माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी भारतीय न्यायपालिका के माननीय न्यायालय माननीय थे, माननीय हैं और सदैव माननीय ही रहेंगे। इसी प्रकार संविधान का निर्वहन करने वाले माननीय सदाचारी न्यायाधीश भी माननीय थे, माननीय हैं और सदैव माननीय ही रहेंगे। क्योंकि संविधान ने उपरोक्त माननीय न्यायालयों के माननीय न्यायाधीशों को अमानवीय क्रूरतम से क्रूरतम कृत्य करने वाले आपराधिक वृत्ति के अपराधियों को "मृत्युदंड" देने की अपार ईश्वरीय शक्ति दे रखी है। जिसका कतिपय वर्तमान माननीय विद्वान न्यायाधीश सदाचार को त्याग कर सदुपयोग कम और भ्रष्टाचार को अपना कर दुरुपयोग अधिक कर रहे हैं। जिससे प्रमाणित होता है कि माननीय न्यायाधीश निर्धारित निर्लज्जता की मर्यादित समस्त सीमाऍं लॉंघ चुके हैं!
जिन पर राष्ट्रहित में तीव्रता से अंकुश लगाने हेतु माननीय राष्ट्रपति जी भले ही मुझे दंड स्वरूप जेलयात्रा करनी पड़े अथवा उपरोक्त न्यायाधीश सुकरात और मीरा की भॉंति मुझे विष देकर मारने का आदेश पारित करें। परन्तु सत्य प्रकाश में लाना अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि मानव प्रायः मानव ही रहता है जिसका कटुसत्य यह है कि माननीय न्यायालय और उसके माननीय विद्वान न्यायाधीश जब दोषी प्रमाणित हो चुके अपराधियों को मृत्युदंड देकर मौत के घाट उतार देते हैं, तब मौत के घाट उतार चुके किसी "निर्दोष दंडभोगी" के विद्वान उत्तराधिकारी यद्यपि न्यायिक ठोस साक्ष्यों के आधार पर उक्त दंडभोगी को "निर्दोष" प्रमाणित कर देते हैं तो दंड देने वाले उपरोक्त तथाकथित विद्वान माननीय न्यायाधीश मृत्युदंड पा चुके 'निर्दोष' को निस्संदेह पुनः संजीव नहीं कर सकते हैं। जिससे सिद्ध होता है कि उपरोक्त माननीय न्यायालय के माननीय विद्वान न्यायाधीश न्यायमूर्ति ईश्वरीय शक्तियों से सम्पन्न होते हुए भी ईश्वर कदापि नहीं हो सकते हैं।
चूॅंकि इसी माननीय न्यायालय के कतिपय माननीय विद्वान न्यायाधीश भ्रष्टाचार में लिप्त होने के आधार पर डॉक्टरों द्वारा प्रमाणित मेरे तपेदिक रोग व प्रताड़ना के बावजूद मेरे व्यक्तित्व एवं उज्ज्वल भविष्य को नष्ट कर चुके हैं, जिसे मैं माननीय सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व में भारत की अच्छी सरकार की घटक सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग की माननीय विकलांगजन न्यायालय के माननीय मुख्य आयुक्त डॉ. कमलेश कुमार पांडेय जी द्वारा एम्स के मनोरोग विशेषज्ञों द्वारा जारी दिनॉंक 26 मई 2017 के प्रमाणपत्र के आधार पर स्पष्ट रूप से सिद्ध कर चुका हूॅं कि मैं न तो दिव्यांग हूॅं और न ही मानसिक रोगी हूॅं। जिससे यह भी सिद्ध होता है कि माननीय न्यायाधीश भ्रष्टाचार में लिप्तता के आधार पर "न्याय" के स्थान पर आधारहीन निर्णय देते हुए "अन्याय" करते हैं और अपने अल्प स्वार्थ के कारण निर्दोष व्यक्तियों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व, उनके परिजनों का वर्तमान एवं भविष्य बर्बाद करते हुए माननीय पद और न्यायिक कुर्सी को ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण न्यायपालिका को "कलॅंकित" कर देते हैं।
जिस कलॅंक को छुपाने के लिए मेरी वर्तमान मात्र आठ याचिकाओं में से तीन याचिकाओं में क्रूर प्रतिवादियों द्वारा अधूरे उत्तर देने के बावजूद भी वर्तमान माननीय विद्वान न्यायाधीश अपने ही आदेशों का बार-बार उल्लघंन कर रहे हैं। जिसे साधारण भाषा में बार-बार थूकना और चाटना कहते हैं। जिससे स्पष्ट सिद्ध हो रहा है कि वर्तमान माननीय विद्वान न्यायाधीशों की बुद्धि और विवेक भूतपूर्व भ्रष्ट न्यायाधीशों द्वारा रचाए गए चक्रव्यूह में फंस गई है और उन्हें उक्त चक्रव्यूह में से बाहर निकलने का कोई न्यायिक पथ अर्थात रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है कि वह जाऍं तो जाऍं किस ओर?
