चूॅंकि पतिव्रता स्त्रियॉं वह स्त्रियॉं कहलाती हैं जो अग्नि को साक्षी मानकर दोनों परिवारों एवं समाज के समक्ष अपने पतियों को दिए और लिए गए वचनों पर जीवनभर अनुकूल अथवा ज्वलंत कष्टदाई प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अडिग अपने पति के साथ खड़ी रहती हैं और पत्नीधर्म का दायित्व निभाती हैं, जो अपने तन और मन को पूर्णतया मात्र और मात्र अपने पतियों को ही समर्पित करती हैं, पतियों की आज्ञा को ही शिरोधार्य करती हैं, पराए पुरुषों का गलत विचार तो क्या उनके द्वारा दर्शाए मार्गदर्शन को भी ठोकर मारती हैं अर्थात अपने सहवासी पतियों का ही सदैव कहना मानते हुए उनके पदचिन्हों पर चलकर गृहस्थ संवारती हैं, ऐसे पवित्र गुणों वाली पत्नियों को ही शास्त्रों में पतिव्रता स्त्रियॉं कहा गया है। जिनका भव्य मान मृत्युलोक में ही नहीं बल्कि आलौकिक परलोक में भी दिव्य सम्मान प्राप्त होता है।
उल्लेखनीय यह भी है कि पतिव्रता स्त्रियॉं धरा से जुड़ी होने के आधार पर मानवीय मूल्यों का पालन करते हुए मानवीय संवेदनाओं एवं भावनाओं का साहसपूर्ण अनुसरण करती हैं और निष्पक्षता से करुणा दिखाती हैं, वे अपने-अपने पतियों की विश्वासपात्र मित्र की भूमिका निभाते हुए निष्पक्ष रूप से अपने विचारों का आदान-प्रदान करने में सक्षम होती हैं और समानता में विश्वास रखते हुए स्वयं को कदापि अबला नारी नहीं मानती हैं, वे सदैव देवी स्वरूप आत्मविश्वासी हास्य, दया, विनम्रता और शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं।
अंततः जैसे ऑंखें बन्द कर लेने से सूर्य का प्रकाश लोप नहीं हो जाता है उसी प्रकार भटके हुए अर्थात रूठे हुए पतियों का भी प्रथम मौलिक कर्तव्य बनता है कि वह उपरोक्त सभी गुणात्मक पतिव्रता धर्मपत्नियों को अपना सर्वश्रेष्ठ मित्र मानें। चूॅंकि विवाह बंधन शारीरिक ही नहीं बल्कि दो आत्माओं का जन्मजन्मांतर पवित्र मिलन माना गया है। जिसका सनातन पति-पत्नी अर्थात हिंदू दम्पत्ति को भी दाम्पत्य ज्ञान होना आवश्यक ही नहीं बल्कि अनिवार्य है कि वह दोनों भूतकाल को भूल वर्तमान एवं भविष्य को सुखमय बनाएं। चूॅंकि हिंदू शास्त्र ही नहीं बल्कि हिंदू विवाह अधिनियम उन्नीस सौ पचपन भी संवैधानिक रूप से मानता है कि धर्मपत्नी अपने पति की सबसे अच्छी मित्र होती है और वह धर्म, अर्थ, काम, वंश और मोक्ष प्राप्ति का सर्वोत्तम प्राकृतिक पूज्य स्रोत होती है। चूॅंकि मातृ शक्ति सदैव पूजनीय होती है। सम्माननीयों जय हिन्द
प्रार्थी
इंदु भूषण बाली
व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता (पीटीशनर इन पर्सन)।
वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय लेखक व राष्ट्रीय पत्रकार, राष्ट्रीय चिंतक, आरएसएस का स्वयंसेवक, भ्रष्टाचार के विरुद्ध विश्व की लम्बी ग़ज़ल, राष्ट्रभक्ति एवं मौलिक कर्तव्यों के नारों में विश्व कीर्तिमान स्थापितकर्ता
एवं
भारत के राष्ट्रपति पद का पूर्व प्रत्याशी,
वार्ड अंक 01, डाकघर व तहसील ज्यौड़ियां, जनपद जम्मू, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, पिनकोड 181202।