उपरोक्त विधेयक पुरजोर विरोध के बाद केंद्र सरकार ने वापस ले लिया है। चूंकि पशुपालकों के अनुसार उक्त विधेयक के पश्चात पशुधन और पशुधन उत्पाद से आयात और निर्यात पर अत्यधिक प्रभाव पड़ना सुनिश्चित था। जिससे पशुप्रेमियों और सरकार के मध्य गहरा संघर्ष होने का अनुमान लगाया जा रहा था।
जो आगामी चुनाव पर भी अपनी विपरीत छाप छोड़ सकता था। जिसमें मोदी सरकार को गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ सकते थे। चूंकि वर्तमान समय में बेरोज़गारी बढ़ रही है और पशुधन का विकास भी आशानुरूप नहीं हो रहा। ऐसे में एक नया जोखिम भाजपा नेतृत्व वाली सरकार को लोहे के चने चबवा सकता था। जिसके दुष्प्रभावों को देखते हुए केंद्र सरकार ने "पशुधन विधेयक 2023" वापस लेकर बुद्धिमत्ता दिखाई है।
उल्लेखनीय है कि रचनाकार ने जम्मू कश्मीर राज्य का निवासी होने के आधार पर सर्वप्रथम मत्स्य पालन हेतु माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से आग्रह किया था। परन्तु समस्त प्रयासों को करने के उपरांत भी जम्मू कश्मीर मत्स्य पालन विभाग ने प्रार्थी के मत्स्य पालन उद्योग को स्वीकार नहीं किया गया था। चूंकि दुर्भावनावश मत्स्य विभाग ने मेरी भूमि को रेतीली बता कर मेरी प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया था।
जिसके उपरांत प्रार्थी ने जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के भेड़-बकरी पालन विभाग में अपने भाग्य को आजमाया। जिसमें सौभाग्यवश दस युनिट अर्थात 200 की संख्या में भेड़-बकरी पालन उद्योग हेतु प्रार्थना पत्र दिया गया था। जिसे स्वीकार करते हुए कनिष्ठ कार्यालय से वरिष्ठ कार्यालय अर्थात जिला कार्यालय में भेजा गया था।
परन्तु दुर्भाग्यवश असंख्य प्रार्थना पत्र लगने के कारण "लाटरी सिस्टम" से युनिटो का बंटवारा किया गया था। जिसमें प्रार्थी को मात्र तीन युनिट मिले अर्थात मात्र 60 भेड़-बकरी के लिए मान्यता देते हुए मुझे सूचित किया गया था। जिसकी आय कम और व्यय अधिक तय था। जिसमें हानि की चुनौती अधिक थी। जिसके आधार पर प्रार्थी उक्त उद्योग से भी वंचित रह गया था।
चूंकि सरकारी विभागों के अधिकारी निर्लज्जता का उदाहरण देते हुए सशक्त प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी को अशक्त दिव्यांग मानते हुए उनकी आज्ञाओं का पालन नहीं करते हैं। जिससे न मात्र नागरिकों को हानि हो रही है बल्कि राष्ट्रीय विकास को भी हानि पहुंचाई जा रही है। चाहे वह मत्स्य/भेड़-बकरी विभाग द्वारा उद्योग न देकर की जा रही हो या जम्मू कश्मीर कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी जम्मू द्वारा "डिजिटल इंडिया मिशन" अर्थात पारदर्शी भारत अभियान का उपहास उड़ाकर देश को हानि पहुंचाई जा रही हो। ऊसकी हानि चारों ओर से राष्ट्र ही सहन कर रहा है। जैसेकि सर्वप्रथम माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का उपहास और दूसरी ओर राष्ट्रहित में कोताही प्रमुख हैं। जिसपर केंद्र सरकार को शीघ्र अतिशीघ्र ठोस कार्रवाई की परम आवश्यकता है। ताकि राष्ट्र दिन दौगुना और रात चौगुना विकास कर सके। ॐ शांति ॐ