आरती का दिया,अब जलाओ,
है अँधेरा घना ,सब भगाओ।
आस्थाए बहकने लगी फिर,
दिल से आवाज देकर बुलाओ।
फूल,कलियाँ दहकने लगी हैं
या मेरी कल्पना है बताओ ।
व्यक्तिगत हो गए रिश्ते-नाते,
कोई दिल को धड़कना सिखाओ।
भीड़ में हूँ बड़ा तन्हा-तन्हा,
टूटता जा रहा अब बचाओ।
आप फिर आ गए आजमाने,
आईना आप खुद को दिखाओ।
थोड़ा लगने लगेगा भला सा,
साथ तुम भी मेरे मुस्कुराओ।