जब सब नया ताज़ा प्रतीत होता है,
तुम देखना सबका अतीत होता है।
है नहीं महफूज अस्मत भी घरों में ,
कोई ना कोई डर तो करीब होता है।
सबके जीने की बजह बस प्यार है,
फिर क्यों कोई दिलसे गरीब होता है।
क्यों व्यर्थ में संकल्प खंडित हो गया,
विजय का रथ जाग्रित,समीप होता है।
अँधेरा छट गया,उम्मीदों का सबेरा है,
मिलेगा कब,कहाँ,कितना नसीब होता है।
नयापन है नया कुछ भी नहीं है दोस्तों,
पुराना क़ाफ़िया , या रदीफ़ होता है।
सिमट कर रह गई'अनुराग'मेरी ज़िन्दगी,
है साज़ भी तनहा,तन्हा ही गीत होता है।