राष्ट्रहित में बुरों की बुराईयों को समाप्त करने हेतु मुझे निरंतर लड़ना है जो बाल्यावस्था से निर्धारित दृढ़ संकल्पित मुख्य उद्देश्य परिवर्तित होकर वर्तमान में अब प्रमुख लक्ष्य बन चुका है। चूॅंकि उल्लेखनीय है कि एक बुरा व्यक्तित्व समस्त आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, आत्मिक और संवैधानिक व्यवस्थाओं को प्रभावित कर बुरा बना देता है। जैसे एक मछली पूरे तालाब को गन्दा कर देती है ठीक वैसे ही एक "बुरा" पूरे ब्रह्मांड को गंदा करने में सक्षम होता है। वह बुरा व्यक्तित्व कोई भी हो सकता है। भले ही वह साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया हो या भारत रत्न से पुरस्कृत किया गया हो, वह व्यक्ति कल्चरल अकादमी जम्मू से संबंधित हो या दूरदर्शन केन्द्र जम्मू में कार्यरत हो, वह एसएसबी विभाग का हो या माननीय न्यायालय में न्यायिक पद पर आसीन हो, उससे मुझे कोई अंतर नहीं पड़ता है।
क्योंकि मैं भलीभॉंति परिचित हो चुका हूॅं कि ऐसे बुरे तत्व देश के चारों सशक्त स्तंभों में भरे पड़े हैं और अपनी बुराईयों की न्यायिक-अन्यायिक प्रक्रियात्मक प्रकाष्ठा को जहॉं वहॉं फैलाते हुए घुन की भॉंति देश को अंदर ही अंदर खोखला कर रहे हैं। ऐसे में राष्ट्र के प्रति मेरा मौलिक कर्तव्य बनता है कि मैं उन राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को राष्ट्र के प्रथम व्यक्ति माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी के समक्ष रखकर अपने राष्ट्रीय दायित्वों का निस्वार्थ, निष्पक्ष एवं निष्ठापूर्वक निर्वहन करूं। भले ही उसके लिए मुझे आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और संवैधानिक मूल्य चुकाना पड़े, मैं हृदय तल से तैयार हूॅं और सर्वविदित यह भी है कि मैं वर्षों से राष्ट्र के प्रति समर्पित हो चुका हूॅं। जिसमें मेरा गौरवमय अतीत भी मुझे गौरवान्वित अनुभव करवा रहा है।
जिसके सुखद परिणाम उभर कर यह आ रहे हैं कि एक ओर मेरे राष्ट्र के माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी, माननीय सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी मेरी प्रार्थनापत्रों पर गंभीर संज्ञान लेकर मंथन करवा रहे हैं और दूसरी ओर माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के माननीय विद्वान न्यायाधीश मेरी विभिन्न याचिकाओं पर अत्यंत गंभीरतापूर्वक विचार कर रहे हैं। जिसके लिए मेरी समस्त मानवीय याचिकाओं पर उत्तर देने हेतु क्रूरतम से क्रूरतम कृत किए प्रतिवादियों को अब तक वह कई अंतिम और अंतिम अवसर देते हुए न्यायिक पग भी उठा रहे हैं ताकि कल को क्रूर प्रतिवादी माननीय सर्वोच्च न्यायालय के माननीय विद्वान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री डी.वाई. चंद्रचूड़ जी को यह न कह सकें कि उत्तर दाखिल करने हेतु उन्हें उपरोक्त माननीय उच्च न्यायालय ने प्रयाप्त समय नहीं दिया था।
हालॉंकि मेरा परम सौभाग्य यह है कि 2020 से लेकर अब तक के प्राप्त इकहत्तर न्यायिक आदेशों से क्रूर प्रतिवादियों पर मेरा न्यायिक पलड़ा भारी पड़ रहा है अर्थात मेरा न्यायिक कम्बल अत्यधिक भारी हो रहा है। क्योंकि वर्तमान समय में उक्त कष्टदाई, अमानवीय, अविश्वसनीय, अकल्पनीय एवं अद्भुत घटनाचक्रों में सम्मिलित पूर्व के भ्रष्ट वरिष्ठ अधिवक्ता एवं भ्रष्टतम न्यायाधीशों के भ्रष्टाचार पर वैचारिक मूल्यांकन करना वर्तमान माननीय विद्वान न्यायाधीशों के समक्ष विकराल रूप धारण कर चुकी चुनौतीपूर्ण अद्वितीय चुनौती है।
चूॅंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समकालीन तरूण भारत में आज एक भी ऐसा सार्वभौमिक उदाहरण नहीं मिल रहा है, जिसमें माननीय न्यायालय के भ्रष्ट विद्वान न्यायाधीशों द्वारा भ्रष्टाचार के असंवेदनशील आधार पर तपेदिक विशेषज्ञों द्वारा घोषित तपेदिक रोग से रोगग्रस्त किसी सरकारी कर्मचारी को मानसिक रोगी बता कर उसे क्रूरतापूर्ण असंवैधानिक निष्कासित को पागल की पेंशन देकर नौकरी से सेवामुक्त कर दिया गया हो, जबकि सरकारी मनोरोग विशेषज्ञों के बोर्ड द्वारा प्रदत्त मानसिक स्वस्थ प्रमाणपत्र द्वारा उसके सरकारी विभागीय अधिकारियों द्वारा उसे कार्यालय में क्रूरतापूर्ण प्रताड़ित करने का भी स्पष्ट उल्लेख किया गया हो। यही नहीं बल्कि उक्त पीड़ित कर्मचारी अपनी पतिव्रता धर्मपत्नी के साथ माननीय उपरोक्त न्यायालय में अपने साक्ष्यों सहित खुली न्यायालय में भी 1996 में व्यक्तिगत रूप में उपस्थित होकर न्याय मॉंग चुका हो और न्याय से वंचित दशकों तक अद्वितीय संघर्ष करते हुए पुनः उसी माननीय न्यायालय में स्वयाचिक के रूप में उपस्थित होकर 2020 में न्याय मॉंग रहा हो, तो ऐसी स्थिति में माननीय न्यायालय के वर्तमान विद्वान न्यायाधीशों के समक्ष विवशता स्वाभाविक है। जिसके लिए मुझे अंतिम सॉंस तक मानवीयता एवं राष्ट्रहित में सम्पूर्ण न्याय हेतु "विष अथवा अमृत" का भेद भूलकर निरंतर लड़ना है। सम्माननीयों जय हिन्द
प्रार्थी
डॉ. इंदु भूषण बाली
ज्यौड़ियॉं (जम्मू)
जम्मू और कश्मीर
Grievance Status for registration number : PRSEC/E/2024/0000028
Grievance Concerns To
Name Of Complainant
Indu Bhushan Bali
Date of Receipt
01/01/2024
Received By Ministry/Department
President's Secretariat
Grievance Description
राष्ट्रहित में बुरों की बुराईयों को समाप्त करने हेतु मुझे निरंतर लड़ना है जो बाल्यावस्था से निर्धारित दृढ़ संकल्पित मुख्य उद्देश्य परिवर्तित होकर वर्तमान में अब प्रमुख लक्ष्य बन चुका है चूॅंकि उल्लेखनीय है कि एक बुरा व्यक्तित्व समस्त आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक धार्मिक आध्यात्मिक आत्मिक और संवैधानिक व्यवस्थाओं को प्रभावित कर बुरा बना देता है जैसे एक मछली पूरे तालाब को गन्दा कर देती है ठीक वैसे ही एक बुरा पूरे ब्रह्मांड को गंदा करने में सक्षम होता है वह बुरा व्यक्तित्व कोई भी हो सकता है भले ही वह साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया हो या भारत रत्न से पुरस्कृत किया गया हो वह व्यक्ति कल्चरल अकादमी जम्मू से संबंधित हो या दूरदर्शन केन्द्र जम्मू में कार्यरत हो वह एसएसबी विभाग का हो या माननीय न्यायालय में न्यायिक पद पर आसीन हो उससे मुझे कोई अंतर नहीं पड़ता है क्योंकि मैं परिचित हो चुका हूॅं कि ऐसे बुरे तत्व देश के चारों सशक्त स्तंभों में भरे पड़े हैं और अपनी बुराईयों की न्यायिक अन्यायिक प्रक्रियात्मक प्रकाष्ठा को जहॉं वहॉं फैलाते हुए घुन की भॉंति देश को अंदर ही अंदर खोखला कर रहे हैं ऐसे में राष्ट्र के प्रति मेरा मौलिक कर्तव्य बनता है कि मैं उन राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को राष्ट्र के प्रथम व्यक्ति माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी के समक्ष रखकर अपने राष्ट्रीय दायित्वों का निस्वार्थ निष्पक्ष एवं निष्ठापूर्वक निर्वहन करूं भले ही उसके लिए मुझे आर्थिक सामाजिक सांस्कृतिक और संवैधानिक मूल्य चुकाना पड़े मैं हृदय तल से तैयार हूॅं