चारों दिशाओं की ओर देखने से पता चल रहा है कि प्रत्येक व्यक्ति कहीं न कहीं या किसी न किसी रूप से टूटा हुआ अवश्य है। भले ही वह अपने रोग को कितना भी छुपा ले पर छुपता कुछ भी नहीं है। क्योंकि मानव मानवता से अछूते हैं और अछूते मानवीय मूल्य मात्र ढकोसला माने जाते हैं। मान्यता यह भी है कि ढकोसले केवल ढकोसले ही होते हैं। जिनका यथार्थ से कोई संबंध नहीं होता और ना ही उनका कोई महत्व होता है।
मेरा सौभाग्य है कि मैं कला, संस्कृति एवं भाषा प्रेमियों से जुड़ा हुआ हूॅं। जो भारतीय सभ्यता को दर्शाने में सक्षम ही नहीं बल्कि परिपूर्ण होते हैं। परन्तु वह भी अनेक संकटों से घिरे हुए हैं और संकटमोचन उनकी कोई सहायता नहीं कर पा रहे हैं। उनकी जीवनशैली को दर्शाने का प्रयास करूं तो वह विश्व के सबसे संकीर्ण मानसिकता से ग्रस्त हैं। उनकी असहिष्णुता जग जाहिर होकर जग हंसाई का रूप धारण कर चुकी है। लोग उन्हें असाधारण ही नहीं बल्कि स्पष्ट रूप से पागल कहते हैं और वह पागल कहने वालों का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते।
सत्य तो यह भी है कि ढंग का जीवन व्यतीत करना तथाकथित विद्वानों के भाग्य में ही नहीं होता। ऊपर से किंवदंतियां प्रचलित कर रखी हैं कि ज्ञान की देवी "सरस्वती" की धन की देवी "लक्ष्मी" से युगों युगों से शत्रुता चली आ रही है और फिर रामचंद्र जी कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा "हंस" चुगेगा दाना दुनका "कौआ" मोती खायेगा। अर्थात टूटे व्यक्तित्व से उभरने की अंतिम आशा भी समाप्त करने की ठान रखी है। जिसके जिम्मेदार भी निठल्ले साहित्यकार स्वयं ही हैं और अकारण ही कभी "श्री रामचन्द्र", माताश्री "सरस्वती" और माताश्री "लक्ष्मी" जी को बदनाम कर रहे हैं।
प्रश्न स्वाभाविक है कि भला माताश्री "सरस्वती" और माताश्री "लक्ष्मी" जी की आपस में क्या शत्रुता हो सकती है और यदि है तो सरस्वती जी की पूजा अर्चना कर रहे कुमार विश्वास पर लक्ष्मी जी की विशेष कृपा क्यों है? क्यों जम्मू और कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों में एक ही मंच पर सरस्वती के पुजारियों को पारितोषिक के रूप में विभिन्न रूपों में "लक्ष्मी" की कृपा बरसती है? अपनी स्वार्थसिद्धि हेतु हिन्दू देवी देवताओं की बलि क्यों चढ़ा रहे हैं?
सत्य तो यह भी है कि इस सत्य को कोई भी माई का लाल अकादमी से पूछने का साहस नहीं कर सकता है कि राज्य के भीतरी और बाहरी रचनाकारों में ऐसा भेदभाव क्यों है? राज्य के स्थानीय कवियों से सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है? यदि यह सौतेला व्यवहार आदरणीय सचिव के स्थान पर केंद्र शासित प्रदेश के माननीय उप राज्यपाल कर रहे हैं तो भी उन्हें समानता के पेट में छुरा घोपने का असंवैधानिक अधिकार किसने दिया?
