जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी की हिन्दी द्विमासिक पत्रिका "शीराज़ा" विश्व की ऐसी पहली पत्रिका बनने जा रही है जो जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के लेखकों का गला घोंट कर बाहरी लेखकों को प्राथमिकता के आधार पर प्रोत्साहन कर रही है। जिसके विश्व कीर्तिमान का श्रेय अकादमी के सचिव आदरणीय श्री भारत सिंह मन्हास जी को जाता है। क्योंकि उन्हें साहित्य का क ख ग भी नहीं आता और विडंबना देखिए कि वह शीराज़ा के प्रमुख सम्पादक की भूमिका निभा रहे हैं। जबकि वे जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं।
उल्लेखनीय है कि साहित्यिक संस्थानों का प्रमुख भी साहित्यकार होना चाहिए। विशेषकर उन्हें स्थानीय भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए। परन्तु जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के साहित्यकारों का दुर्भाग्य यह है कि प्रशासनिक सेवा अधिकारी आदरणीय श्री भारत सिंह मन्हास जी को न तो शुद्ध हिन्दी आती है और न ही डोगरी ही आती है। हालॉंकि वह मूलतः डोगरा माने जाते हैं और उन्हें जम्मू क्षेत्र से संबंधित मानकर ही अकादमी का सचिव नियुक्त किया गया है। ताकि वे जम्मू के साहित्यकारों की दशा सुधार सकें और उन्हें उनके लेखकीय मौलिक अधिकार दिलवा कर कृतार्थ करें।
परन्तु जम्मू के साहित्यकारों का दुर्भाग्य देखिए कि उनके आलेखों को छोड़कर हिन्दी की अगस्त-सितम्बर 2022 की शीराज़ा में प्राथमिकता के आधार पर भोपाल निवासी श्री कृष्ण वीर सिंह सिकरवार जी, हरियाणा निवासी श्री प्रवीण कुमार सहगल जी और उर्मिला शर्मा जी के आलेख प्रकाशित किए गए हैं। उसके उपरांत अक्तूबर-नवम्बर 2022 के अंक में पुनः बिहार निवासी श्री अश्विनी कुमार आलोक जी, भोपाल निवासी श्री कृष्ण वीर सिंह सिकरवार जी और झारखंड निवासी अंकुश्री जी को प्रकाशित किया गया है। यही नहीं बल्कि दिसंबर 2022-जनवरी 2023 के अंक में भी सर्वप्रथम भोपाल निवासी श्री कृष्ण वीर सिंह सिकरवार जी को, बिहार निवासी डॉ मन्नू राय जी को और अंत में सौभाग्यवश जम्मू निवासी डॉ चंचल भसीन का खाता खोला जाता है। जबकि भोपाल निवासी श्री कृष्ण वीर सिंह सिकरवार जी को प्रत्येक तीनों अंकों में प्राथमिकता से प्रकाशित किया गया है। यही उदाहरण कहानियों में भी है। प्रश्न गंभीर है कि क्या जम्मू कश्मीर के साहित्यकारों में आलेख एवं कहानी लिखने वाले मर चुके हैं?
जिससे स्पष्ट होता है कि प्रमुख सम्पादक आदरणीय श्री भारत सिंह मन्हास जी का श्री कृष्ण वीर सिंह सिकरवार जी व अन्यों से गहरा संबंध है या उक्त प्राथमिकता के पीछे उनका स्वार्थ छिपा है और सर्वविदित है कि स्वार्थ प्रत्येक दृष्टिकोण में भ्रष्टाचार का जन्मदाता माना जाता है। जिसके फलस्वरूप प्रश्न स्वाभाविक है कि प्रशासनिक अधिकारी आदरणीय श्री भारत सिंह मन्हास जी ने सचिव पद के अंतर्गत प्रमुख सम्पादक की विशिष्ट शक्तियों का दुरपयोग करते हुए जम्मू कश्मीर के उत्कृष्ट लेखकों का गला घोंटकर क्या-क्या स्वार्थसिद्ध किया और किस रूप में उपरोक्त भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया था?
