अब आपकी मर्जी भुला देना,
जो भी जी चाहे सजा देना।
कल बिठाया था फलक आपने,
फिर आज नज़रों से गिरा देना।
मेरी जानिब तो उठाईं उँगलियाँ,
तुम खुद से भी नज़रें मिला लेना।
दर्द बांटा था मेरा अच्छा लगा,
यूँ हँसते-हँसते ,मत रुला देंना ।
अब दवा,कोई दुआ काफ़ी नहीं,
तुम हमको सीने से लगा लेंना।
दूर तक संग-संग चलेगी रोशनी,
दामन में सूरज को छुपा लेना।
संभावना छट जाएंगे बादल घने,
हौले-हौले दो मगर ताज़ा हवा देना।
आज भी कल भी करूँगा सामना,
'अनुराग'मुश्किल है बरगला लेना।