1 अक्टूबर 2015
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संपर्क -- + ९१९५५५५४८२४९ ,मैं अपने विद्यार्थी जीवन से ही साहित्य की विभिन्न गतिविधियों में संलग्न रहा|आगरा वि.वि.से लेखा शास्त्र एवं हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की ,फिल्म निर्देशन व पटकथा लेखन में व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त की |सर्वप्रथम मुंबई को अपना कार्यक्षेत्र बनाया |लेखक-निर्देशक श्री गुलजार के साथ सहायक फिल्म निर्देशक के रूप में कार्य किया|पटकथा लेखन में श्री कमलेश्वर के साथ टी.वी.के लिए कार्य कर दिल्ली वापस लौट आया|तत्पश्चात दिल्ली दूरदर्शन में दूरदर्शन निदेशक डॉ.जॉन चर्चिल,श्री प्रेमचंद्र आर्या के साथ कार्य किया|साथ ही साथ आकाशवाणी आगरा,दिल्ली,नजिवाबाद केन्द्रों से काव्यपाठ एवं नाटक,एकांकी के लिए कार्य किया |२००२ से अपना व्यवसाय करते हुए साहित्यक कार्यक्रमों में मेहमान वक्ता-प्रवक्ता एवं दिग्दर्शक के रूप में स्वतंत्र रूप से सेवारत हूँ । D
ओमप्रकाश शर्मा जी,उत्साहवर्धक शब्दों में सराहना के लिए ,आपका हृदय से अभिनन्दन !
5 अक्टूबर 2015
बर्फ सी जिद को पिघलना चाहिए , धूप जब भी, गुनगुनी हो जायेगी.... लाजवाब !
5 अक्टूबर 2015
विनोद त्रिपाठी जी ,आपकी प्रतिक्रिया के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!
1 अक्टूबर 2015
वाह वाह बहुत सुंदर।
1 अक्टूबर 2015
आपकी प्रतिक्रिया ke लिए बहुत बहुत धन्यवाद
1 अक्टूबर 2015
आइना पत्थर, से जब टकराएगा, अक्श की शै,सौ गुनी हो जायेगी । उत्कृष्ट ग़ज़ल रचना !
1 अक्टूबर 2015