और सर्वविदित यह भी है कि मैं वर्षों से राष्ट्र के प्रति समर्पित हो चुका हूॅं जिसमें मेरा गौरवमय अतीत भी मुझे गौरवान्वित अनुभव करवा रहा है जिसके सुखद परिणाम उभर कर यह आ रहे हैं कि एक ओर मेरे राष्ट्र के माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी माननीय सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी मेरी प्रार्थनापत्रों पर गंभीर संज्ञान लेकर मंथन करवा रहे हैं और दूसरी ओर माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के माननीय विद्वान न्यायाधीश मेरी विभिन्न याचिकाओं पर अत्यंत गंभीरतापूर्वक विचार कर रहे हैं जिसके लिए मेरी समस्त मानवीय याचिकाओं पर उत्तर देने हेतु क्रूरतम से क्रूरतम कृत्य किए प्रतिवादियों को अब तक वह कई अंतिम और अंतिम अवसर देते हुए न्यायिक पग भी उठा रहे हैं ताकि कल को क्रूर प्रतिवादी माननीय सर्वोच्च न्यायालय के माननीय विद्वान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री डी वाई चंद्रचूड़ जी को यह न कह सकें कि उत्तर दाखिल करने हेतु उन्हें उपरोक्त माननीय उच्च न्यायालय ने प्रयाप्त समय नहीं दिया था हालॉंकि मेरा परम सौभाग्य यह है कि 2020 से लेकर अब तक के प्राप्त इकहत्तर न्यायिक आदेशों से क्रूर प्रतिवादियों पर मेरा न्यायिक पलड़ा भारी पड़ रहा है अर्थात मेरा न्यायिक कम्बल अत्यधिक भारी हो रहा है क्योंकि वर्तमान समय में उक्त कष्टदाई अमानवीय अविश्वसनीय अकल्पनीय एवं अद्भुत घटनाचक्रों में सम्मिलित पूर्व के भ्रष्ट वरिष्ठ अधिवक्ता एवं भ्रष्टतम न्यायाधीशों के भ्रष्टाचार पर वैचारिक मूल्यांकन करना वर्तमान माननीय विद्वान न्यायाधीशों के समक्ष विकराल रूप धारण कर चुकी चुनौतीपूर्ण अद्वितीय चुनौती है चूॅंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समकालीन तरूण भारत में आज एक भी ऐसा सार्वभौमिक उदाहरण नहीं मिल रहा है जिसमें माननीय न्यायालय के भ्रष्ट विद्वान न्यायाधीशों द्वारा भ्रष्टाचार के असंवेदनशील आधार पर तपेदिक विशेषज्ञों द्वारा घोषित तपेदिक रोग से रोगग्रस्त किसी सरकारी कर्मचारी को मानसिक रोगी बता कर उसे क्रूरतापूर्ण असंवैधानिक निष्कासित को पागल की पेंशन देकर नौकरी से सेवामुक्त कर दिया गया हो जबकि सरकारी मनोरोग विशेषज्ञों के बोर्ड द्वारा प्रदत्त मानसिक स्वस्थ प्रमाणपत्र द्वारा उसके सरकारी विभागीय अधिकारियों द्वारा उसे कार्यालय में क्रूरतापूर्ण प्रताड़ित करने का भी स्पष्ट उल्लेख किया गया हो यही नहीं बल्कि उक्त पीड़ित कर्मचारी अपनी पतिव्रता धर्मपत्नी के साथ माननीय उपरोक्त न्यायालय में अपने साक्ष्यों सहित खुली न्यायालय में भी 1996 में व्यक्तिगत रूप में उपस्थित होकर न्याय मॉंग चुका हो और न्याय से वंचित दशकों तक अद्वितीय संघर्ष करते हुए पुनः उसी माननीय न्यायालय में स्वयाचिक के रूप में उपस्थित होकर 2020 में न्याय मॉंग रहा हो तो ऐसी स्थिति में माननीय न्यायालय के वर्तमान विद्वान न्यायाधीशों के समक्ष विवशता स्वाभाविक है जिसके लिए मुझे अंतिम सॉंस तक मानवीयता एवं राष्ट्रहित में सम्पूर्ण न्याय हेतु विष अथवा अमृत का भेद भूलकर निरंतर लड़ना है सम्माननीयों जय हिन्द प्रार्थी डॉ इंदु भूषण बाली ज्यौड़ियॉं जम्मू
Current Status
Grievance received
Date of Action
01/01/2024
Officer Concerns To
Forwarded to
President's Secretariat
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President's Secretariat
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