हालांकि देश के सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी "सबका साथ सबका विकास" के नारे को सम्पूर्ण भारत में लागू कर रहे हैं और उनके उपरोक्त स्लोगन का अनुमोदन करते हुए माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी उसकी ध्वनि बुलंद कर रही हैं। जिसका साक्ष्य तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा जारी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के भाषणों का कई खंडों पर आधारित विशाल संग्रह है। परन्तु विचारणीय यह है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के उक्त भाषणों के संग्रह का सीधा असर "समानता" और "सबका साथ, सबका का विकास" का जम्मू और कश्मीर के लेखकों पर दिखाई क्यों नहीं दे रहा है? क्यों सब विद्वानों के व्यक्तित्व टूटे हुए हैं? उपरोक्त दिव्यांगता का कारण क्या है?
जबकि सर्वविदित है कि टूटे हुए व्यक्तित्वों को सार्वजनिक सुदृढ़ करने हेतु भारत के महामहिम राष्ट्रपति जी ने माननीय उप राज्यपाल श्री मनोज सिन्हा जी को जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश का उप राज्यपाल नियुक्त किया हुआ है। जिसके अंतर्गत उनका मौलिक कर्तव्य बनता है कि वह भारत के माननीय सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा सुशासन की आधारशिला पर राष्ट्र को संबोधित किए भाषणों का प्रचार व प्रसार करें और माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी की आकांक्षाओं को सम्पूर्ण करते हुए जम्मू और कश्मीर के समस्त लेखक वर्ग को सशक्त करने का राष्ट्रीय मौलिक दायित्व निभाएं। जय हिन्द! सम्माननीयों ॐ शांति ॐ
प्रार्थी
इंदु भूषण बाली
व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता (पिटीशनर इन पर्सन)
वरिष्ठ लेखक व पत्रकार, राष्ट्रीय चिंतक, स्वयंसेवक, भ्रष्टाचार के विरुद्ध विश्व की लम्बी ग़ज़ल, राष्ट्रभक्ति एवं मौलिक कर्तव्यों के नारों में विश्व कीर्तिमान स्थापितकर्ता
एवं
भारत के राष्ट्रपति पद का पूर्व प्रत्याशी,
वार्ड अंक 01, डाकघर व तहसील ज्यौड़ियां, जिला जम्मू, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, पिनकोड 181202।
Grievance Status for registration number : PRSEC/E/2023/0031077
Grievance Concerns To
Name Of Complainant
Indu Bhushan Bali
Date of Receipt
04/08/2023
Received By Ministry/Department
President's Secretariat
Grievance Description
टूटे व्यक्तित्व
आलेख
चारों दिशाओं की ओर देखने से पता चल रहा है कि प्रत्येक व्यक्ति कहीं न कहीं या किसी न किसी रूप से टूटा हुआ अवश्य है भले ही वह अपने रोग को कितना भी छुपा ले पर छुपता कुछ भी नहीं है क्योंकि मानव मानवता से अछूते हैं और अछूते मानवीय मूल्य मात्र ढकोसला माने जाते हैं मान्यता यह भी है कि ढकोसले केवल ढकोसले ही होते हैं जिनका यथार्थ से कोई संबंध नहीं होता और ना ही उनका कोई महत्व होता है
मेरा सौभाग्य है कि मैं कला संस्कृति एवं भाषा प्रेमियों से जुड़ा हुआ हूॅं जो भारतीय सभ्यता को दर्शाने में सक्षम ही नहीं बल्कि परिपूर्ण होते हैं परन्तु वह भी अनेक संकटों से घिरे हुए हैं और संकटमोचन उनकी कोई सहायता नहीं कर पा रहे हैं उनकी जीवनशैली को दर्शाने का प्रयास करूं तो वह विश्व के सबसे संकीर्ण मानसिकता से ग्रस्त हैं उनकी असहिष्णुता जग जाहिर होकर जग हंसाई का रूप धारण कर चुकी है लोग उन्हें असाधारण ही नहीं बल्कि स्पष्ट रूप से पागल कहते हैं और वह पागल कहने वालों का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते
