दर्द में डूब गए,आंसुओं में बह निकले ,
दिल जो पिघला ,तो समंदर निकले |
बेवफा 'साँस'मगर,एतबार सदियों का ,
हाँ यही सोच के ,घर से सिकंदर निकले|
माइने रोज नए गूंथती,कतरा-कतरा सीती,
ज़िन्दगी काश!नए-दौर का सफर निकले |
टूटकर आप बिखरते हैं ,या संवर जाते हैं,
जिसने हालात संभाले,वो मुकद्दर निकले|
जब भी दिखते हैं आइनों में, दरकते चेहरे ,
बद्दुआ लग गयी एहवाब,सितमगर निकले|
बख्शते आप'नहीं'सांस,घुटन क्यों होती ,
बेबजह ज़िन्दगी है,लोग बेखबर निकले |
आप अल्फाज तराशेंगे,जुबां पर जब भी,
लफ़्ज-आवाज सुनो,दोनों हमसफर निकले|