सुकून राष्ट्र के प्रति राष्ट्रीयता जगाने से मिले।
संतोष हमें मौलिक कर्तव्य निभाने से मिले।।
तुम्हारे लिए मन मस्तिष्क में प्यार झलकता।
परंतु सच यही है कि राहत दूर जाने से मिले।।
फड़फड़ाता हूॅं पर कटे पक्षी की भॉंति मैं भी।
जीवन का आनंद तो स्वाधीनता पाने से मिले।।
सत्य के मार्ग पर अभिनंदन करना कठिन है।
पर मोक्ष इसी राह पर जीवन बिताने से मिले।।
सूर्य न उदय और ना ही कभी अस्त होता है।
यह विज्ञान 'विज्ञान' का ज्ञान बढाने से मिले।।
प्रार्थी
इंदु भूषण बाली
व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता (पीटीशनर इन पर्सन)।
वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय लेखक व राष्ट्रीय पत्रकार, राष्ट्रीय चिंतक, आरएसएस का स्वयंसेवक, भ्रष्टाचार के विरुद्ध विश्व की लम्बी ग़ज़ल, राष्ट्रभक्ति एवं मौलिक कर्तव्यों के नारों में विश्व कीर्तिमान स्थापितकर्ता
एवं
भारत के राष्ट्रपति पद का पूर्व प्रत्याशी,
वार्ड अंक 01, डाकघर व तहसील ज्यौड़ियां, जनपद जम्मू, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, पिनकोड 181202।