चूंकि जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी की द्विमासिक पत्रिका "शीराज़ा" में प्राथमिकता के आधार पर प्रकाशित होना जम्मू कश्मीर के लेखकों का मौलिक अधिकार है। जिसकी उद्देश्यपूर्ति हेतु उपरोक्त पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ किया गया था। परन्तु दुर्भाग्यवश "हाथी के दॉंत खाने के और दिखाने के और" की लोकोक्ति को चरितार्थ करते हुए मुंह में राम राम और बगल में छुरी रखकर प्रशासनिक अधिकारी आदरणीय श्री भारत सिंह मन्हास जी ने प्रदेशिक लेखकों सहित मेरे मौलिक अधिकारों का गला काटा है। हमारी भावनाओं से खिलवाड़ किया है। जम्मू कश्मीर प्रदेश की लेखकीय नीतियों का उल्लघंन किया है।
स्पष्ट शब्दों में कहूॅं तो उन्होंने अपने मौलिक कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन नहीं करते हुए मेरे साथ घोर अन्याय किया है। क्योंकि उन्होंने मेरे जैसे अनेक राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वान साहित्यकार द्वारा राष्ट्रहित में लिखे असंख्य आलेखों को तिलॉंजली देकर बाहरी राज्यों के लेखकों को प्राथमिकता से प्रकाशित कर अपने निजी स्वार्थ को पूरा किया है।
जिसमें आदरणीय सचिव श्री भारत सिंह मन्हास जी के उपरोक्त साहित्यिक एवं सांस्कृतिक भ्रष्टाचार में आदरणीय संपादक डॉ रत्न बसोत्रा और सह सम्पादक श्री यशपाल निर्मल जी की निर्मलता भी सम्मिलित है। जो निंदनीय ही नहीं बल्कि दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है। जिसकी उच्च स्तरीय जॉंच ही नहीं बल्कि निष्पक्ष न्यायिक जॉंच की परम आवश्यकता है। सम्माननीयों जय हिन्द
प्रार्थी
इंदु भूषण बाली
व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता (पीटीशनर इन पर्सन)।
वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय लेखक व राष्ट्रीय पत्रकार, राष्ट्रीय चिंतक, स्वयंसेवक, भ्रष्टाचार के विरुद्ध विश्व की लम्बी ग़ज़ल, राष्ट्रभक्ति एवं मौलिक कर्तव्यों के नारों में विश्व कीर्तिमान स्थापितकर्ता
एवं
भारत के राष्ट्रपति पद का पूर्व प्रत्याशी,
वार्ड अंक 01, डाकघर व तहसील ज्यौड़ियां, जिला जम्मू, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, पिनकोड 181202।
Grievance Status for registration number : PRSEC/E/2023/0047589
Grievance Concerns To
Name Of Complainant
Indu Bhushan Bali
Date of Receipt
15/11/2023
Received By Ministry/Department
President's Secretariat
Grievance Description
निष्पक्ष न्यायिक जॉंच की परम आवश्यकता है आलेख
जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी की हिन्दी द्विमासिक पत्रिका शीराज़ा विश्व की ऐसी पहली पत्रिका बनने जा रही है जो जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के लेखकों का गला घोंट कर बाहरी लेखकों को प्राथमिकता के आधार पर प्रोत्साहन कर रही है जिसके विश्व कीर्तिमान का श्रेय अकादमी के सचिव आदरणीय श्री भारत सिंह मन्हास जी को जाता है क्योंकि उन्हें साहित्य का क ख ग भी नहीं आता और विडंबना देखिए कि वह शीराज़ा के प्रमुख सम्पादक की भूमिका निभा रहे हैं जबकि वे जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा अधिकारी हैं उल्लेखनीय है कि साहित्यिक संस्थानों का प्रमुख भी साहित्यकार होना चाहिए विशेषकर उन्हें स्थानीय भाषाओं का ज्ञान होना चाहिए परन्तु जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के साहित्यकारों का दुर्भाग्य यह है कि प्रशासनिक सेवा अधिकारी आदरणीय श्री भारत सिंह मन्हास जी को न तो शुद्ध हिन्दी आती है और न ही डोगरी ही आती है हालॉंकि वह मूलतः डोगरा माने जाते हैं और उन्हें जम्मू क्षेत्र से संबंधित मानकर ही अकादमी का सचिव नियुक्त किया गया है ताकि वे जम्मू के साहित्यकारों की दशा सुधार सकें और उन्हें उनके लेखकीय