अभी हैं राख में चिंगारियां,
हवा दो फूंक दो दुश्वारियां।
दबा कर मत रखो सपने ,
उठो पूरा करो तैयारियां ।
काम नामुमकिन है ठानलो,
हार के जीत लो बाजियां ।
तूफानो का डर लगता नहीं,
जब हमसफ़र हों आंधीयां।
ऎव खुद के तलाशो जरा तुम,
गिनाते हो हमारी खामियां ।
आबरू बाजार में बिकती,
खामोश घर,वर,ड्योढियाँ।
ख्वाहिशें बदलती जा रहीं
फासले बनने लगीं नजदीकियां