मेरे जीवनभर के न्यायिक शोध में पाया गया है कि "न्याय में देरी" करना माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के विभिन्न माननीय विद्वान न्यायाधीशों की विवशता बन चुकी है जिसके कारण माननीय न्यायालय के माननीय विद्वान न्यायाधीश मेरी पतिव्रता धर्मपत्नी श्रीमती सुशीला बाली जी द्वारा दाखिल याचिका अंक ओडब्ल्यूपी 968/1996 से लेकर मेरी स्वयं की दाखिल अब तक की याचिका अंक डब्ल्यूपी (सी) 2068/2022 के साथ संलग्न अन्य याचिकाओं पर "पर्याप्त 110 से अधिक" साक्ष्यों के बावजूद 30 दिसम्बर 2023 तक के पारित न्यायिक आदेश "संवैधानिक एवं विधिक सिद्धान्तों" को करने की असमर्थता "मुझे पूर्णतः बर्बाद" करने पर उतारू हैं और दुर्भावनावश संविधान की प्रस्तावना और अनुच्छेद 21,19 एवं 14 का उल्लघंन कर माननीय न्यायालय की अवमानना कर रहे हैं। क्योंकि शीघ्र न्याय प्रदान करना माननीय न्यायालय का संवैधानिक मौलिक दायित्व है जिसका महत्व आपराधिक विवादों में और भी बढ़ जाता है और सर्वविदित है कि मेरे विवाद भी किसी आपराधिक विवाद से कम नहीं हैं।
उल्लेखनीय यह भी है कि वर्तमान सशक्त मोदी सरकार भ्रष्टाचारमुक्त भारत एवं भ्रष्टाचार में लिप्त भारत का आधार मानी जाने वाली कॉंग्रेस को समाप्त कर "कॉन्ग्रेस मुक्त" भारत का दावा करने वाली भाजपा नीत सरकार द्वारा नियुक्त विद्वान डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया आदरणीय श्री विशाल शर्मा जी एवं उनके सहायक श्री सुमंत सूद जी माननीय न्यायालय में कॉंग्रेस नीत सरकार द्वारा किए गए पूर्वत पारदर्शी भ्रष्टाचार एवं क्रूरता का समर्थन क्यों कर रहे हैं और क्यों माननीय मोदी सरकार से नियुक्ति पाकर माननीय न्यायालय में उपस्थित होकर माननीय विद्वान न्यायाधीशों के समक्ष माननीय मोदी सरकार को ही अपमानित कर रहे हैं?
विशेषकर जब माननीय मोदी जी की अच्छी सरकार द्वारा दिव्यॉंगजन न्यायालय को भेजे गये मेरे प्रार्थना पत्र को अग्रेषित कर याचिका पंजीकृत करवाई थी जिसके आधार पर माननीय दिव्यॉंगजन न्यायालय ने मेरे विभाग एसएसबी को नोटिस जारी कर कह चुकी है कि दिव्यॉंगता के आधार पर दिव्यॉंगजन अधिनियम 1995 के नियम 1996 की धारा 47 में आप याचिकाकर्ता को किसी प्रकार नौकरी से निकाल नहीं सकते थे तो फिर अब न्याय देने में देरी किस बात पर की जा रही है? जबकि बाद में उक्त माननीय न्यायालय यह भी सिद्ध कर चुकी है कि मैं पागल एवं दिव्यॉंग नहीं हूॅं। ऐसे में श्री विशाल शर्मा जी, उनके सहायक श्री सुमंत सूद जी एवं वर्तमान माननीय विद्वान न्यायाधीश बताऍं कि वह बलपूर्वक मुझे पागल की पेंशन देकर माननीय मोदी जी के निर्मल अस्तित्व एवं व्यक्तित्व को क्यों कलॅंकित कर रहे है? उनकी अच्छी सरकार को क्यों अपमानित कर रहे है? और तो और माननीय न्यायपालिका को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्यों अनादर कर रहे हैं और देशहित में देश को बताऍं कि मुझे 30 वर्षों से न्याय न देकर माननीय न्यायपालिका की गरिमा को ठेस क्यों पहुॅंचा रहे हैं?