मौलिक अधिकार दिलवा कर कृतार्थ करें परन्तु जम्मू के साहित्यकारों का दुर्भाग्य देखिए कि उनके आलेखों को छोड़कर हिन्दी की अगस्त सितम्बर 2022 की शीराज़ा में प्राथमिकता के आधार पर भोपाल निवासी श्री कृष्ण वीर सिंह सिकरवार जी हरियाणा निवासी श्री प्रवीण कुमार सहगल जी और उर्मिला शर्मा जी के आलेख प्रकाशित किए गए हैं उसके उपरांत अक्तूबर नवम्बर 2022 के अंक में पुनः बिहार निवासी श्री अश्विनी कुमार आलोक जी भोपाल निवासी श्री कृष्ण वीर सिंह सिकरवार जी और झारखंड निवासी अंकुश्री जी को प्रकाशित किया गया है यही नहीं बल्कि दिसंबर 2022 जनवरी 2023 के अंक में भी सर्वप्रथम भोपाल निवासी श्री कृष्ण वीर सिंह सिकरवार जी को बिहार निवासी डॉ मन्नू राय जी को और अंत में सौभाग्यवश जम्मू निवासी डॉ चंचल भसीन का खाता खोला जाता है जबकि भोपाल निवासी श्री कृष्ण वीर सिंह सिकरवार जी को प्रत्येक तीनों अंकों में प्राथमिकता से प्रकाशित किया गया है यही उदाहरण कहानियों में भी है प्रश्न गंभीर है कि क्या जम्मू कश्मीर के साहित्यकारों में आलेख एवं कहानी लिखने वाले मर चुके हैं जिससे स्पष्ट होता है कि प्रमुख सम्पादक आदरणीय श्री भारत सिंह मन्हास जी का श्री कृष्ण वीर सिंह सिकरवार जी व अन्यों से गहरा संबंध है या उक्त प्राथमिकता के पीछे उनका स्वार्थ छिपा है और सर्वविदित है कि स्वार्थ प्रत्येक दृष्टिकोण में भ्रष्टाचार का जन्मदाता माना जाता है जिसके फलस्वरूप प्रश्न स्वाभाविक है कि प्रशासनिक अधिकारी आदरणीय श्री भारत सिंह मन्हास जी ने सचिव पद के अंतर्गत प्रमुख सम्पादक की विशिष्ट शक्तियों का दुरपयोग करते हुए जम्मू कश्मीर के उत्कृष्ट लेखकों का गला घोंटकर क्या क्या स्वार्थसिद्ध किया और किस रूप में उपरोक्त भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया था चूंकि जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी की द्विमासिक पत्रिका शीराज़ा में प्राथमिकता के आधार पर प्रकाशित होना जम्मू कश्मीर के लेखकों का मौलिक अधिकार है जिसकी उद्देश्यपूर्ति हेतु उपरोक्त पत्रिका का प्रकाशन आरम्भ किया गया था परन्तु दुर्भाग्यवश हाथी के दॉंत खाने के और दिखाने के और की लोकोक्ति को चरितार्थ करते हुए मुंह में राम राम और बगल में छुरी रखकर प्रशासनिक अधिकारी आदरणीय श्री भारत सिंह मन्हास जी ने प्रदेशिक लेखकों सहित मेरे मौलिक अधिकारों का गला काटा है। हमारी भावनाओं से खिलवाड़ किया है जम्मू कश्मीर प्रदेश की लेखकीय नीतियों का उल्लघंन किया है स्पष्ट शब्दों में कहूॅं तो उन्होंने अपने मौलिक कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन नहीं करते हुए मेरे साथ घोर अन्याय किया है क्योंकि उन्होंने मेरे जैसे अनेक राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वान साहित्यकार द्वारा राष्ट्रहित में लिखे असंख्य आलेखों को तिलॉंजली देकर बाहरी राज्यों के लेखकों को प्राथमिकता से प्रकाशित कर अपने निजी स्वार्थ को पूरा किया है जिसमें आदरणीय सचिव श्री भारत सिंह मन्हास जी के उपरोक्त साहित्यिक एवं सांस्कृतिक भ्रष्टाचार में आदरणीय संपादक डॉ रत्न बसोत्रा और सह सम्पादक श्री यशपाल निर्मल जी की निर्मलता भी सम्मिलित है जो निंदनीय ही नहीं बल्कि दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है जिसकी उच्च स्तरीय जॉंच ही नहीं बल्कि निष्पक्ष न्यायिक जॉंच की परम आवश्यकता है सम्माननीयों जय हिन्द प्रार्थी इंदु भूषण बाली वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय लेखक व भ्रष्टाचार के विरुद्ध विश्व की लम्बी ग़ज़ल
Current Status
Grievance received
Date of Action
15/11/2023
Officer Concerns To
Forwarded to
President's Secretariat
Officer Name
Organisation name
President's Secretariat
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