4 अक्टूबर 2015
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संपर्क -- + ९१९५५५५४८२४९ ,मैं अपने विद्यार्थी जीवन से ही साहित्य की विभिन्न गतिविधियों में संलग्न रहा|आगरा वि.वि.से लेखा शास्त्र एवं हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की ,फिल्म निर्देशन व पटकथा लेखन में व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त की |सर्वप्रथम मुंबई को अपना कार्यक्षेत्र बनाया |लेखक-निर्देशक श्री गुलजार के साथ सहायक फिल्म निर्देशक के रूप में कार्य किया|पटकथा लेखन में श्री कमलेश्वर के साथ टी.वी.के लिए कार्य कर दिल्ली वापस लौट आया|तत्पश्चात दिल्ली दूरदर्शन में दूरदर्शन निदेशक डॉ.जॉन चर्चिल,श्री प्रेमचंद्र आर्या के साथ कार्य किया|साथ ही साथ आकाशवाणी आगरा,दिल्ली,नजिवाबाद केन्द्रों से काव्यपाठ एवं नाटक,एकांकी के लिए कार्य किया |२००२ से अपना व्यवसाय करते हुए साहित्यक कार्यक्रमों में मेहमान वक्ता-प्रवक्ता एवं दिग्दर्शक के रूप में स्वतंत्र रूप से सेवारत हूँ । संपर्क - ९१९५५५५४८२४९D
ना सही धूप ,चिरागों में रोशनी काफी, अंधेरों को उजालों में,बदलने के लिए.............. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल !
5 अक्टूबर 2015
छोड़ आया हूँ गर्दिशों के ,सिलसिले पीछे , एक मुद्दत लगी है ,दर्द पिघलने के लिए । वाह क्या बात !
4 अक्टूबर 2015
रोक के रास्ता मेरा,खड़ा है वक्त कबसे , मैं भी तैयार हूँ ,हालात बदलने के लिए । तेरी ज़िद ने उजाड़ दी हैं ,बस्तियां दिल की , मुझको मंजूर थी हर शर्त संभलने के लिए । दिल को छूती पंक्तियाँ !
4 अक्टूबर 2015