तुमसे उम्मीदें लगाना था फिजूल,
ज़ख्म-ए- दिल मरहम पुराना था फिजूल।
दिन आंसुओं में बह गए तेरी क़सम,
प्यार में वादे निभाना था फिजूल।
ज़िन्दगी हर मोड़ पर तन्हा मिलेगी,
महफिले,मज़मां लगाना था फिजूल।
शाम की तबियत बहुत रंगीन थी,
पर सवेरे को जगाना था फिजूल।
पुर्जे-पुर्जे हो गया दिल का शुकून,
धड़कनो को सुर में लाना था फिजूल।
फूल से मारा तो जां पर आ बनी,
हाथ में पत्थर उठाना था फिजूल।
मुख्तसर सी दास्ताँ कह ना सकें हम ,
सुनने वालों को बुलाना था फिजूल।