सर्वविदित है कि जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी द्वारा प्रकाशित डोगरी/हिंदी भाषा की पत्रिका शीराज़ा के मुख्य सम्पादक आदरणीय डॉ रत्न बसोत्रा जी "पारदर्शी भारत अभियान" का उल्लंघन करते हुए अकादमी द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में मनमानी कर रहे हैं। जिसपर निष्ठापूर्वक राष्ट्रहित में मैं पिछले कई दिनों से निरंतर लिख रहा हूॅं। जबकि उसपर किसी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही है। अर्थात आदरणीय डॉ रत्न बसोत्रा जी सहित उनके चाटुकार तथाकथित विद्वान लेखक भी सम्पूर्णत: चुप्पी साध चुके हैं। जबकि मैं अपनी बाल्यावस्था से सुनता आ रहा हूॅं कि लेखक समाज की दृष्टि होते हैं। अर्थात बाल्यकाल से मैंने सुन रखा है कि लेखक ही अपनी ऑंखों से देखी और मन से अनुभव की गई सामाजिक एवं सांस्कृतिक अच्छाइयों/बुराइयों को अपनी योग्यतानुसार लिखकर राष्ट्र को समर्पित करते हैं। जिसका मूल्यांकन राष्ट्रीय विकास में योगदान करता है। जिसके आधार पर राष्ट्र के माननीय महामहिम राष्ट्रपति जी लेखकों को उनके द्वारा विभिन्न भारतीय भाषाओं की विभिन्न विधाओं में सृजित रचनाओं की प्रकाशित पुस्तकों पर साहित्यिक पुरस्कारों से उन्हें सम्मानित करते हैं।
परन्तु दुर्भाग्यवश "पारदर्शी भारत अभियान" के पक्ष में मेरे निस्वार्थ संघर्ष पर तो सम्पूर्ण दृश्य ही बदला हुआ है। चूंकि सभी ने उक्त आलेखों पर मौन धारण किया हुआ है। जबकि समस्त विद्वान लेखक मेरे लेखन को पैनी दृष्टि से पढ़ रहे हैं। जिसपर उनका मौन धारण करना उनके स्वयं के व्यक्तित्व पर अशक्तता एवं स्वार्थ पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है। जिसपर पूछा जा रहा है कि उनकी चुप्पी के पीछे के गड़बड़ घोटाले का रहस्य क्या है? चूंकि उपरोक्त कार्यक्रमों में अभ्यस्त मंचासीन प्रोफेसर डॉक्टर, अधिकारी, निदेशक, साहित्य अकादमी एवं पद्मश्री पुरस्कारों से सम्मानित महानुभाव भी प्रतिक्रिया देने के स्थान पर पतली गली से निकलना उचित मान रहे हैं। हालांकि राष्ट्र को समर्पित मेरे सर्वश्रेष्ठ लेखन को आदरणीय डॉ रत्न बसोत्रा जी ने पहले से ही "नकारात्मक लेखन" की संज्ञा देते हुए मेरा तिरस्कार किया हुआ है। जिसमें उनके चाटुकार तथाकथित विद्वान साहित्यकारों ने भी अपनी अद्वितीय, अकल्पनीय, और अविश्वसनीय आहुतियां देते हुए मेरा उपहास उड़ाया हुआ है। जिसके आधार पर मैंने कई बार तत्कालीन माननीय महामहिम राष्ट्रपति महोदय जी को पत्र लिखकर अपनी आपत्तियां दर्ज करवाई हुई हैं। क्योंकि कल्चरल अकादमी जम्मू के आयोजकों द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में सम्मिलित होने का मेरा उद्देश्य राष्ट्रहित में होता है ना कि आदरणीय डॉ रत्न बसोत्रा जी द्वारा देय एक समोसा या 1350 रुपए मानदेय प्राप्त करना है। जिसपर राष्ट्रहित में मेरा शंखनाद करना संभवतः आदरणीय डॉ रत्न बसोत्रा जी को नश्तर की भांति चुभ रहा है। जिसके आधार पर वे अपनी अशक्त मानसिकता के कारण उसे अपनी "मानहानि" मान रहे हैं। जिसके लिए वह मेरे विरुद्ध माननीय न्यायालय में याचिका दायर करने की धमकी भी दे रहे हैं। जबकि यह उनका मौलिक अधिकार है और मेरा मौलिक कर्तव्य बनता है कि एक जागरूक नागरिक होने के आधार पर मैं "पारदर्शी भारत अभियान" की सुरक्षा हेतु माननीय न्यायालय में उपस्थित होकर उक्त याचिका का सामना करूं। जिससे मेरी अपार संवैधानिक योग्यता और राष्ट्रभक्ति प्रमाणित हो सके।
