यद्यपि हम स्वस्थ मन और मस्तिष्क से विचार करें तो प्रकृति की प्रत्येक सुबह ब्रह्मांड के समस्त जीवों के लिए अनमोल सुनहरे पल लेकर आती है और उन आलौकिक पलों से प्रत्येक प्राणी अपने भूत को भूलकर अपने बहुमूल्य वर्तमान एवं अद्वितीय भविष्य को संवार सकता है। वह अपने संचित एवं प्रारब्ध कर्मों के रथ को अपनी विद्वता के बल पर इच्छानुसार मोड़ सकता है।
क्योंकि यह अच्छे पल सभी को आश्चर्यचकित करते हुए उन्हें उत्साहित करते हैं और उन्हें खुशहाल जीवन के लिए प्रेरित भी करते हैं। स्मरण रहे कि यह पल एक ओर हमें अपने बुरे कर्मों को सुधारते के लिए प्रयाप्त होते हैं और दूसरी ओर अपने उलझे जीवनचक्र को सुलझाने व सुरक्षित करने में सहायक ही नहीं बल्कि राम बाण सिद्ध होते हैं।
उल्लेखनीय है कि कोई भी मानव मृत्यु से पूर्व मरना नहीं चाहता और जीवित रहते हुए अपने बीते दुखद पलों को सुखद पलों में परिवर्तित करना चाहता है। यह भी तय है कि उक्त पल शरारती तत्वों द्वारा थोपे गए कलॅंकित आरोपों को समाप्त करने एवं उन्हें सबक सिखाने में भी सक्षम होते हैं। वे उन्हीं पलों द्वारा राष्ट्रनिर्माण कर ऐतिहासिक कीर्तिमान स्थापित कर सकते हैं जिनके परिणाम स्वरूप उदण्ड तत्वों की उदण्डता का दण्ड भी दिया जा सकता है और उन्हें भरे समाज में सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और माननीय न्यायालय में न्यायिक नग्न भी करने का सुअवसर मिलता है। ऐसे ही सब अपना अपना जीवन संवार कर सुखमय हो सकते हैं और उनकी अशॉंत आत्मा शॉंत हो जाती है अर्थात मृत्युलोक में ही सरलतापूर्वक मोक्ष प्राप्ति हो जाती है।
जिससे पूर्णतः यह भी सिद्ध हो जाता है कि प्रत्येक काली रात के उपरान्त स्वर्णिम आलौकिक स्वप्नों भरा उज्ज्वल दिन उगता है। और तो और सत्य यह भी है कि उक्त सुबह हमे इतिहास को बदलने एवं उसे प्रमाणित करने का शुभ अवसर प्रदान करती है और कटुसत्य यह भी है कि पुरस्कारों के भूखे साहित्यिक लेखक स्वयं ही उस पर चित्रकला कर उक्त रंक को राजा बना देते हैं। सम्माननीयों जय हिन्द
डॉ. इंदु भूषण बाली
ज्यौड़ियॉं (जम्मू)
जम्मू और कश्मीर