इसलिए उपरोक्त माननीय न्यायाधीश मेरे मौलिक अधिकारों पर आधारित 110 साक्ष्यों के मानवीय मूल्यों से भरपूर समस्त आठों याचिकाओं पर अपने मौलिक कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक निर्वहन नहीं करते हुए, मेरे और मेरे परिवार के शेष बचे अनमोल जीवन को सम्पूर्ण नष्ट करते हुए "भ्रष्ट एवं क्रूर प्रतिवादियों" को बिना किसी ठोस आधार के बार-बार अन्तिम और मात्र अन्तिम सुअवसर प्रदान करते हुए आगामी पग उठाने के लिए दोबारा माननीय जूडिशियल रजिस्ट्रार के पास सुनवाई हेतु भेज दिया है। जबकि विधिक विशेषज्ञों के न्यायिक दृष्टिकोण से अधिक से अधिक तीन अवसर ओर एक बार ही रजिस्ट्री में न्यायिक पग उठाने हेतु भेजा जाता है और उसके उपरान्त प्रतिवादियों के अधिकार बन्द कर दिए जाते हैं। जैसे माननीय रजिस्ट्रार जूडिशियल श्री एस.आर. गांधी जी द्वारा कई सुअवसर देने के बाद माननीय न्यायालय को वापस भेजने के उपरान्त माननीय विद्वान न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्रीमती सिन्धु शर्मा जी ने दिनॉंक 13 सितंबर 2023 को अपने आदेश में विद्वान डिप्टी सालिसिटर जनरल ऑफ इंडिया श्री विशाल शर्मा जी को स्पष्ट किया हुआ है कि इसके बाद आपके अधिकार बन्द कर दिए जाऍंगे। जिनके बाद माननीय न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री रजनीश ओसवाल जी ने भी दिनॉंक 09 अगस्त 2023 के आदेश में स्पष्ट लिखा है कि इस बार भी विफल होने पर उचित आदेश का पालन किया जाएगा। परन्तु माननीय विद्वान न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री पुनीत गुप्ता जी ने अपने ही समकक्ष माननीय न्यायालयों के उपरोक्त आदेशों का उपहास उड़ाते हुए मर्यादित समस्त सीमाओं को लांघकर दिनॉंक 04 अक्टूबर 2023, 21 अक्टूबर 2023, 29 नवम्बर 2023 और 30 दिसम्बर 2023 को दोबारा माननीय जूडिशियल रजिस्ट्रार श्री एस.आर. गांधी जी के पास सुनवाई हेतु आदेश कर दिया है। संभवतः उनकी नियति और विद्वता मुझे मृत्यु से पूर्व "पागल की पेंशन" देते हुए ही "मृत्युलोक" में "सम्पूर्ण न्याय" के दर्शन कराने की कदापि नहीं है।
अतः माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि उपरोक्त अमानवीय परिस्थितियों से मुझे उभारें और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के माननीय विद्वान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ जी का हस्तक्षेप करवाते हुए माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के 36वें माननीय विद्वान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री नोंगमाइकापम कोटेश्वर सिंह जी को मेरी त्वरित सुनवाई हेतु निर्देशित कर मुझे दी जा रही पागल की असंवैधानिक पेंशन से राहत दिला कर समस्त मौलिक अधिकारों सहित संवैधानिक पेंशन दिलाऍं। अन्यथा न्यायिक सिद्धॉंतों व न्यायिक दृष्टिकोण से मेरे वर्तमान सशस्त्र सीमा बल के वर्तमान विभागीय महानिदेशक एवं अन्य पदाधिकारियों को, डॉक्टर राम मनोहर लोहिया एवं सफदरजंग अस्पताल के समस्त पदाधिकारियों सहित न्यायिक बेशर्मी की सीमा लॉंघ चुके माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के