भ्रष्टाचारयुक्त से लेकर भ्रष्टाचारमुक्त भारत का दावा करने वाली केंद्रीय मोदी सरकार के अधीनस्थ गृहमंत्रालय के माननीय मंत्री श्री अमित शाह जी के सशक्त नेतृत्व में मेरा पैतृक विभाग सशस्त्र सीमा बल माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय में मेरी याचिका अंक डब्ल्यू पी (सी) 1647/2022 के उत्तर में लिखित रूप में मान रहा है कि भ्रष्टाचारयुक्त सरकार के तत्कालीन अधिकारियों द्वारा मुझे 1992 में स्थाई करना था जो उन्होंने नहीं किया और न ही प्रार्थी की सेवा पुस्तिका में कोई कारण बताया गया है कि उन्हें स्थाई क्यों नहीं किया गया था। इसी सिक्के के दूसरे पहलू की शर्मनाक घिनौनी विडंबना यह है कि विभागीय उप महा न्यायाभिकर्ता (सरकारी अधिवक्ता) अर्थात भारत के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल श्री विशाल शर्मा जी दिनॉंक 12-09-2023 को शपथपत्र सहित अपना 65 पृष्ठीय लिखित उत्तर दाखिल कर माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय को प्रारंभिक आपत्तियों (PRELIMINARY OBJECTIONS) में बताते हैं कि याचिकाकर्ता के किसी भी मौलिक या वैधानिक अधिकार का उल्लंघन नहीं किया गया है, याचिकाकर्ता इस माननीय न्यायालय के असाधारण क्षेत्राधिकार का उपयोग नहीं कर सकता है। वह यह भी कहते हैं कि याचिकाकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका पूरी तरह से खारिज करने योग्य है।
ऐसे में कृपया मेरे देश के जनसाधारण एवं न्यायिक विशेषज्ञ बताएं कि क्या इस प्रकार भारत देश भ्रष्टाचारमुक्त हो पाएगा? क्या यह सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की सरकार के लिए शोभनीय है जो तिरंगे को साक्षी मानकर लाल किले से प्रत्येक स्वतंत्रता दिवस पर सार्वभौमिक पारदर्शी भारत एवं भ्रष्टाचारमुक्त भारत का प्रचार और प्रसार करते नहीं थकते हैं। यही प्रश्न भारत के लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल के बाद लौह पुरुष माने जाने वाले समकालीन माननीय गृहमंत्री श्री अमित शाह जी से भी सादर पूछ रहा हूॅं कि जब लोकतांत्रिक मंदिर अर्थात संसद में आप न्याय का भरोसा देते हैं कि जम्मू और कश्मीर के लोगों को न्याय अवश्य दिया जाएगा तो फिर माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय में आप कॉन्ग्रेसकाल की सरकार के क्रूरतापूर्ण भ्रष्टाचारी सफेद झूठ को उजागर करने पर शपथपत्र सहित झूठी प्रारंभिक आपत्तियॉं दाखिल कर माननीय उच्च न्यायालय को भ्रमित और गुमराह क्यों कर रहे हैं? क्यों बार-बार आपकी सुशासित प्रशासित सरकार के विद्वान उप महा न्यायाभिकर्ता श्री विशाल शर्मा जी मेरी अन्य याचिकाओं पर सुनवाई के समय उत्तर दाखिल करने के लिए समय मॉंग कर माननीय न्यायालय और मेरा अनमोल समय बर्बाद कर रहे हैं। जबकि वह भलीभॉंति जानते हैं कि कॉन्ग्रेस काल की भ्रष्ट सरकार ने स्वयाचिकाकर्ता इंदु भूषण बाली के साथ जघन्यतम अमानवीय क्रूरता की हुई है।
जबकि वह यह भी जानते हैं कि आपके सशक्त नेतृत्व में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग की माननीय विकलांजन न्यायालय के मुख्य आयुक्त डॉ. कमलेश कुमार पांडेय जी, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली के विशेषज्ञों द्वारा दिनॉंक 26-05-2017 को जारी प्रमाण पत्र के आधार पर दिनॉंक 14-07-2017 के अपने पॉंच पृष्ठीय आदेश में स्पष्ट सिद्ध कर चुके हैं कि शिकायतकर्ता अर्थात इंदु भूषण बाली को वर्तमान में कोई विकलांगता नहीं है।
