जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के गिरते साहित्यिक स्तर पर अंकुश कब लगेगा? कब तक वह साहित्यिक चाटुकार लेखकों के कंधे पर सवार होकर अपनी डींगें हॉंकती रहेगी और कब तक चाटुकार लेखक उसकी दिव्यांगता पर अभिनंदन करते हुए उसकी वाहवाही करते रहेंगे? अभी देखना यह भी शेष है कि कब तक अकादमी और अकादमी के अशक्त सचिव आदरणीय श्री भारत सिंह मन्हास जी भारत के माननीय सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा आरंभ किए गए "पारदर्शी भारत अभियान" का अपमान करते हुए अकादमी में लागू नहीं करते? अर्थात वे कब तक पारदर्शी भारत अभियान का अपमान करते हैं? जबकि अकादमी के आदरणीय सचिव श्री भारत सिंह मन्हास जी भलीभॉंति जानते हैं कि पारदर्शी भारत अभियान का अपमान माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का स्पष्ट अपमान है और जागरूक सतर्क साहित्यकारों में ज्वलंत प्रश्न यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के जम्मू और कश्मीर प्रॉंत प्रचारक आदरणीय रूपेश कुमार जी की उपस्थिति में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का स्पष्ट अपमान क्यों हो रहा है?
हालॉंकि दुर्भाग्यवश विडंबनापूर्ण प्रश्न यह भी स्वाभाविक हैं कि अकादमी के सचिव आदरणीय श्री भारत सिंह मन्हास जी मेरे द्वारा लिखित और माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा प्रेषित प्रश्नों का अधिकारिक रूप से उत्तर क्यों नहीं दे रहे? क्या उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर देने में उनके मंचीय चाटुकार एवं चापलूस साहित्यकार उनकी कोई सहायता नहीं कर पा रहे हैं या मात्र अकादमी के मंच पर डींगें हांकने वाले उक्त साहित्यकार सहायता करने के योग्य ही नहीं हैं?
जबकि सार्वभौमिक सत्य यह है कि व्यक्तिगत रूप से तो मैं भी आदरणीय श्री भारत सिंह मन्हास जी का हृदय तल से सम्मान करता हूॅं। परन्तु इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि वह जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा अधिकारी होते हुए आकादमिक प्रशासकीय भ्रष्टाचार को बढ़ावा दें। जैसे कि वे अकादमी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में बाहरी राज्यों से आमंत्रित कवियों को एक-एक लाख रुपए तक का पारितोषिक और प्रॉंतीय कवियों को मात्र दस हजार रुपए का भेदभावपूर्ण भ्रष्टाचार, हिंदी शीराज़ा में प्राथमिकता के आधार पर बाहरी राज्यों के लेखकों के आलेख प्रकाशित करने का भ्रष्टाचार, बार बार अपने चहेते लेखकों को बुक कर उन्हें मंचासीन कर "अंधा बॉंटे रेवड़ियॉं मुड़-मुड़ अपनों को दे" वाली कहावत को चरितार्थ करने का भ्रष्टाचार, राइटर्स क्लब पर अतिक्रमण और मेरे जैसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखकों का तिरस्कारपूर्ण भ्रष्टाचार सहित माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा आरंभ किए गए पारदर्शी भारत अभियान के खुल्लमखुल्ले अपमानजनक भ्रष्टाचार को असंवैधानिक बढ़ावा दे रहे हैं।
मेरी असहनीय ज्वलंत समस्या यह भी है कि आदरणीय सचिव श्री भारत सिंह मन्हास जी केंद्र शासित प्रदेश के सुशासन को कुशासन सिद्ध करने पर क्यों तुले हुए हैं और उपरोक्त भ्रष्टाचार को उजागर करने हेतु स्पष्ट उत्तर देने में चुप्पी क्यों साधे हुए हैं? जबकि अब तक उन्हें मानहानि के आधार पर मेरे विरुद्ध माननीय न्यायालय का द्वार खटखटाना चाहिए था और मेरे प्रश्नों को चुनौती देनी चाहिए थी।
परन्तु सम्भवतः दुर्भाग्यवश वे भारत को भ्रष्टाचारमुक्त बनाने में केंद्रीय सरकार द्वारा चलाए जा रहे भ्रष्टाचारमुक्त अभियान के अग्निकुंड में अपने कर कमलों द्वारा आहूतियॉं नहीं डालना चाहते और न ही भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहते हैं। अंततः माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी क्यों? सम्माननीयों जय हिन्द
प्रार्थी
इंदु भूषण बाली
व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता (पीटीशनर इन पर्सन)।
वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय लेखक व राष्ट्रीय पत्रकार, राष्ट्रीय चिंतक, आरएसएस का स्वयंसेवक, भ्रष्टाचार के विरुद्ध विश्व की लम्बी ग़ज़ल, राष्ट्रभक्ति एवं मौलिक कर्तव्यों के नारों में विश्व कीर्तिमान स्थापितकर्ता
एवं
भारत के राष्ट्रपति पद का पूर्व प्रत्याशी,
वार्ड अंक 01, डाकघर व तहसील ज्यौड़ियां, जनपद जम्मू, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, पिनकोड 181202।
Grievance Status for registration number : PRSEC/E/2023/0048666
Grievance Concerns To
Name Of Complainant
Indu Bhushan Bali
Date of Receipt
24/11/2023
Received By Ministry/Department
President's Secretariat
