डूब कर निकलेगा है दावा मेरा,
सब्र रख अब आएगा मौका तेरा।
मेरी उम्मीदों के चिथड़े उड़ गए हैं,
कितना बिस्फोटक रहा धोखा तेरा।
फट गया बादल किनारे बह गए हैं,
अब तो आवारा हुआ दरिया तेरा।
मैं तो लहर बनकर चला था रेत पर,
लो बुझ गया मैं बन गया सहरा तेरा।
आइनों के सामने बैठा रहा हूँ मैं,
पर नज़र आता नहीँ चेहरा मेरा।
ये सुलगती आग जब जलने लगेगी,
राख हो जायेगा हर अरमां तेरा।
आप क्या समझोगे इस'अनुराग'को,
ये एकदिन बन जाएगा गहना तेरा।