अपने ही साए थे हम पीछा किये,
आस्तीं में सांप जब पैदा किये |
बहता सर से है पसीना पांव तक ,
पीके लहू अपना हलक सींचा किये |
काश फिर विश्वास मेरा जीत जाये,
केवल दगाबाजों से हम चर्चा किये |
वक्त-ए-शाख से खास लम्हें तोड के,
साथ लेकर चल ,तुम्हें तन्हा किये |
टूटते बिखरे खिलौने बे-जुवां सपने,
उजले-उजले तन थे मन मैला किये |
तुमको पलकों पे बिठा बहलाए हम,
आपने जिद की हमें घोडा किये |
बिखरे मन टूटे ह्रदय कैसे पिरोयें,
जिनपे भरोसा था वही धोखा किये |