सजल हो या ग़ज़ल क्या पड़ता है अंतर।मनन करो बदल जाए सम्पूर्ण भ्रष्ट तंत्र।।
दमन पर अभिनंदन समारोह नहीं होते।
परम पूज्य संतों के नहीं हैं बेअसर मंत्र।।
भरम है सबको कि वे मारेंगे दूसरों को।
करम है दूसरों का कि विफल हुए जंत्र।।
अमर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करें।
धरम के शत्रुओं के विनाश करें सब यंत्र।।
बलम मेरा सौभाग्यवश स्वास्थ्य स्वरूप।
भरत मिलाप होगा निष्पक्ष और स्वतंत्र।।