिवर्तनशील होती है। दोनों ही जीवन का आधार होते हैं जिनसे कर्मों की उत्पत्ति होती है और कर्म ही पूजा होते हैं। चूॅंकि कर्म भाग्यविधात

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माननीय न्यायाधीश मुझे पूर्णतः बर्बाद करने पर उतारू क्यों? (आलेख)

15 जनवरी 2024
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मेरे जीवनभर के न्यायिक शोध में पाया गया है कि "न्याय में देरी" करना माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के विभिन्न माननीय विद्वान न्यायाधीशों की वि

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सॉंस्कृतिक दृष्टि से मौलिक कर्तव्यों की विधिक विभिन्नताऍं ! (आलेख)

16 जनवरी 2024
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सर्वविदित है कि भारत सरकार के युग परिवर्तक पुरुष माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी भारत के प्रथम व्यक्ति अर्थात माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्र

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स्थानीय लेखकों के रक्षक ही भक्षक क्यों हैं? (आलेख)

18 जनवरी 2024
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माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी, माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ जी एवं माननीय सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द

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ग़ज़ल !

19 जनवरी 2024
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नींद चैन की सो जाओ प्रभु श्रीराम आए हैं। जलाऍं हम खुशी के दीप राजाराम आए हैं।। बहुत बढ़िया है दिन का उजाला आज भी। प्रकाश पर्व दिवाली अयोध्या धाम आए हैं।। परन्तु रावण भी कोई कम नहीं

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सर्वप्रथम सुनें, देखें और ध्यानपूर्वक लिखें!

19 जनवरी 2024
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मानव जीवन एक शोधात्मक प्रश्न पत्र होता है जिसका सीधा असर कर्मों पर आधारित होता है और चलचित्र की भॉंति प्रतिपल अपने गंतव्य की ओर अग्रसर होता रहता है। ध्यान रहे

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जेल और मृत्यु के डर से आगे की बढ़त!

19 जनवरी 2024
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जेल और मृत्यु के डर से आगे की बढ़त रूपी जीत साधारण व्यक्ति के असाधारण दार्शनिक व्यक्तित्व को दर्शाती है जो उक्त असंतोषजनक विद्वान व्यक्ति की बौद्धिक क्षमता को

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आजादी के अमृत महोत्सव के संग चलती मेरी न्यायिक यात्रा! (आलेख)

21 जनवरी 2024
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पराधीनता शासनकाल से चलते आ रहे असहनीय कलॅंकित भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए प्रकृति ने संभवतः मुझे चुन लिया था जिसके आधार पर मेरी और मेरे परिवार की बल

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चुम्बन और चुम्बन की चुम्बकीय शक्ति! (आलेख)

23 जनवरी 2024
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मन में बसे अथाह पवित्र प्रेम के प्रकटीकरण का माध्यम चुम्बन बनता है जो प्रत्येक संबंध की पवित्रता को बनाए रखने में सक्षम होता है। चूॅंकि चुम्बन का क्षेत्रफल मात

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श्री रमेश अरोड़ा जी का कार्यक्रम पूर्णतया सफल रहा! (आलेख)

24 जनवरी 2024
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श्री रमेश अरोड़ा जी का कार्यक्रम पूर्णतया सफल रहा !

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गणतंत्र दिवस 2024 ! (आलेख)

24 जनवरी 2024
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अद्भुत ही नहीं बल्कि अद्वितीय रहस्योद्घाटन हो रहे हैं कि राष्ट्र के माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी और माननीय सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्

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