करो हौंसला रुख हवा का बदल दो,
चलो झूमकर मुश्कलों को कुचल दो।
ज्यादा नहीं पर तेरे सदक़े मन्ज़िल,
भटकती हुई राह को एक हल दो।
थाम के उँगलियाँ ले चलो रौशनी में,
अंधेरे मेरे रौशनी में बदल दो।
अगर ज़िन्दगी का यही हश्र तय था,
तो सूखे हुए आँसुओं को भी जल दो।
मिटा दो निशां राह से रहबरी के,
नया रास्ता दो नई इक पहल दो।
बहुत खूबसूरत है दुनिया हमारी,
हो कीचड़ जहां भी वहां पर कँवल दो।
मसीहा मेरे ,मुल्क़ के हुक्मरानो,
हमें रोज़ी-रोटी दो मत तुम महल दो।
क्यों सच की शक्ल बदनुमा हो गई है,
ये चटखा हुआ आईना है बदल दो।