जब वक़्त ने खिलाफ फैसला दिया यारों,
दौर-ए-मुश्किल में सबने भुला दिया यारों।
हमने क़दम रफ्तार बरक़रार रख्खी,
ठोकरों हादसों ने हौंसला दिया यारों।
आग ने जब जलाया हुनर निखार लिया,
दोस्त-दुश्मन से दिल खोल कर मिला यारों।
हम तो पथ्थर ही थे तुमने ही तराशा होगा,
आम से खास हमें तुमने बनाया यारों
आप मगरूर हैं तो मैं भी गुरुर बाला हूँ,
आज तक कभी सर नहीं झुकाया यारों।
शर्त बस इतनी रखी शर्त अब मंजूर नहीं,
हमने हर बार क़दम पहला उठाया यारों।
हमने रिश्तों को निभाया है यकीनन
ज़हर दिल से दिया तो पी लिया यारों।