Grievance Description
अंततः माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी क्यों आलेख जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी के गिरते साहित्यिक स्तर पर अंकुश कब लगेगा कब तक वह साहित्यिक चाटुकार लेखकों के कंधे पर सवार होकर अपनी डींगें हॉंकती रहेगी और कब तक चाटुकार लेखक उसकी दिव्यांगता पर अभिनंदन करते हुए उसकी वाहवाही करते रहेंगे अभी देखना यह भी शेष है कि कब तक अकादमी और अकादमी के अशक्त सचिव आदरणीय श्री भारत सिंह मन्हास जी भारत के माननीय सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा आरंभ किए गए पारदर्शी भारत अभियान का अपमान करते हुए अकादमी में लागू नहीं करते अर्थात वे कब तक पारदर्शी भारत अभियान का अपमान करते हैं जबकि अकादमी के आदरणीय सचिव श्री भारत सिंह मन्हास जी भलीभॉंति जानते हैं कि पारदर्शी भारत अभियान का अपमान माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का स्पष्ट अपमान है और जागरूक सतर्क साहित्यकारों में ज्वलंत प्रश्न यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ आरएसएस के जम्मू और कश्मीर प्रॉंत प्रचारक आदरणीय रूपेश कुमार जी की उपस्थिति में माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का स्पष्ट अपमान क्यों हो रहा है हालॉंकि दुर्भाग्यवश विडंबनापूर्ण प्रश्न यह भी स्वाभाविक हैं कि अकादमी के सचिव आदरणीय श्री भारत सिंह मन्हास जी मेरे द्वारा लिखित और माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा प्रेषित प्रश्नों का अधिकारिक रूप से उत्तर क्यों नहीं दे रहे क्या उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर देने में उनके मंचीय चाटुकार एवं चापलूस साहित्यकार उनकी कोई सहायता नहीं कर पा रहे हैं या मात्र अकादमी के मंच पर डींगें हांकने वाले उक्त साहित्यकार सहायता करने के योग्य ही नहीं हैं जबकि सार्वभौमिक सत्य यह है कि व्यक्तिगत रूप से तो मैं भी आदरणीय श्री भारत सिंह मन्हास जी का हृदय तल से सम्मान करता हूॅं परन्तु इसका यह अर्थ कदापि नहीं है कि वह जम्मू कश्मीर प्रशासनिक सेवा अधिकारी होते हुए आकादमिक प्रशासकीय भ्रष्टाचार को बढ़ावा दें जैसे कि वे अकादमी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में बाहरी राज्यों से आमंत्रित कवियों को एक एक लाख रुपए तक का पारितोषिक और प्रॉंतीय कवियों को मात्र दस हजार रुपए का भेदभावपूर्ण भ्रष्टाचार हिंदी शीराज़ा में प्राथमिकता के आधार पर बाहरी राज्यों के लेखकों के आलेख प्रकाशित करने का भ्रष्टाचार बार बार अपने चहेते लेखकों को बुक कर उन्हें मंचासीन कर अंधा बॉंटे रेवड़ियॉं मुड़ मुड़ अपनों को दे वाली कहावत को चरितार्थ करने का भ्रष्टाचार राइटर्स क्लब पर अतिक्रमण और मेरे जैसे अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लेखकों का तिरस्कारपूर्ण भ्रष्टाचार सहित माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा आरंभ किए गए पारदर्शी भारत अभियान के खुल्लमखुल्ले अपमानजनक भ्रष्टाचार को असंवैधानिक बढ़ावा दे रहे हैं मेरी असहनीय ज्वलंत समस्या यह भी है कि आदरणीय सचिव श्री भारत सिंह मन्हास जी केंद्र शासित प्रदेश के सुशासन को कुशासन सिद्ध करने पर क्यों तुले हुए हैं और उपरोक्त भ्रष्टाचार को उजागर करने हेतु स्पष्ट उत्तर देने में चुप्पी क्यों साधे हुए हैं जबकि अब तक उन्हें मानहानि के आधार पर मेरे विरुद्ध माननीय न्यायालय का द्वार खटखटाना चाहिए था और मेरे प्रश्नों को चुनौती देनी चाहिए थी परन्तु सम्भवतः दुर्भाग्यवश वे भारत को भ्रष्टाचारमुक्त बनाने में केंद्रीय सरकार द्वारा चलाए जा रहे भ्रष्टाचारमुक्त अभियान के अग्निकुंड में अपने कर कमलों द्वारा आहूतियॉं नहीं डालना चाहते और न ही भ्रष्टाचार को समाप्त करना चाहते हैं अंततः माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी क्यों सम्माननीयों जय हिन्द प्रार्थी इंदु भूषण बाली व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता पीटीशनर इन पर्सन वरिष्ठ अंतरराष्ट्रीय लेखक व राष्ट्रीय पत्रकार राष्ट्रीय चिंतक आरएसएस का स्वयंसेवक भ्रष्टाचार के विरुद्ध विश्व की लम्बी ग़ज़ल राष्ट्रभक्ति एवं मौलिक कर्तव्यों के नारों में विश्व कीर्तिमान स्थापितकर्ता एवं भारत के राष्ट्रपति पद का पूर्व प्रत्याशी वार्ड अंक 01 डाकघर व तहसील ज्यौड़ियां जनपद जम्मू केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, पिनकोड 181202
Current Status
Grievance received
Date of Action
24/11/2023
Officer Concerns To
Forwarded to
President's Secretariat
Officer Name
Organisation name
President's Secretariat
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