दुआ पास रख लो,दवा आज़मालो,
अजनबीं हूँ,अपने गले से लागलो।
है ग़म बेवफा दिल नहीं मानता है,
ये परछाईं है चाहे जब भी बुलालो।
जी रहने भी दो ये अदब मेहरबानी,
गिरे जब कोई उसको झुकके उठालो।
कोई तो नज़ र देखती है तुम्हें भी,
क़रम कर इबादत दिया फिर जलालो।
मेरा दो गज कफ़न सिर्फ दो गज़ ज़मी,
बाक़ी सब आपका ही है,आओ संभालो।
अजी बख्श भी दो मेरी तन्हाइयों को ,
हूँ फसा भीड़ में ,हाथ पकड़ो निकालो।