अगर सामने आओ,आना संभल कर,
हूँ तूफान पागल,न रख दूँ कुचल कर।
लहर हो तो साहिल से टकराना होगा,
समंदर के कन्धों से नीचे उत्तर कर।
उछल कर चलो पांव में बिजलियाँ हैं,
उजालो,अंधेरों की गलियो से चल कर।
वो मासूम तो था नहीं फिर भी शायद,
सच ढूँढ ले आईनो को बदल कर।
फ़ित्तरन लोग शातिर हैं खंजर सरीके,
गुनाहों से हमराह चलते हैं मिल कर।
सिमटने लगे हैं ये पर धीरे-धीरे,
परिंदे भी आया करेंगे टहल कर।
दबाओगे तुम आग कब तक बगल में,
राख हो जायेंगे सब सपने पिघल कर।