काश वो पहचान जाता रास्ता,
हम सफर होता हमारा कारवां ,
दौड़कर आगे निकल तो आये हो,
जीत बांकी है बचाना हौसला।
दाग गहरा हो तो इक पहचान है,
है नया सदियों पुराना सिलसिला।
टूट कर पत्ते उड़ेंगे दो- चार -पल,
बाद फिर धरती है इनका करबला।
मन्नतें मांगो इबादत कर दुआ भी,
एक ना इक दिन सुनेगा सदा।
दर्द है दिल में जताता मैं नहीं हूँ,
आंसुओं की क़ैद में आब-ओ-हवा।
पंख फैलाओ जगाओ आरज़ू जागो
आदमी छूकर ही रहेगा आसमां।