नई संसद आजादी के अमृत महोत्सव कार्यकाल की नई सुबह की भांति प्रकाशमान होने वाली नई किरण प्रमाणित होनी चाहिए। जिसके लिए माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ने अपनी वचनबद्धता दोहराते हुए कहा भी है कि नई संसद लोकतांत्रिक यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। जो लोकतांत्रिक परम्पराओं के संरक्षण एवं विस्तार के प्रति सदैव हमारी प्रतिबद्धता का जीवंत प्रमाण है। जिससे आशा की जा सकती है कि अब नई नवेली संसद में सत्यमेव जयते के स्लोगन को संजीवनी बूटी पिलाते हुए शुभारम्भ किया जाएगा। जो भारतीयता, मानवीयता और राष्ट्रीयता हेतु अमृत होगा और यदि ऐसा नहीं होगा तो सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की शक्ति अशक्त दिव्यांगता में परिवर्तित होनी आरम्भ हो जाएगी। जो उनके पतन का कारण बनेगा और सत्ता स्थानांतरित हो जाएगी।
चूंकि सार्वभौमिक सत्य यह है कि समय प्रायः परिवर्तनशील होता है और कर्म प्रधान सशक्त व्यक्तित्व अशक्त व्यक्तित्व को हमेशा निगल जाता है। यही प्रकृति का नियम है। सर्वविदित है कि प्रकृति एक वर्ष में चार परिवर्तन अवश्य लाती है। जो अक्षम के स्थान पर सक्षम की स्थापना कर नवीनीकरण करती है। जिसकी पुष्टि हेतु अब तक का इतिहास साक्षी है कि बलशाली सदैव "निर्बल" पर सत्तासीन रहा है। वह बल चाहे शारीरिक, मानसिक, आर्थिक या राजनैतिक रूप में ही क्यों न हो? जैसे बुद्धि बल से अंग्रेजों ने भारत पर सैकड़ों वर्ष राज किया और जब भारतीयों ने अपने मनोबल का प्रदर्शन किया तो भारत के माननीय प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय ज्वाहर लाल नेहरू जी के हाथों में "सेन्गोल" देते हुए तत्कालीन अंग्रेज शासक रातों रात भाग खड़े हुए थे।
सर्वविदित है कि "सेन्गोल" सत्ता हस्तांतरण का उद्घोषक माना जाता है। जो स्वर्ण परत का होता है और उसे राजदंड कहते हैं। जिसके लिए माना यह भी जाता है कि जिस शासक को सेन्गोल सौंपा जाता है। तो उक्त शासक इस बात का प्रतीक बन जाता है कि वह नागरिकों को निष्पक्ष और न्यायपूर्ण शासन देगा। जिसकी वचनबद्धता माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी ने दोहराई है। चूंकि माननीय सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने माननीय लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला जी के संग नई संसद में पवित्रता के प्रतीक "सेन्गोल" अर्थात राजदंड को दिनांक 28-05-2023 को श्रद्धा सहित प्रतिष्ठित किया है। जिसका उद्देश्य यह है कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार भारत के सम्पूर्ण नागरिकों को निष्पक्ष और न्यायपूर्ण शासन देने के लिए वचनबद्ध है।
जबकि पुरानी संसद का कड़वा सत्य यह है कि उस संसद में पारित विकलांगजन अधिनियम 1995 और इसी अधिनियम के सशक्तिकरण हेतु माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार द्वारा संशोधित विकलांगजन को दिव्यांगजन का नाम देते हुए दिव्यांगजन अधिनियम 2016 पारित किया था। परन्तु दुर्भाग्यवश कहना मेरी विवशता है कि उक्त अधिनियमों का भी मेरे जैसे पीड़ित को 1996 से लेकर अब तक लाभ नहीं मिला। ध्यान रहे उपरोक्त अधिनियम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू है। जिसके लिए संयुक्त राष्ट्र संघ हमारे देश सहित प्रत्येक देश को धन के रूप विशाल सहायता राशि भी देता है। ऐसे में ज्वलंत प्रश्न स्वाभाविक ही नहीं बल्कि अत्यंत आवश्यक हैं कि यदि पीड़ितों को राहत एवं लाभ नहीं देना तो फिर संसद में अरबों रुपए खर्च कर उपरोक्त अधिनियमों को बनाने का क्या लाभ?
हालांकि लाभान्वित होने के लिए लेखक की कई याचिकाएं वर्तमान में माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय में विचाराधीन हैं। जिनपर माननीय सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व वाली सरकार भी पिछले नौ माह से माननीय न्यायालय द्वारा मांगने के बावजूद "जवाब" नहीं दे पा रही। जबकि माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी एवं सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ही नेतृत्व वाली जम्मू और कश्मीर सरकार के सर्वोच्च प्रशासक माननीय उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा जी ने मेरे द्वारा मांगे गए वरिष्ठ अधिवक्ताओं जैसे कि सर्वश्री हरीश साल्वे जी, डॉ सुजाता दास जी, ज्वरण सेवानिवृत्ति न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री राजेश कुमार श्रीवास और दीपक कंसल जी की सेवाएं मुझे उपलब्ध कराने हेतु जम्मू और कश्मीर विधिक सेवा प्राधिकरण जम्मू को पत्र भेजकर मुझे कृतार्थ किया है। चूंकि वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरीश साल्वे जी की सेवा शुल्क लगभग एक करोड़ है और अपने मौलिक अधिकारों को प्राप्त करने हेतु उन्हें इतना भारीभरकम शुल्क देना मेरे बस में नहीं है।
अतः आशा पर सम्पूर्ण सृष्टि टिकी हुई है और ईश्वरीय आशीर्वाद सहित सकारात्मक आशा से ही मानव जीवन के आधार का सृजनात्मक विस्तार होता है। जिसके लिए भविष्य में नई संसद मील का पत्थर सिद्ध हो सकती है। ऐसी मेरी शुभकामनाएं हैं। ताकि राष्ट्र सर्वोपरि के सिध्दांतों पर वर्षों तक माननीय सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की "नई संसद" में जय जयकार होती रहे। ॐ शांति ॐ