तुम खोल दो दिल के झरोखे और मन,
फिर हो रहा है ज़िन्दगी का आगमन।
इन चिरागों में अभी है नूर बाँकी,
करते रहेंगे हम अंधेरों का दमन।
ये वक्त खुशबू की तरह बह जायेगा,
मैं अंजुली भर-भर करूंगा आचमन।
लोग अमृत के अधिकतर पक्षधर हैं,
जिसने किया बिषपान उन सबका नमन।
मन,वचन,तन सब प्रदूषित हो गए है,
हो ज्ञान की भागीरथी का संगमम।
मन मचल उठता है बालक की तरह,
जब याद आ जाता मैया का छुअन।
तुम्हारा दर्द में भी मुस्कुराना याद है,
फिर शब्द दो'अनुराग'को होगा सृज।