अतः माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि कृपया माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के वर्तमान माननीय विद्वान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री एन. कोटेश्वर सिंह जी को पूछें कि वह मेरी पुनर्विचार याचिका अंक 81/2022 को क्यों नहीं सुन रहे? वह पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री पंकज मिथल जी की खंडपीठ द्वारा एलपीए अंक 139 सहित एकल पीठ में 2020 से लेकर अब तक माननीय न्यायाधीश न्यायमूर्ति सर्वश्री राजेश बिंदल जी, श्री धीरज सिंह ठाकुर जी, श्रीमती सिंधु शर्मा जी, श्री ताशी रब्सतान जी, श्रीमती मोक्षा खजूरिया काजमी जी, श्री मोहन लाल जी, श्री विनोद चटर्जी कौल जी, श्री जावेद इकबाल वानी जी, श्री रजनीश ओसवाल जी, श्री राहुल भारती जी जिन्होंने एक याचिका पर न्यायिक निर्णय के लिए सुरक्षित रखने के उपरान्त भी निर्णय नहीं दिया था, श्री वासीम सादिक नरगाल जी, जूडिशियल रजिस्ट्रार श्री एस आर गॉंधी जी, श्री संजय धर जी, श्री पुनीत गुप्ता जी इत्यादि न्यायमूर्तियों द्वारा संभवतः 71 आदेश पारित करने के उपरान्त भी मुझे न्याय देने में विलम्ब क्यों कर रहे हैं? सम्माननीयों जय हिन्द
प्रार्थी
डॉ. इंदु भूषण बाली
ज्यौड़ियॉं (जम्मू)
जम्मू और कश्मीर
Grievance Status for registration number : PRSEC/E/2024/0002370
Grievance Concerns To
Name Of Complainant
Indu Bhushan Bali
Date of Receipt
15/01/2024
Received By Ministry/Department
President's Secretariat
Grievance Description
माननीय न्यायाधीश मुझे पूर्णतः बर्बाद करने पर उतारू क्यों आलेख
मेरे जीवनभर के न्यायिक शोध में पाया गया है कि न्याय में देरी करना माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के विभिन्न माननीय विद्वान न्यायाधीशों की विवशता बन चुकी है जिसके कारण माननीय न्यायालय के माननीय विद्वान न्यायाधीश मेरी पतिव्रता धर्मपत्नी श्रीमती सुशीला बाली जी द्वारा दाखिल याचिका अंक ओडब्ल्यूपी 968 1996 से लेकर मेरी स्वयं की दाखिल अब तक की याचिका अंक डब्ल्यूपी सी 2068 2022 के साथ संलग्न अन्य याचिकाओं पर पर्याप्त 110 से अधिक साक्ष्यों के बावजूद 30 दिसम्बर 2023 तक के पारित न्यायिक आदेश संवैधानिक एवं विधिक सिद्धान्तों को करने की असमर्थता मुझे पूर्णतः बर्बाद करने पर उतारू हैं और दुर्भावनावश संविधान की प्रस्तावना और अनुच्छेद 21 19 एवं 14 का उल्लघंन कर माननीय न्यायालय की अवमानना कर रहे हैं क्योंकि शीघ्र न्याय प्रदान करना माननीय न्यायालय का संवैधानिक मौलिक दायित्व है जिसका महत्व आपराधिक विवादों में और भी बढ़ जाता है और सर्वविदित है कि मेरे विवाद भी किसी आपराधिक विवाद से कम नहीं हैं
उल्लेखनीय यह भी है कि वर्तमान सशक्त मोदी सरकार भ्रष्टाचारमुक्त भारत एवं भ्रष्टाचार में लिप्त भारत का आधार मानी जाने वाली कॉंग्रेस को समाप्त कर कॉन्ग्रेस मुक्त भारत का दावा करने वाली भाजपा नीत सरकार द्वारा नियुक्त विद्वान डिप्टी सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया आदरणीय श्री विशाल शर्मा जी एवं उनके सहायक श्री सुमंत सूद जी माननीय न्यायालय में कॉंग्रेस नीत सरकार द्वारा किए गए पूर्वत पारदर्शी भ्रष्टाचार एवं क्रूरता का समर्थन क्यों कर रहे हैं और क्यों माननीय मोदी सरकार से नियुक्ति पाकर माननीय न्यायालय में उपस्थित होकर माननीय विद्वान न्यायाधीशों के समक्ष माननीय मोदी सरकार को ही अपमानित कर रहे हैं
