लगाई आग,फिर उठकर बुझाने चल दिए,
कितना अपनापन है,ये दिखाने चल दिए |
पूरे इत्मीनान से,हालात की गर्दन पकड,
टूटती अफवाहों के पर लगाने चल दिए |
है जुबां बारूद की,उन्माद की चिंगारियां,
जल गयी बस्ती पानी जलाने चल दिए |
घर घरौंदों में कटीले फूल,कांटे झाड़ियाँ,
पाँव में चुभने लगीं आंसू बहाने चल दिए |
प्रेम पागल,पांव पलकें चूमती हैं दिन-रात,
मुग्ध एहसासो में,नश्तर चुभाने चल दिए |
रात भर जागे अँधेरी भोर तक उम्मीद में,
खिली जब धूप वो सूरज बुझाने चल दिए |
एक तो एहसान कर,रहने भी दे ये दूरियां,
इस नदी पे आप क्यों पुल बनाने चल दिए