छाया घना कुहरा अँधेरा रात काली,
तुम जागते रहना अभी है बात बाँकी।
मेरी आँखों में अब तक प्यार देखा है,
छेड़िये मत है अभी तो आग काफी।
रंग,खुशबू,फूल,कलियाँ,तितलियाँ,मौसम।
हमेशा एक से रहते नहीं हालात साथी।
नज़र के सामने आँखों में भरलो आस्मां,
कुछ कह नहीं सकता दिले जज्बात का भी।
अभी तो उँगलियों पर गिन रहा गुस्ताखियाँ,
सज़ा के नाम पर होगा अभी संवाद काफी।
मुझे मालूम है औक़ात तेरी शान , शौक़त,
गुनाहों का पता देगा तेरा उन्माद साकी।
फ़लक़ को चूमने की ज़िद ज़मींने छोड़ आये,
नियन्त्रण खो चुके हैं पंख मिले हालात खाली।