प्रश्न स्वाभाविक है कि निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम 1995 की धारा 47 के लागू होने के बावजूद कॉन्ग्रेस नीत सरकार के क्रूरतापूर्ण भ्रष्टाचारी अधिकारियों ने मुझे दिनॉंक 18 अगस्त 2000 में नौकरी से बर्खास्त क्यों कर दिया था और दुर्भाग्यपूर्ण दिए गए असहनीय तनाव के आधार पर बिना विकलांगता प्रमाण पत्र के मुझे मानसिक पैंशन क्यों दी गई और आज भी दी जा रही है। जबकि मेरी असाधारण योग्यताओं के आधार पर एक ओर माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के माननीय विद्वान न्यायाधीश पिछले चार वर्षों से मेरी निरंतर सुनवाई कर रहे हैं और दूसरी ओर विभिन्न पुस्तकें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असाधारण कीर्तिमान स्थापित करने पर मेरे कीर्तिमानों को पंजीकृत कर मुझे मानद डॉक्टरेट उपाधि से सम्मानित किया गया है।
अब सार्वभौमिक सत्य पर आधारित प्रश्न स्वाभाविक है कि पीडब्ल्यूडी अधिनियम, 1995 की धारा 47 में स्पष्ट उल्लेखित "कि यदि कर्मचारी अपनी सेवा के अंतर्गत विकलांग हो गया है तो किसी भी कर्मचारी की सेवाएं समाप्त नहीं की जा सकती हैं और न ही उसका रैंक कम किया जा सकता है" होने के बावजूद उक्त मौलिक व वैधानिक अधिकारों से वंचित कर मुझे पागल की पेंशन देकर मेरे निर्दोष परिवार सहित मेरे देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कलॅंकित क्यों किया जा रहा है? जबकि उपरोक्त माननीय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री पंकज मिथल जी की खंडपीठ द्वारा एलपीए नंबर 139/2020 पर विधिक सेवा समिति जम्मू से मॉंगी गई रिपोर्ट में विद्वान अधिवक्ता श्री मेहरबान सिंह जी भी दिनॉंक 23-05-2021 में अपने पॉंच पन्नों की रिपोर्ट में मुझे निर्दोष बता चुके हैं। इसलिए माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी मेरा आपसे विनम्र आग्रह है कि मुझे शीघ्र अतिशीघ्र सम्पूर्ण न्याय दिला कर कृतार्थ करें। सम्माननीयों जय हिन्द
प्रार्थी
डॉ. इंदु भूषण बाली
ज्यौड़ियॉं (जम्मू)
जम्मू और कश्मीर
Grievance Status for registration number : PRSEC/E/2023/0052859
Grievance Concerns To
Name Of Complainant
Indu Bhushan Bali
Date of Receipt
29/12/2023
Received By Ministry/Department
President's Secretariat
Grievance Description
मुझे और मेरे देश को विश्व स्तर पर कलॅंकित क्यों किया जा रहा है आलेख भ्रष्टचारयुक्त भ्रष्टाचारमुक्त भारत का दावा करने वाली केंद्रीय मोदी सरकार के अधीनस्थ गृहमंत्रालय के माननीय मंत्री श्री अमित शाह जी के सशक्त नेतृत्व में मेरा पैतृक विभाग सशस्त्र सीमा बल माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय में मेरी याचिका अंक डब्ल्यू पी सी 1647 2022 के उत्तर में लिखित रूप में मान रहा है कि भ्रष्टाचारयुक्त सरकार के तत्कालीन अधिकारियों द्वारा मुझे 1992 में स्थाई करना था जो उन्होंने नहीं किया और न ही प्रार्थी की सेवा पुस्तिका में कोई कारण बताया गया है कि उन्हें स्थाई क्यों नहीं किया गया था इसी सिक्के के दूसरे पहलू की शर्मनाक घिनौनी विडंबना यह है कि विभागीय उप महा न्यायाभिकर्ता सरकारी अधिवक्ता अर्थात भारत के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल श्री विशाल शर्मा जी दिनॉंक 12 09 2023 को शपथपत्र सहित अपना 65 पृष्ठीय लिखित उत्तर दाखिल कर माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय को प्रारंभिक आपत्तियों में बताते हैं कि याचिकाकर्ता के किसी भी मौलिक या वैधानिक अधिकार का उल्लंघन नहीं किया गया है याचिकाकर्ता इस माननीय न्यायालय के असाधारण क्षेत्राधिकार का उपयोग नहीं कर सकता है वह यह भी कहते हैं कि याचिकाकर्ता