उल्लेखनीय है कि बुद्धि, विवेक, आचार, व्यवहार, नैतिकता और चरित्र पर उठे प्रश्नों के मूल्यांकन हेतु अपनी योग्यता सिद्ध करने के लिए "माननीय न्यायालय" सर्वोच्च न्यायिक मंच है। जिसमें दुर्भाग्यवश आदरणीय डॉ रत्न बसोत्रा जी कल्चरल अकादमी द्वारा प्रत्येक कार्यक्रम को "परमाणु ऊर्जा संयंत्र की सुरक्षा एवं संरक्षण" की भांति कवियों के नाम अंतिम क्षण तक गुप्त रखने पर अपने साक्ष्य प्रस्तुत करेंगे और मैं भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में "भ्रष्टाचार मुक्त भारत" एवं "सबका साथ और सबका विकास" पर आधारित केंद्र सरकार के सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा संचालित "पारदर्शी भारत अभियान" का हवाला देते हुए सिद्ध करने का प्रयास करूंगा कि कल्चरल अकादमी जम्मू द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बुक कवियों के नाम गुप्त रखना अभियान का उल्लंघन ही नहीं बल्कि खुल्लमखुल्ला भ्रष्टाचारलिप्त अपमान है। जिसके लिए मेरा अटल विश्वास है कि राष्ट्रहित में भारत के राजचिन्ह "सत्यमेव जयते" की पूर्ति हेतु जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश की सरकार सहित भारत सरकार एवं भारत सरकार का "संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय" भी मेरे साथ खड़ होगा।
अतः इसके लिए मैंने जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के माननीय उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा जी, विश्वस्तरीय सशक्त हस्ताक्षर भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं माननीय महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल जी को दिनांक 23-06-2023 को क्रमशः समस्या अंक सर्वप्रथम :- 999004057465 : PMOPG/E/2023/0124702 : PRSEC/E/2023/0024044 को कार्यवाही हेतु भेज दी हैं। जिनपर तुरन्त कारवाई करते हुए माननीय प्रधानमंत्री एवं महामहिम राष्ट्रपति जी के कार्यालयों ने उचित कार्यवाही हेतु उसी दिन जम्मू और कश्मीर सरकार को भेज दी थीं। संभवतः आज माननीय उपराज्यपाल जी के कार्यालय से भी कार्यवाही होगी। जिसमें दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। अर्थात पारदर्शी भारत अभियान और मेरे निस्वार्थ संघर्ष पर निष्पक्ष ठोस निष्कर्ष सार्वजनिक होगा। जिस निष्कर्ष को माननीय न्यायालय में एक साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। जिसका निर्णय यद्यपि आदरणीय डॉ रत्न बसोत्रा जी के पक्ष में गया तो मुझे भारी आर्थिक दण्ड या दो वर्ष का सशक्त कारावास या दोनों दंडों से दंडित किया जाएगा और यदि निर्णय मेरे पक्ष में हुआ तो मेरे राष्ट्रहित में पूछे प्रश्नों के उत्तरों सहित मेरी राष्ट्रभक्ति भी सिद्ध हो जाएगी। जिसके लिए मैं आदरणीय डॉ रत्न बसोत्रा जी का जीवनभर हृदय तल से आभारी रहूंगा। भले ही वह आभार जेल में दण्ड भोगते हुए ही क्यों न करना पड़े?