एतिहातन या अदब के साथ,झुकना पड़ेगा,
दौड़ने बालों तुम्हे हर हाल में,रुकना पड़ेगा।
आज फिर बाज़ार में ईमान की बोली लगी,
व्याकुल है बच्चे भूख से इसे बिकना पडेगा।
तुमको जलना है चिरागों रौशनी के साथ में,
ये अंधेरों का हलाहल आपको पीना पड़ेगा।
देर तक बैठो मेरी तन्हाईयाँ खामोश हैं,
ज़िन्दगी इक बार फिर तुम्हें चुनना पड़ेगा।
दर्द में शायद मैं खुद और बेहतर जान पाऊं,
ज़ख्म अब और मरहम से परे रखना पड़ेगा।
है नमीं आँखों में दिल में कश-म-कश गहरी,
यार कब तक,बेखुदी में यूँ हमें रहना पड़ेगा।
सजदा इबादत में जरुरी था, मेरी मजबूरियां।
थोडा-बहुत 'अनुराग'सब तुम्हें करना पड़ेगा।