भ्रष्टाचार और न्यायिक आतंकवाद के कर कमलों द्वारा भारतीय अर्थव्यवस्था बिगड़ ही नहीं रही बल्कि चक्कनाचूर हो रही है। जिसके आधार पर हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पिछड़ गए हैं। हमारे रूपए का मूल्य डालर के प्रति सदैव लुढ़क रहा है और तब तक लुढ़कता रहेगा जब तक हमारे देश की सरकार न्यायिक व्यवस्था को सुदृढ़ करने में सक्षम नहीं होती।
देश की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले चरित्र और नैतिकताओं को हम भूल रहे हैं। भारतीय सभ्यता और संस्कृति के साथ साथ भारतीयता को दांव पर लगा रहे हैं। जबकि राष्ट्रीय चरित्र और नैतिकताओं के बल पर ही राष्ट्र और राष्ट्रीय व्यवस्था बलशाली होती है। कहने का अभिप्राय यह है कि राष्ट्रीय व्यवस्था के आधार पर ही अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होती है। परन्तु देश में राष्ट्रीय आचरण का झंडा बुलंद करने के उद्देश्य से नेशनल कैडेट कोर से लेकर अन्य राष्ट्रीय प्राधिकरणों के होते हुए भी राष्ट्रीय चरित्र का सुदृढ़ीकरण के स्थान पर हनन हो रहा है। जिसे अशोभनीय कहना अतिश्योक्ति नहीं है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली और प्रत्येक राज्य की राज्य विधिक प्राधिकरणों के सरंक्षक मुख्य न्यायाधीश होते हैं। जैसे कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के संरक्षक वर्तमान माननीय उच्चतम न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश होते हैं और इसी प्रकार प्रत्येक राज्य की माननीय उच्च न्यायालय के माननीय विद्वान मुख्य न्यायाधीश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के संरक्षक होते हैं। परन्तु उसके बावजूद न्याय व्यवस्था दिन प्रतिदिन बिगड़ रही है। जिसके आधार पर अर्थव्यवस्था सुदृढ़ कैसे रह सकती है? यह प्रश्न स्वाभाविक है।
सर्वविदित है कि भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय के वर्तमान विद्वान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री डी वाई चंद्रचूड़ जी हैं। जिनके संरक्षण में देश के आर्थिक अशक्त, दिव्यांग, जनजाति वर्ग और भारत की समस्त महिलाओं को विधिक सेवाएं देने का सम्पूर्ण दायित्व उनका है। जिसके लिए भारत सरकार प्रत्येक वर्ष करोड़ों रुपए खर्च करती है। परन्तु उसके बावजूद भारत की न्याय व्यवस्था का हनन हो रहा है और भारतीय अर्थव्यवस्था बिगड़ रही है। जिसके लिए हम सब उत्तरदायी हैं। चूंकि हम भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री डी वाई चंद्रचूड़ जी को यह पूछने का साहस ही नहीं कर पाते कि करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी न्यायिक व्यवस्था क्यों नहीं सुधर रही? जिसके आधार अर्थव्यवस्था का हनन हो रहा है और हमारे भविष्य का सत्यानाश हो रहा है। क्यों हम अंतरराष्ट्रीय ऋण से मुक्त नहीं हो पा रहे?
प्रश्न यह भी स्वाभाविक है कि अत्यधिक इमानदार मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री डी वाई चंद्रचूड़ जी के संरक्षण में अशक्त, दिव्यांग और महिलाएं को ठगा क्यों जा रहा है? उनके मौलिक अधिकारों का शोषण क्यों किया जा रहा है? माननीय संरक्षक श्री डी वाई चंद्रचूड़ जी अपनी विद्वता, विवेक और बुद्धि का परिचय क्यों नहीं दे रहे? जबकि उपरोक्त वर्ग अपने मौलिक कर्तव्यों का भलीभांति पालन कर रहा है। ऐसे में माननीय उच्चतम न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री डी वाई चंद्रचूड़ जी अपने मौलिक कर्तव्यों को पूरा क्यों नहीं कर रहे?
अतः मेरा दावा है कि जिस दिन भारतीय न्यायिक व्यवस्था सुधार ली जाएगी। उसी समय भारतीय अर्थव्यवस्था 2023-24 से लेकर अनन्त काल तक अपने आप सुदृढ़ होनी आरम्भ हो जाएगी। जिसके चलते हमारा देश अंतरराष्ट्रीय मंच पर छा जाएगा और भारत पुनः सोने की चिड़िया कहलाने लगेगा।