द्वारा दायर रिट याचिका पूरी तरह से खारिज करने योग्य है ऐसे में कृपया मेरे देश के जनसाधारण एवं न्यायिक विशेषज्ञ बताएं कि क्या इस प्रकार भारत देश भ्रष्टाचारमुक्त हो पाएगा क्यों बार-बार आपकी सुशासित प्रशासित सरकार के विद्वान उप महा न्यायाभिकर्ता श्री विशाल शर्मा जी मेरी अन्य याचिकाओं पर सुनवाई के समय उत्तर दाखिल करने के लिए समय मॉंग कर माननीय न्यायालय और मेरा अनमोल समय बर्बाद कर रहे हैं जबकि वह भलीभॉंति जानते हैं कि कॉन्ग्रेस काल की भ्रष्ट सरकार ने स्वयाचिकाकर्ता इंदु भूषण बाली के साथ जघन्यतम अमानवीय क्रूरता की हुई है जबकि वह यह भी जानते हैं कि आपके सशक्त नेतृत्व में सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार के विकलांगजन सशक्तिकरण विभाग की माननीय विकलांजन न्यायालय के मुख्य आयुक्त डॉ. कमलेश कुमार पांडेय जी अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नई दिल्ली के विशेषज्ञों द्वारा दिनॉंक 26 05 2017 को जारी प्रमाण पत्र के आधार पर दिनॉंक 14 07 2017 के अपने पॉंच पृष्ठीय आदेश में स्पष्ट सिद्ध कर चुके हैं कि शिकायतकर्ता अर्थात इंदु भूषण बाली को वर्तमान में कोई विकलांगता नहीं है प्रश्न स्वाभाविक है कि निःशक्त व्यक्ति समान अवसर अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी अधिनियम 1995 की धारा 47 के लागू होने के बावजूद कॉन्ग्रेस नीत सरकार के क्रूरतापूर्ण भ्रष्टाचारी अधिकारियों ने मुझे दिनॉंक 18 अगस्त 2000 में नौकरी से बर्खास्त क्यों कर दिया था और दुर्भाग्यपूर्ण दिए गए असहनीय तनाव के आधार पर बिना विकलांगता प्रमाण पत्र के मुझे मानसिक पैंशन क्यों दी गई और आज भी दी जा रही है जबकि मेरी असाधारण योग्यताओं के आधार पर एक ओर माननीय जम्मू और कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय के माननीय विद्वान न्यायाधीश पिछले चार वर्षों से मेरी निरंतर सुनवाई कर रहे हैं और दूसरी ओर विभिन्न पुस्तकें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर असाधारण कीर्तिमान स्थापित करने पर मेरे कीर्तिमानों को पंजीकृत कर मुझे मानद डॉक्टरेट उपाधि से सम्मानित किया गया है और पीडब्ल्यूडी अधिनियम, 1995 की धारा 47 में स्पष्ट उल्लेखित कि यदि कर्मचारी अपनी सेवा के अंतर्गत विकलांग हो गया है तो किसी भी कर्मचारी की सेवाएं समाप्त नहीं की जा सकती हैं और न ही उसका रैंक कम किया जा सकता है होने के बावजूद उक्त मौलिक व वैधानिक अधिकारों से वंचित कर मुझे पागल की पेंशन देकर मेरे निर्दोष परिवार सहित मेरे देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कलॅंकित क्यों किया जा रहा है जबकि उपरोक्त माननीय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति श्री पंकज मिथल जी की खंडपीठ द्वारा एलपीए नंबर 139 2020 पर विधिक सेवा समिति जम्मू से मॉंगी गई रिपोर्ट में विद्वान अधिवक्ता श्री मेहरबान सिंह जी भी दिनॉंक 23 05 2021 में अपने पॉंच पन्नों की रिपोर्ट में मुझे निर्दोष बता चुके हैं इसलिए माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी मेरा आपसे विनम्र आग्रह है कि मुझे शीघ्र सम्पूर्ण न्याय दिला कर कृतार्थ करें सम्माननीयों जय हिन्द प्रार्थी डॉ. इंदु भूषण बाली
Current Status
Under process
Date of Action
29/12/2023
Officer Concerns To
Officer Name
Shri Manoj Kumar Dwivedi (Comm Secretary GAD)
Organisation name
Union Territory of Jammu and Kashmir
Contact Address
Room No. 318-19 Govt of JK, Civil Sectt., Srinagar
Email Address
gad-jk@nic.in
Contact Number
01912570018