ना मैं भूलूंगा ना तुमको भूलने दूंगा,
ये हृदय के घाव यूँ भरने नहीं दूंगा,
फिक्र अब अंजाम की तुम कीजिये,
जां हथेली पर मगर मरने नहीं दूंगा।
इक शब्द काफी है तेरी औकात में,
ये जुबां की आबरू गरिमा नहीं दूंगा।
तुमसे बेहतर तो कई गद्दार अच्छे,
आखिरी गलती है,दोहराने नहीं दूंगा।
दवा के नाम पे तुम भी पिलाते ज़हर,
अब जान ले लूंगा ज़हर पीने नहीं दूंगा।
सिर्फ ये इलज़ाम है साबित नहीं होगा,
कोशिशे परवान अब चढ़ने नहीं दूंगा।
शुक्रिया दीवारो-दर,शुक्रिया ओ ठोकरों,
मुश्किलों को और इक मौका नहीं दूंगा।