राष्ट्रभक्ति का उन्माद शतरंज की रानी की भांति सक्रिय होता है। वह कब किस ओर मुड जाए राष्ट्रभक्त को भी पता नहीं चलता। क्योंकि उन्माद के समस्त पर्यायवाची शब्द विचित्रता की पराकाष्ठा व्यक्त करते हैं। जिनमें उन्माद का एक पर्यायवाची शब्द जुनून होता है। जिस जुनून के अंतर्गत स्वतंत्रता सेनानी भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव जी ने भारत माता को ब्रिटिश सरकार की परतंत्रता से मुक्त करने हेतु फांसी का फंदा चूम लिया था और जलियांवाले बाग का बदला लेने हेतु शहीद ऊधम सिंह जी ने परिणाम की परवाह नहीं करते हुए लंदन में जाकर जनरल डायर को मार डाला था।
इसके अलावा उन्माद का पर्यायवाची शब्द सनक और पागलपन होता है। जिसकी डोर में बंधकर शौर्य और पराक्रम के कई अद्वितीय उदाहरण भारत माता की रक्षा हेतु अपने प्राणों की आहुतियां दे चुके हैं। ऐसी विशिष्ट विभूतियों में से गुरू गोविन्द सिंह जी ने अपना सर्वस्व लुटा दिया, महाराणा प्रताप सिंह जी ने अरावली की पहाड़ियों में घास की रोटी खाकर मुगलों के दांत खट्टे किए, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने पुरुष के भेष में अंग्रेजों की नींद उड़ाई, अपनी ही पिस्टल की अंतिम गोली से चंद्रशेखर आज़ाद जी ने अपने प्राण त्यागकर अंग्रेजों के हाथ न लगने का इतिहास रचा और बलिदान का विचित्र एवं अकल्पनीय कीर्तिमान स्थापित किया था। जिन्होंने अपने रक्त से लिखकर प्रमाणित कर दिया था कि भारत माता के सपूत सदैव समर्पित रहते हुए राष्ट्र को सर्वोपरि मानते हैं।
सर्वविदित है कि जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी जम्मू के वर्तमान सचिव आदरणीय श्री भरथ सिंह मन्हास जी राष्ट्रभक्ति को प्रायः प्राथमिकता देते हैं और राष्ट्रहित में राष्ट्रभक्तों को श्रद्धांजलि अर्पित करने की उद्देश्यपूर्ति हेतु उन्होंने 29-08-2023 को राष्ट्रभक्ति पर आधारित बहुभाषी कविगोष्ठी का आयोजन रखा था। जिसमें उन्होंने मुझे भी आमंत्रित कर रखा था। जिसके मैं उनका हार्दिक आभारी हूॅं। परन्तु दुर्भाग्यवश संभवतः सौ वर्षीय मेरे पिताजी का 27-08-2023 को स्वर्गवास हो गया था। जिनका अंतिम संस्कार जम्मू के गोल गुजराल स्थित श्मशान घाट पर 28-08-2023 को करने के उपरांत मैं ज्यौड़ियां अपने निवास स्थान पर आ गया था।
दूसरे दिन सुबह 29-08-2023 को मैं उठा और उक्त चुनौती का समाधान करते हुए मैंने निर्णय लिया कि मैं राष्ट्रभक्ति के कार्यक्रम में भाग अवश्य लूंगा। क्योंकि मेरे तीनों बड़े भाई शोकाकुल घर में उपस्थित थे। इसलिए मैं ज्यौड़ियां से सीधे कल्चरल अकादमी जम्मू के 'के.एल. सहगल सभागार' में पहुंचा। वहां मेरे परिचित लेखकों ने शोक व्यक्त करते हुए मेरा स्वागत किया था। जहां समाज की चिंता न करते हुए मैंने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती सुशीला बाली को भी सादर आमंत्रित कर लिया था। हालांकि वह शोकग्रस्त होने के आधार पर वहां नहीं आना चाहती थी। परन्तु मेरी प्रसन्नता हेतु उसने मेरा सहयोग कर मुझे कृतार्थ किया था। उसके लिए मैं उसका और कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी का हृदय तल से आभारी हूॅं।
अपने जीवनसाथी को लम्बे अंतराल पर अपने संग बैठाकर मैं अत्याधिक प्रफुल्लित हो रहा था। चूंकि राष्ट्रभक्ति पर आधारित बहुभाषी कविगोष्ठी कार्यक्रम मेरे जीवनकाल का प्रथम अनुभव था और उस पहले अनुभव में मेरी धर्मपत्नी मेरे साथ थी। जिसकी आधारशिला पर हमारा सुखमय भविष्य टिका हुआ था। यूं भी कल्चरल अकादमी जम्मू से मेरी विजययात्रा के अभिनन्दन का सराहनीय शुभारम्भ एवं श्रीगणेश हो चुका है। परन्तु भविष्य की गर्भ में क्या छुपा है कोई नहीं जानता? इसलिए मैं प्रसन्नचित मंच पर आमंत्रित होने की अपनी बारी की उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहा था और प्रतीक्षा की घड़ियां समाप्त होते ही मुझे मंच संचालिका आदरणीय श्रीमती रीटा खडयाल जी द्वारा मंच पर आमंत्रित किया गया। उनके द्वारा मेरे नाम की घोषणा होते ही सभागार तालियों से गूंज उठा था। मैंने मंचासीनों सहित आदरणीय सचिव श्री भरथ सिंह मन्हास जी से अनुमति प्राप्त करते हुए सभागार में उपस्थित आमंत्रित विद्वानों को एक अतुकान्त कविता और एक ग़ज़ल सुनाई। जिसकी साक्षी मेरी देवी स्वरूप धर्मपत्नी श्रीमती सुशीला बाली भी बनीं। जिस ईश्वरीय आशीर्वाद से मेरा गौरवान्वित होना सरल और स्वाभाविक था। चूंकि राष्ट्रभक्ति का उन्माद ही कुछ ऐसा होता है कि उसमें सृष्टि के सातों स्वरों के रस घुल जाते हैं। जो प्रत्येक मानव के जीवनपथ पर निस्संदेह कभी खुशी कभी ग़म के अद्भुत रंग बिखेर जाते हैं। जय हिन्द। सम्माननीयों ॐ शांति ॐ
प्रार्थी
इंदु भूषण बाली
व्यक्तिगत रूप से याचिकाकर्ता (पिटीशनर इन पर्सन)
वरिष्ठ लेखक व पत्रकार, राष्ट्रीय चिंतक, स्वयंसेवक, भ्रष्टाचार के विरुद्ध विश्व की लम्बी ग़ज़ल, राष्ट्रभक्ति एवं मौलिक कर्तव्यों के नारों में विश्व कीर्तिमान स्थापितकर्ता
एवं
भारत के राष्ट्रपति पद का पूर्व प्रत्याशी,
वार्ड अंक 01, डाकघर व तहसील ज्यौड़ियां, जिला जम्मू, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर, पिनकोड 181202।