दर्द जब दिल से मिला अच्छा लगा,
धीरे-धीरे चल पड़ा क्या सिलसिला।
वक़्त के पन्ने पलट कर देख लेना,
क्या खबर मिल जाए कोई रास्ता।
ओढ़ कर खामोशियाँ बैठे हैं क्यों
आने वाला है कहीं तो ज़लज़ला ।
प्यार से आवाज़ दो इक बार तुम।
ठहर जाएगा बिखरता हौंसला।
आंसुओं से तर-बतर चेहरा छुपाये,
रात भर रोया है मौसम बावला।
बुझती उम्मींदों के सूरज देख कर,
भर-भरा कर ढह गया मन का किला।
थाम कर ऊँगली चलो 'अनुराग' तुम,
रफ्ता - रफ्ता साथ होगा काफिला।