माननीय विद्वान न्यायाधीशों को भी दंडस्वरूप "पागल की पेंशन" दे कर अपमानित किया जाए। ऐसे ही क्रूर एवं भ्रष्ट प्रतिवादियों की ओर से उपस्थित विद्वान डिप्टी सालिसिटर जनरल ऑफ इंडिया के सर्वश्री विशाल शर्मा जी व उनके सहायक श्री सुमंत सूद जी को भी "पागल की पेंशन" से सुशोभित किया जाए। ताकि उन्हें मेरी असंवैधानिक एवं असहनीय पीड़ाओं का अनुमान ही नहीं बल्कि अनुभव हो सके। अन्यथा महामहिम राष्ट्रपति जी मुझे इच्छा मृत्यु देकर कृतार्थ करें। ताकि मैं पूर्व भ्रष्ट विद्वान न्यायाधीश ए.एम. मीर जी सहित तत्कालीन वरिष्ठ विद्वान अधिवक्ता श्री डी.सी रैना (वर्तमान में एडवोकेट जनरल) और उनकी सहायक विद्वान अधिवक्ता मोक्षा खजूरिया जी वर्तमान में माननीय विद्वान न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्रीमती मोक्षा खजूरिया काजमी जी के असंवैधानिक आदेशों को चुनौती देने से बच सकूं। सम्माननीयों जय हिन्द
प्रार्थी
डॉ इंदु भूषण बाली
ज्यौड़ियॉं (जम्मू)
जम्मू और कश्मीर
Grievance Status for registration number : PRSEC/E/2024/0000717
Grievance Concerns To
Name Of Complainant
Indu Bhushan Bali
Date of Receipt
06/01/2024
Received By Ministry/Department
President's Secretariat
Grievance Description
माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी भारतीय न्यायपालिका के माननीय न्यायालय माननीय थे माननीय हैं और सदैव माननीय ही रहेंगे इसी प्रकार संविधान का निर्वहन करने वाले माननीय सदाचारी न्यायाधीश भी माननीय थे माननीय हैं और सदैव माननीय ही रहेंगे क्योंकि संविधान ने उपरोक्त माननीय न्यायालयों के माननीय न्यायाधीशों को अमानवीय क्रूरतम से क्रूरतम कृत्य करने वाले आपराधिक वृत्ति के अपराधियों को मृत्युदंड देने की अपार ईश्वरीय शक्ति दे रखी है जिसका कतिपय वर्तमान माननीय विद्वान न्यायाधीश सदाचार को त्याग कर सदुपयोग कम और भ्रष्टाचार को अपना कर दुरुपयोग अधिक कर रहे हैं जिससे प्रमाणित होता है कि माननीय न्यायाधीश निर्धारित निर्लज्जता की मर्यादित समस्त सीमाऍं लॉंघ चुके हैं चूॅंकि मैं 1996 से न्यायिक संघर्ष कर रहा हूॅं जिन पर राष्ट्रहित में तीव्रता से अंकुश लगाने हेतु भले मुझे दंड स्वरूप जेलयात्रा करनी पड़े अथवा उपरोक्त न्यायाधीश सुकरात और मीरा की भॉंति मुझे विष देकर मारने का आदेश पारित करें क्योंकि मृत्यु दण्ड दे चुके प्राणी को यह पुनः संजीव नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह ईश्वर नहीं हैं ऐसे ही यह मुझे मेरा वर्तमान एवं भविष्य मार चुके हैं जिसे माननीय मुख्य आयुक्त डॉ. कमलेश कुमार पांडेय जी द्वारा एम्स के मनोरोग विशेषज्ञों द्वारा द्वारा जारी दिनॉंक 26 मई 2017 के प्रमाणपत्र के आधार पर स्पष्ट रूप से सिद्ध कर चुका हूॅं जिस कलॅंक को छुपाने के लिए मेरी वर्तमान मात्र आठ याचिकाओं में से तीन याचिकाओं में क्रूर प्रतिवादियों द्वारा अधूरे उत्तर देने के बावजूद भी वर्तमान माननीय विद्वान न्यायाधीश अपने ही आदेशों का बार-बार उल्लघंन कर रहे हैं जिसे बार-बार थूकने और चाटने के उक्त