वक़्त है बदलाव की आंधी चली है,
बहुत बाँकी है अभी आधी जली है।
अब लौट आओ भूले भटके आदमीं,
क्या बुराई घर में जो आधी मिली है।
तुम कल का सूरज देख पाओगे भला,
ज़िन्दगी की मौत से दिल की लगी है।
यूँ तो आँखों से गुजरते ख्वाब कितने,
हर स्वप्न की तासीर अपनी सादगी है।
रह जायेगा सब कुछ यहीं ये हाथ खाली,
सोच कर देखो ये सचमुच खलबली है।
यूँ ही क़यामत तक चलेगा सिलसिला,
रात काली है अमावस, सवेरा चाँदनी है।
जो हो तेरा कर्तव्य वह करते चलो पथ,
आज सुखा है तो कल शायद नमीं है।