लो हमें भी ले चलो क्षितज के पार जाना है,
हवा के पंख पहने हैं इसी रफ़्तार जाना है।
वसीयत भी न हीं,कुछ चाहिए! ख़ैरात कैसी,
अगर्चे दे सको तो दिल तुम्हारा प्यार पाना है।
दिखाई दे न दे तुमको ज़माना देखता है,
हक़ चाहिये मेरा मुझे अधिकार पाना है।
ये हृदय नाजुक बहुत है तुम कुरेदा मत करो,
एक न एक दिन साँसों की बाज़ी हार जानी है।
सफर सूरज का होता है ज़मीं तक दोस्तों,फिर,
नई उम्मीद लेकर रोशनी हर रोज़ आना है।