''चिराग हवा ने बुझा दिए''
जलता हुआ चिराग,हवा ने बुझा दिया ,
झूठा नकाब सच के,बयाँ पर चढ़ा दिया |
हम पूजते रहे जिसे ,भगवान् की तरह ,
कम्बखत ने साँसों पे,पहरा बिठा दिया|
कल तक ख्याल था,जिन्हें मेरे सुकून से ,
उसने ही मेरी रहा को,मुश्किल बना दिया|
मैं जानता हूँ आप भी,गुमराह हैं मगर ,
भटके हुए को फिर भी,रास्ता बता दिया |
मैं ज़िन्दगी से सामना,करने लगा हूँ जब,
तो ज़िन्दगी ने सचका,आइना दिखा दिया |
क्यों आजमा रहे हैं आप ,उस गरीब को ,
हालात ने चाह जिसे ,पत्थर बना दिया |
बड़ी दूर तक चलेंगे ,उजाले में हमसफ़र ,
'अनुराग'ने ये सोचके ही, घर जला दिया|