छोटे-छोटे ख्वाब पलट कर आएंगे,
जब मन के टुकड़े-टुकड़े बंट जाएंगे।
ज़ख्मों का विच्छेदन होगा बात-बात पे,
अपने ही साये से हम टकरायेंगे।
अनदेखा मत करो किसी का दर्द कभी,
पछतायेंगे नज़रो से गिर जायेंगे।
तिनको से भी घर बनता है जोड़ो तो,
महल सभी हालांतो के ढह जायेंगे।
दुखते हैं जब पाँव के छाले छिलते है,
पर मंज़िल तक पाँव मगर पहुँचाएगे।
भूल गए हैं अपने घर,आँगन,गालियां,
गुमराहों से वापस घर कब आएंगे।
बूँद-बूँद बहती-बहती बुझ गई आाँखे,
फिर भी उस माँ के प्प्यारे कहलायेंगे।