चक्रव्यूह में से बाहर निकलने का रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है इसलिए माननीय न्यायाधीश मेरे 110 साक्ष्यों से भरपूर समस्त आठों याचिकाओं पर निष्ठापूर्वक निर्वहन नहीं कर रहे और अन्तिम और मात्र अन्तिम सुअवसर प्रदान कर रहे हैं दोबारा माननीय जूडिशियल रजिस्ट्रार के पास सुनवाई हेतु भेज दिया है जबकि न्यायिक दृष्टिकोण से अधिक से अधिक तीन अवसर ओर एक बार ही रजिस्ट्री में न्यायिक पग उठाने हेतु भेजा जाता है और उसके उपरान्त प्रतिवादियों के अधिकार बन्द कर दिए जाते हैं जैसे माननीय रजिस्ट्रार जूडिशियल श्री एसआर गांधी जी द्वारा वापस भेजने के उपरान्त सर्वश्री माननीय विद्वान न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्रीमती सिन्धु शर्मा जी ने दिनॉंक 13 सितंबर 2023 को विद्वान डिप्टी सालिसिटर जनरल ऑफ इंडिया श्री विशाल शर्मा जी को स्पष्ट किया हुआ है कि इसके बाद आपके अधिकार बन्द कर दिए जाऍंगे जिनके बाद न्यायमूर्ति श्री रजनीश ओसवाल जी ने भी दिनॉंक 09 अगस्त 2023 के आदेश में स्पष्ट लिखा है कि इस बार भी विफल होने पर उचित आदेश का पालन किया जाएगा परन्तु माननीय विद्वान न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री पुनीत गुप्ता जी ने अपने ही समकक्ष माननीय न्यायालयों के उपरोक्त आदेशों का उपहास उड़ाते हुए मर्यादित समस्त सीमाओं को लांघकर दिनॉंक 04 अक्टूबर 2023 21अक्टूबर 2023 29नवम्बर 2023 और 30दिसम्बर 2023 को दोबारा माननीय जूडिशियल रजिस्ट्रार के पास सुनवाई हेतु आदेश कर दिया है संभवतः उनकी नियति और विद्वता मुझे मृत्यु से पूर्व पागल की पेंशन देने की है अतः माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी मेरी आपसे विनम्र प्रार्थना है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय के माननीय विद्वान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ जी का हस्तक्षेप करवाते हुए माननीय जम्मू और कश्मीर के 36वें माननीय विद्वान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री नोंगमाइकापम कोटेश्वर सिंह जी को मेरी त्वरित सुनवाई हेतु निर्देशित कर मेरी पागल की असंवैधानिक पेंशन से राहत देकर समस्त मौलिक अधिकारों सहित संवैधानिक पेंशन दिलाऍं अन्यथा एसएसबी के महानिदेशक एवं अन्य पदाधिकारियों को डॉक्टर राम मनोहर लोहिया एवं सफदरजंग अस्पताल के साथ माननीय जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय के माननीय विद्वान न्यायाधीशों को भी दंडस्वरूप पागल की पेंशन देकर अपमानित करें ऐसे ही विद्वान डीएसजी ऑफ इंडिया के सर्वश्री विशाल शर्मा जी व उनके सहायक श्री सूद जी को भी पागल की पेंशन दें ताकि उन्हें मेरी पीड़ाओं का अनुभव हो सके अन्यथा महामहिम जी मुझे इच्छा मृत्यु देकर कृतार्थ करें डॉ इंदु भूषण बाली ज्यौड़ियॉं
Current Status
Grievance received
Date of Action
06/01/2024
Officer Concerns To
Forwarded to
President's Secretariat
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President's Secretariat
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