
गर्व मत कर तू ,पराई ताकतों पर ,
वर्ना आ जायेगा,इकदिन रास्तों पर ।
आबरू तक वो ,तुम्हारी लूट लेगा,
तू भरोसा कर गया,जिन दोस्तों पर ।
रहनुमां साथ लाये थे,सफर में आपको ,
छुड़ाकर हाथ आगे बढ़ गये,वो रास्तों पर ।
यकीनन आपतो ऊँगली पकड़ के चल दिए ,
निभा पाओगे हमसे दोस्ताना ,सोच लो पर।
वो भीतर और बाहर से,है बस खाली तमाशा,
भला अफ़सोस क्या होगा,उन्हें भी हादसों पर ।
सिकुड़ते रास्ते जब भी,बिखरती मंजिले भी,
उदा पाएंगे पंछी आसमां ,बोझिल परों पर ।