जो हिफाजत की, जलती मशालों में हैं ,
हर जुबाँ पर, सुलगते सवालों में हैं ।
है तो जिंदा मगर ,मौत के खौफ से ,
ना अधेरों में है,ना उजालो में है ।
ज़िन्दगी की सज़ा ,ज़िन्दगी बन गई ,
ऐसा किस्सा बहुत कम,मिसालों में है ।
प्यार बढ़ता है जब, बेखुदी देखकर ,
लुत्फ़ भी क्या गज़ब,उन उबालों में है ।
तख़्त ना ताज़ ,ना ये महल चाहिए ,
एक भूखे की हसरत ,निबालों में है|
मैं सिमटता हूँ ,मानिन्द-ऐ-ज़िन्दगी ,
तेरा-मेरा मिलन ,अब ख्यालों में है।
भागते-भागते ,सांस थमने लगी ,
बेपनाह दर्द ,सीने के छालों में है ।
बुझ गईं ख्वाहिशें,मिट गए फासले ,
गिनती'अनुराग'की,चाँद-तारों में है|