खास से आम हो गए ,
लोग बदनाम हो गए |
कोशिशें हम लाख की ,
मगर नाकाम हो गए |
बागबाँ आज बेचारा है,
गुल-ए-गुलफाम हो गए |
धूप ने छांव बुझादी ,
राख पैगाम हो गए |
बांटते हैं दर्द बे-हिसाब,
मुझपे इलज़ाम हो गए |
छूने से जो मुरझा गया,
उसके भी दाम हो गए |
रश्म-ए-उल्फत निभाई,
इश्क के नाम हो गए |
ठोकरें राह बन गईं,
हासिल मकाम हो गए |
आईना चटख गया ,
चेहरे तमाम हो गए |