गम मेरे ,मरहम् पराये हो गये,
क्या हुआ जो दूर साये हो गये |
हो गए पर्दानशीं सब बे-नकाब,
हम भी जमाने के सताए हो गए|
देखने वो आयें हैं,लेकिन तमाशा,
आज घर, दफ्तर,सराय हो गये |
ज़िन्दगी नाख़ून है,बढती रहेगी ,
वक़्त से बाकिफ निकाय हो गए |
उम्र के एहसास हम जीभर जिए हैं
सबके तुम ,मेरे सिवाये हो गए |