चलो ये भी तजुर्बा आप कर लो,
नज़र भी आईना भी साफ कर लो।
अँधेरा चीर कर निकलेगा सूरज,
गुजरती रात है विश्वास कर लो।
रास्ता हूँ हमसफर जिद छोड़ दो,
अकेला हूँ हमें भी साथ कर लो।
आंधी उड़ा ले जायेगी सारे मकान ,
दो अपनापन इसे आबाद कर लो।
हमेशा कुछ नहीं रहता मुक़म्मल,
नया अपना पुराना याद कर लो ।
सुलगती आग है आब-ओ-हवा में,
चुप्पियाँ तोडो चलो संवाद कर लो।
महज़ जीना ही नहीं है ज़िन्दगी,
बांटिये प्यार और 'अनुराग'कर लो।