सत्य तो यह भी है कि ढंग का जीवन व्यतीत करना तथाकथित विद्वानों के भाग्य में ही नहीं होता ऊपर से किंवदंतियां प्रचलित कर रखी हैं कि ज्ञान की देवी सरस्वती की धन की देवी लक्ष्मी से युगों युगों से शत्रुता चली आ रही है और फिर रामचंद्र जी कह गए सिया से ऐसा कलयुग आएगा हंस चुगेगा दाना दुनका कौआ मोती खायेगा अर्थात टूटे व्यक्तित्व से उभरने की अंतिम आशा भी समाप्त करने की ठान रखी है जिसके जिम्मेदार भी निठल्ले साहित्यकार स्वयं ही हैं और अकारण ही कभी श्री रामचन्द्र माताश्री सरस्वती और माताश्री लक्ष्मी जी को बदनाम कर रहे हैं
प्रश्न स्वाभाविक है कि भला माताश्री सरस्वती और माताश्री लक्ष्मी जी की आपस में क्या शत्रुता हो सकती है और यदि है तो सरस्वती जी की पूजा अर्चना कर रहे कुमार विश्वास पर लक्ष्मी जी की विशेष कृपा क्यों है क्यों जम्मू और कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रमों में एक ही मंच पर सरस्वती के पुजारियों को पारितोषिक के रूप में विभिन्न रूपों में लक्ष्मी की कृपा बरसती है अपनी स्वार्थसिद्धि हेतु हिन्दू देवी देवताओं की बलि क्यों चढ़ा रहे हैं
सत्य तो यह भी है कि इस सत्य को कोई भी माई का लाल अकादमी से पूछने का साहस नहीं कर सकता है कि राज्य के भीतरी और बाहरी रचनाकारों में ऐसा भेदभाव क्यों है राज्य के स्थानीय कवियों से सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है यदि यह सौतेला व्यवहार आदरणीय सचिव के स्थान पर केंद्र शासित प्रदेश के माननीय उप राज्यपाल कर रहे हैं तो भी उन्हें समानता के पेट में छुरा घोपने का असंवैधानिक अधिकार किसने दिया
हालांकि देश के सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी सबका साथ सबका विकास के नारे को सम्पूर्ण भारत में लागू कर रहे हैं और उनके उपरोक्त स्लोगन का अनुमोदन करते हुए माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी उसकी ध्वनि बुलंद कर रही हैं जिसका साक्ष्य तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा जारी माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के भाषणों का कई खंडों पर आधारित विशाल संग्रह है परन्तु विचारणीय यह है कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के उक्त भाषणों के संग्रह का सीधा असर समानता और सबका साथ सबका का विकास का जम्मू और कश्मीर के लेखकों पर दिखाई क्यों नहीं दे रहा है क्यों सब विद्वानों के व्यक्तित्व टूटे हुए हैं उपरोक्त दिव्यांगता का कारण क्या है
जबकि सर्वविदित है कि टूटे हुए व्यक्तित्वों को सार्वजनिक सुदृढ़ करने हेतु भारत के महामहिम राष्ट्रपति जी ने माननीय उप राज्यपाल श्री मनोज सिन्हा जी को जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश का उप राज्यपाल नियुक्त किया हुआ है जिसके अंतर्गत उनका मौलिक कर्तव्य बनता है कि वह भारत के माननीय सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा सुशासन की आधारशिला पर राष्ट्र को संबोधित किए भाषणों का प्रचार व प्रसार करें और माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी की आकांक्षाओं को सम्पूर्ण करते हुए जम्मू और कश्मीर के समस्त लेखक वर्ग को सशक्त करने का राष्ट्रीय मौलिक दायित्व निभाएं जय हिन्द सम्माननीयों ॐ शांति ॐ
प्रार्थी
इंदु भूषण बाली
व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता पिटीशनर इन पर्सन
वरिष्ठ लेखक व पत्रकार राष्ट्रीय चिंतक स्वयंसेवक भ्रष्टाचार के विरुद्ध विश्व की लम्बी ग़ज़ल राष्ट्रभक्ति एवं मौलिक कर्तव्यों के नारों में विश्व कीर्तिमान स्थापितकर्ता
Current Status
Grievance received
Date of Action
04/08/2023
Officer Concerns To
Forwarded to
President's Secretariat
Officer Name
Organisation name
President's Secretariat
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