निस्वार्थ जीवन निस्संदेह उत्तम होता है। भले ही वह जीवन सम्पूर्ण जीवन कष्टमय रहता है। परन्तु वह जीवन चारों दिशाओं में आलौकिक छटा बिखेरता है। उस जीवन के व्यक्तित्व का रूप एवं स्वरूप भी निखरता है और देरी से ही सही पर सुखी व सम्पन्न होकर दूसरों के लिए उदाहरण बनता है। जबकि अंतरराष्ट्रीय सत्य यह है कि स्वार्थी और चाटुकार जीवन सम्पूर्ण जीवन घृणा का पात्र बना रहता है। वह अपने घर, परिवार, बिरादरी, राज्य और राष्ट्र स्तर पर निंदनीय ही नहीं बल्कि तिरस्कृत भी होता है। चूंकि सर्वविदित है कि राम सेवक होने के बावजूद विभीषण युगों-युगों से अपमानित हो रहा है। क्योंकि उसे कुलद्रोही माना जा चुका है और उस पर बनी लोकोक्ति आज भी "घर का भेदी लंका ढाए" से सार्वभौमिक प्रचलित है।
संभवतः निस्वार्थ जीवन एक ओर खड़ा हो और स्वार्थियों का झुंड दूसरी ओर खड़ा हो तो भी स्वार्थियों की पराजय सुनिश्चित मानी जाती है। चूंकि वह स्वार्थी दूसरों के घरों की बर्बादी में लिप्त होते हैं, बिरादरी की उत्कृष्ट सेवाओं में स्वार्थसिद्धि में लिप्त होते हैं, राज्य अथवा राष्ट्र सेवाओं में भ्रष्टाचार से लाभान्वित होते हैं। जिससे अंततः उन्हें अपमान अवश्य ही मिलता है। जबकि निस्वार्थ भावनाओं वाले जीवन को आज नहीं तो कल सम्मान मिलना निर्धारित होता है। जिसकी साक्षी धार्मिक ग्रंथों में से एक ग्रंथ भागवत गीता है। जिसका सार स्पष्ट कहता है कि जैसा बोओगे वैसा काटोगे अर्थात जो करोगे वही भरोगे।
जिसका कड़वा सच यह है कि जब आपने स्वार्थ में अंधे होकर परमार्थ किया ही नहीं, तो आपको संतोष और सुकून कैसे मिल सकता है? जब आपने दूसरों को सदैव कष्ट दिया है, तो आपको मोक्ष प्राप्ति कैसे हो सकती है? जब आपने घर, परिवार, बिरादरी, राज्य और राष्ट्र को अपने मौलिक कर्तव्यों के पानी से सींचा ही नहीं तो आपको घर, परिवार, बिरादरी, राज्य और राष्ट्र से मौलिक अधिकार कैसे प्राप्त हो सकते हैं? इसलिए बंधुवर स्वार्थ के कुत्तेपन के कीटाणुओं से सदैव बचें और निस्वार्थ का दामन थामें।
अतः ध्यान रहे कि स्वार्थ जहां जीवन को कष्ट देता है वहीं निस्वार्थ निस्संदेह जीवन के भविष्य को उज्ज्वल बनाता है। उसके बुढ़ापे को संवारता है और उसका सहारा बनता है। उनके अंतिम जीवनयापन सुखमय होता है। जो दिशा-दिशाओं में मान, सम्मान और शुभकामनाओं के संग सुशोभित होता है। सम्माननीयों जय हिन्द
प्रार्थी
इंदु भूषण बाली
व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता (पीटीशनर इन पर्सन)।
वरिष्ठ लेखक व पत्रकार, राष्ट्रीय चिंतक, स्वयंसेवक, भ्रष्टाचार के विरुद्ध विश्व की लम्बी ग़ज़ल, राष्ट्रभक्ति एवं मौलिक कर्तव्यों के नारों में विश्व कीर्तिमान स्थापितकर्ता
एवं
भारत के राष्ट्रपति पद का पूर्व प्रत्याशी,
वार्ड अंक 01, डाकघर व तहसील ज्यौड़ियां, जिला जम्मू, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, पिनकोड 181202।