विशेषकर जब माननीय मोदी जी की अच्छी सरकार द्वारा दिव्यॉंगजन न्यायालय को भेजे गये मेरे प्रार्थना पत्र को अग्रेषित कर याचिका पंजीकृत करवाई थी जिसके आधार पर माननीय दिव्यॉंगजन न्यायालय ने मेरे विभाग एसएसबी को नोटिस जारी कर कह चुकी है कि दिव्यॉंगता के आधार पर दिव्यॉंगजन अधिनियम 1995 के नियम 1996 की धारा 47 में आप याचिकाकर्ता को किसी प्रकार नौकरी से निकाल नहीं सकते थे तो फिर अब न्याय देने में देरी किस बात पर की जा रही है जबकि बाद में उक्त माननीय न्यायालय यह भी सिद्ध कर चुकी है कि मैं पागल एवं दिव्यॉंग नहीं हूॅं ऐसे में श्री विशाल शर्मा जी उनके सहायक श्री सुमंत सूद जी एवं वर्तमान माननीय विद्वान न्यायाधीश बताऍं कि वह बलपूर्वक मुझे पागल की पेंशन देकर माननीय मोदी जी के निर्मल अस्तित्व एवं व्यक्तित्व को क्यों कलॅंकित कर रहे है उनकी अच्छी सरकार को क्यों अपमानित कर रहे है और तो और माननीय न्यायपालिका को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर क्यों अनादर कर रहे हैं और देशहित में देश को बताऍं कि मुझे 30 वर्षों से न्याय न देकर माननीय न्यायपालिका की गरिमा को ठेस क्यों पहुॅंचा रहे हैं
अतः माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि कृपया माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के वर्तमान माननीय विद्वान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री एन कोटेश्वर सिंह जी को पूछें कि वह मेरी पुनर्विचार याचिका अंक 81 2022 को क्यों नहीं सुन रहे वह पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री पंकज मिथल जी की खंडपीठ द्वारा एलपीए अंक 139 सहित एकल पीठ में 2020 से लेकर अब तक माननीय न्यायाधीश न्यायमूर्ति सर्वश्री राजेश बिंदल जी श्री धीरज सिंह ठाकुर जी श्रीमती सिंधु शर्मा जी श्री ताशी रब्सतान जी श्रीमती मोक्षा खजूरिया काजमी जी श्री मोहन लाल जी श्री विनोद चटर्जी कौल जी श्री जावेद इकबाल वानी जी श्री रजनीश ओसवाल जी श्री राहुल भारती जी जिन्होंने एक याचिका पर न्यायिक निर्णय के लिए सुरक्षित रखने के उपरान्त भी निर्णय नहीं दिया था श्री वासीम सादिक नरगाल जी जूडिशियल रजिस्ट्रार श्री एस आर गॉंधी जी श्री संजय धर जी श्री पुनीत गुप्ता जी इत्यादि न्यायमूर्तियों द्वारा संभवतः 71 आदेश पारित करने के उपरान्त भी मुझे न्याय देने में विलम्ब क्यों कर रहे हैं सम्माननीयों जय हिन्द
प्रार्थी
डॉ. इंदु भूषण बाली
ज्यौड़ियॉं (जम्मू)
जम्मू और कश्मीर
Current Status
Grievance received
Date of Action
15/01/2024
Officer Concerns To
Forwarded to
President's Secretariat
Officer Name
Organisation name
President's Secretariat
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